रंग-रेखाओं की दुनिया में लोक की सामूहिकता
उषा वैरागकर आठले मैंने अब तक किसी आर्ट गैलरी में कोई चित्र-प्रदर्शनी नहीं देखी थी।...
उषा वैरागकर आठले मैंने अब तक किसी आर्ट गैलरी में कोई चित्र-प्रदर्शनी नहीं देखी थी।...
प्रसिद्ध जन-चित्रकार भाऊ समर्थ ने कहा था, ‘तुम्हारा घर जितना खुला, बड़ा और हवादार है,...
(आई से बिछुड़ने की छठवी बरसी पर संस्मरण की पहली कड़ी) माँ को लेकर दुनियाभर के लोगों ने...
(मुंबई इप्टा की स्थापना के अस्सी साल इस वर्ष पूरे हो गए। इस अवसर पर मुंबई इप्टा ने...
पिछले साल जब मैंने अजय के साथ बिताई हुई रचनात्मक यात्रा के संस्मरण लिखना शुरु किया...
(आज 27 सितम्बर 2022! अजय को खोए हुए पूरे दो साल हो गए। पैंतीस साल तक हमने लगातार...
(इप्टा रायगढ़ के लिए 1994 से अब तक का इतना दीर्घ रंगमंचीय सफर तय करना यहाँ के...
(अजय इप्टा और मैं और यादों के झरोखों से – मेरे और अजय के संस्मरण एक साथ इप्टा...
(अजय इप्टा और मैं और यादों के झरोखों से – मेरे और अजय के संस्मरण एक साथ इप्टा...
(अजय इप्टा और मैं और यादों के झरोखों से – मेरे और अजय के संस्मरण एक साथ इप्टा...