(‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा 28 सितम्बर 2023 से 30 जनवरी 2024 तक देश भर के 22 राज्यों में आयोजित की गयी थी। इस 4 महीने लंबी ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक यात्रा के समापन अवसर पर दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय समापन कार्यक्रम के अतिरिक्त विभिन्न प्रदेशों में भी एक-एक दिन के समापन कार्यक्रम आयोजित किये गए। पश्चिम बंगाल में एक दिन का कार्यक्रम यात्रा समापन दिवस 30 जनवरी 2024 को अनूठे तरीके से किया गया। उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में 28 दिसंबर से 31 दिसंबर 2023 तक चार दिनों की यात्रा के अतिरिक्त पूर्व में भी एक-एक दिन की यात्रा अशोक नगर, हृदयपुर तथा 24 परगना क्षेत्र में संपन्न की गयी थी। चूँकि कोलकाता में अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेला चल रहा है इसलिए आईपीसीए (डब्ल्यूबी) और पी.डब्ल्यू.ए (डब्ल्यू.बी) द्वारा कोलकाता अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में एक एकजुटता मार्च आयोजित कर ‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा का प्रचार-प्रसार किया गया।
प्रस्तुत है आईपीसीए (डब्ल्यूबी) के महासचिव देबाशीष कुमार घोष की रिपोर्ट तथा फोटो और वीडियो उपलब्ध हुए हैं आईपीसीए (डब्ल्यूबी) के अध्यक्ष अमिताभ चक्रवर्ती और देबाशीष घोष से।)
आईपीसीए (डब्ल्यूबी) और पीडब्ल्यूए (डब्ल्यूबी) ने विश्व प्रसिद्ध कोलकाता अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में एक मौन मार्च आयोजित करके राष्ट्रव्यापी ‘ढाई आखर प्रेम’ यात्रा के अंतिम दिन 30 जनवरी 2024 को मनाने की योजना बनाई, जहां हर दिन हजारों पुस्तक प्रेमी इकट्ठा होते हैं। अपनी योजना के अनुसार शाम लगभग 4-30 बजे पूरे पुस्तक मेला स्थल पर अपने बैनर और पोस्टर के साथ मौन मार्च निकाला गया।
करीब एक घंटे तक मेले के कोने-कोने में सांस्कृतिक यात्रियों का जत्था घूमा। हजारों लोगों ने इस सांस्कृतिक पदयात्रा को दिलचस्पी से देखा और जत्थे के उद्देश्य के बारे में पूछताछ की। हमने अपने राष्ट्रव्यापी जत्थे के बारे में सभी को धैर्यपूर्वक समझाया।
मार्च का नेतृत्व आईपीसीए के अध्यक्ष अमलेंदु देबनाथ, राष्ट्रीय परिषद के उपाध्यक्ष अमिताव चक्रवर्ती, पीडब्ल्यूए डब्ल्यूबी के महासचिव कपिल कृष्ण ठाकुर, आईपीसीए के संयुक्त महासचिव देबाशीष घोष ने किया। मार्च में राजीव मुखर्जी, सौमित्र मुखर्जी, नारायण विश्वास, सिबातोष मजूमदार, दीपाली हलदर, ममता ठाकुर, सासंका दास बैराग्य, प्रणब दास बिमान गुहा ठाकुरता और आईपीसीए और पीडब्ल्यूए के कई अन्य सदस्य भी शामिल थे। इसी तरह से हमने ‘ढाई आखर प्रेम’ यात्रा के अंतिम दिन के साथ-साथ शहीद दिवस भी मनाया है।