Now Reading
मध्य प्रदेश में यात्रा के समापन में सम्मिलित हुईं मेधा पाटकर, मीता वशिष्ट तथा भाषा सिंह

मध्य प्रदेश में यात्रा के समापन में सम्मिलित हुईं मेधा पाटकर, मीता वशिष्ट तथा भाषा सिंह

( ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के अंतर्गत मध्य प्रदेश में छह दिन की यात्रा आयोजित की गयी थी। पहले चार दिनों की यात्रा का विवरण, फोटो और वीडियो के साथ यहाँ दिया जा चुका है।अब प्रस्तुत है पाँचवें और छठवें दिन की रिपोर्ट। मध्य प्रदेश की यात्रा भी काफी विविधता भरी रही। जहाँ एक ओर बुनकर महिला साथियों को फैशन शो में मंच पर लाया गया, वहीं नर्मदा परियोजना में डूब में आए हुए गाँवों का दौरा कर स्थानीय निवासियों व आंदोलनकारियों से जानकारी लेते हुए मानव निर्मित विभीषिका का प्रत्यक्ष अनुभव लिया गया । महेश्वर के अहिल्या तट पर हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम, मीता वशिष्ठ द्वारा कश्मीरी कवयित्री ललदेद के बारे में सुनाना, मेधा पाटकर के नर्मदा बचाओ आंदोलन के अनुभव सुनना तथा उनके द्वारा इस तरह की प्रेम यात्राओं की ज़रुरत रेखांकित करना खास रहा। अंतिम दिन पत्रकार भाषा सिंह के व्याख्यान में वर्तमान मीडिया की शर्मनाक़ भूमिका का विश्लेषण महत्वपूर्ण था। पाँचवें दिन की रिपोर्ट उपलब्ध हुई वरिष्ठ पत्रकार हरनाम सिंह से तथा अंतिम दिन की रिपोर्ट विनीत तिवारी की टिप्पणियों तथा ‘प्रभात किरण’ में प्रकाशित दीपक असीम की रिपोर्ट का संकलन है। फोटो और वीडियो दीपक बसेर, विजय दलाल, विनीत तिवारी, निसार अली द्वारा वक्त-वक्त पर पोस्ट किये गए थे।)

26 दिसंबर 2023 मंगलवार

‘ढाई आखर प्रेम’ यात्रा के पांचवें दिन का पड़ाव बुनकरों की बस्ती महेश्वर में था। पिछले पड़ाव धर्मपुरी से रवाना होकर यात्रा महेश्वर पहुंची थी। यहां रात्रि विश्राम पश्चात 26 दिसंबर की प्रातः यात्रा निकटवर्ती ग्राम गोगांवा पहुंची। वहां आयोजित कार्यक्रम में विनीत तिवारी ने बताया कि गोगांवा आंदोलन का प्रमुख गांव रहा है। यहां की जनता ने दमन सहा है। विकास के नाम पर विनाशकारी योजनाओं को समझना होगा।

आंदोलन के प्रमुख जगदीश भाई ने कहा कि महेश्वर बांध से 8 किलोमीटर दूर के गांव पुलगांव एवं पथराड़ डूब में आने वाले गांव हैं। इन गांवों से मुआवजे की मांग होती है, लेकिन अधिकारी टाल देते हैं। समस्या के समाधान पर कोई भी चर्चा करने को तैयार नहीं है। हमें अब समझ में आया है कि अपने अधिकार के लिए लड़ने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है। ग्राम वासियों ने 12 जनवरी 1998 को महेश्वर बांध पर कब्जा किया था जो लगातार 12 दिनों तक जारी रहा। प्राकृतिक संसाधन जल, जंगल, जमीन निजी कंपनियों को सौंपी जा रहे हैं। जिन्हें हम वोट देकर चुनते हैं वे ही प्रतिनिधि हमारे मुद्दों पर बात नहीं करते।

यहां यात्रा में अभिनेत्री मीता वशिष्ठ एवं फ्लोरा बोस भी शामिल हुई। कार्यक्रम में जत्थे में शामिल कलाकारों ने गीत एवं नाट्य प्रस्तुति दी।

छत्तीसगढ़ से आये कलाकार निसार अली तथा इंदौर से विनीत तिवारी, हूरबानो सैफ़ी, असद अंसारी, अथर्व शिन्त्रे, निखिलेश शर्मा और जत्थे के साथियों ने अहिल्या घाट पर जीवन यदु का गीत ‘जब तक रोटी के प्रश्नों पर’ तथा ‘दमादम मस्त कलंदर’ जनगीत की शानदार प्रस्तुति की तथा नाचा गम्मत शैली में दर्शकों से संवाद भी किया ।

हरिओम राजोरिया, सीम राजोरिया और कबीर राजोरिया ने कबीर के भजन ‘साधो, देखो जग बौराना’ तथा ‘डारा डिरी डारा डिरी डा’ गीत की बेहतरीन सामूहिक प्रस्तुति दी ।

मंदसौर इप्टा से हूरबानो सैफ़ी, असद अंसारी, निखिलेश शर्मा की जुगलबंदी में “कहां तो तय था चरागां हरेक घर के लिये” प्रस्तुत कर घाट पर समां बांध दिया ।

सांयकाल अहिल्या घाट पर चौदहवीं सदी की कश्मीर की कवयित्री ललदेद पर व्याख्यान सहित अनेक नृत्य, संगीत के कार्यक्रम हुए।

विशिष्ट अतिथि सुप्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने नर्मदा के अहिल्या घाट पर हो रहे कार्यक्रम के संदर्भ में कहा कि महारानी अहिल्या देवी प्रकृतिधर्मी थीं । अगर वे आज होतीं तो नर्मदा से किए जा रहे खिलवाड़ को स्वीकार नहीं करतीं । प्रधानमंत्री का जन्मदिन मनाने के लिए कई किसानों को शहादत देनी पड़ी है। उनके घर डूब गए, बावजूद इसके अधिकारियों ने नुकसान का सर्वे नहीं होने दिया। प्रकृति से खिलवाड़ का नतीजा है कि जोशीमठ खत्म होने के कगार पर है। ‘ढाई आखर प्रेम’ यात्रा समता, स्वावलंबन, मानवता को बचाने में सफल होगी। संतो के संदेश हमें ताकत देते हैं। आज नित्य नई चुनौतियां सामने आ रही हैं । अडानी अंबानी का नाम लेने पर ही दंडित किया जा रहा है। इन साजिशों के खिलाफ खड़ा होना जरूरी है।

लोग नदी किनारे स्थित धर्म स्थलों पर जाते हैं, पर नदियों के प्रदूषण पर कोई नहीं बोलता। इंसान का इंसान के साथ और इंसान का प्रकृति के साथ प्रेम जरूरी है। देश में केवल कावड़ यात्राएं ही नहीं निकलती हैं । प्रेम और सद्भाव के लिए भी लोग यात्राएं करते हैं। हिंसा हमें मंजूर नहीं है। संवैधानिक मूल्यों के साथ देश को बचाना है।

विख्यात अभिनेत्री मीता वशिष्ठ ने कश्मीर की चौदहवीं शताब्दी की कवियत्री ललदेद के जीवन व लेखन पर विस्तार से अपनी व्याख्या प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोग ललदेद से बिना किसी धार्मिक भेदभाव के प्यार करते हैं, उन्हें जानते हैं। कार्यक्रम का संचालन कर रहे विनीत तिवारी ने मीता वशिष्ठ के परिचय के साथ फिल्मों में उनके योगदान की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अतीत में शास्त्रीय कलाएं, जो केवल महलों और श्रेष्ठीजनों के लिए थीं, आज वे आम जनता के बीच हैं । हमने इसीलिए यह कार्यक्रम सार्वजनिक स्थल पर रखा है। हम मानते हैं कि आम लोगों में भी शास्त्रीय कलाओं की समझ है।

आयोजन में यात्री कलाकारों ने भी अपनी प्रस्तुतियां दीं। उनके अलावा सेंचुरी मिल के श्रमिकों के अधिकारों के लिए संघर्षरत नवीन मिश्रा ने ” पर्वत की चिट्ठी ले जाना तू सागर की ओर, नदी तो बहती रहना, रेवा तू बहती रहना…” गीत के माध्यम से नदियों का महत्व बताया। उन्होंने अन्य कविताओं का भी वाचन किया।

शर्मिष्ठा बनर्जी ने अमीर खुसरो की रचना सहित अन्य गीतों की प्रस्तुति दी। अदिति मेहता ने ओडिसी कत्थक कला सम्मिश्रित भाव भंगिमाओं के साथ नृत्य किया। महेश्वर की बुनकर महिलाओं ने भी अपनी कला का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में अतिथियों एवं ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ के अनेक कार्यकर्ताओं को खादी का गमछा भेंटकर सम्मानित किया गया। ‘ढाई आखर प्रेम’ की यात्रा के पाँचवें दिन का यह अंतिम पड़ाव था। यहां से यात्री अंतिम दिन की यात्रा के लिए इंदौर की ओर रवाना हुए ।

See Also

इस यात्रा की सफलता का श्रेय नर्मदा बचाओ आंदोलन के अनेक उन कार्यकर्ताओं को भी जाता है जिनके नाम सामने नहीं आ सके हैं। इन्हीं कार्यकर्ताओं ने यात्रियों के लिए संसाधन और सुविधाएं जुटाई थी। इनमें कुछ प्रमुख कार्यकर्ता जो लगातार यात्रा के साथ बने रहे तथा अन्य कई जो हर पड़ाव पर व्यवस्था संभाल रहे थे, उनमें मुकेश भगोरिया, कमला यादव, वाहिद मंसूरी, राजा मंडलोई, राजेश खेते, भगवान भाई, गौरी शंकर कुमावत, कैलाश गोस्वामी, भगीराम यादव, कनक सिंह, श्रीमती रजनी मुलेवर, देवी सिंह तोमर, संजय चौहान, सुखेंद्र मंड्या, मनीषा पाटिल प्रमुख थे।

27 दिसंबर 2023 बुधवार

मध्य प्रदेश में ‘ढाई आखर प्रेम’ की सांस्कृतिक यात्रा का समापन शाम 5 बजे स्टेट प्रेस क्लब इंदौर में हुआ। इस समापन कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण था प्रसिद्ध पत्रकार भाषा सिंह का व्याख्यान। वक्ता का परिचय तथा विषय ‘चुनाव, युद्ध और मीडिया’ का परिचय विनीत तिवारी ने दिया। मंच पर आसीन थे, स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष आलोक बाजपेयी, प्रवीण केजरीवाल, रचना जोहरी, पूर्व उपकुलपति डॉ मानसिंह परमार, भाषा सिंह तथा विशेष अतिथि थीं बंगलुरु की वरिष्ठ रंगकर्मी फ़्लोरा बोस।

बेबाक पत्रकार भाषा सिंह ने अपने व्याख्यान में कहा कि ”चुनाव इस कारपोरेट मीडिया का उत्सव है। युद्ध के लिए ये मीडिया माहौल बनाता है। दिन-रात दुश्मनी और नफरत की ख़बरों से लोगों को भरता रहता है। ऐसे में जंग करना आसान हो जाता है, जिससे हथियार बिकते हैं। भारत सबसे ज़्यादा हथियार अमेरिका से और उसके बाद इज़रायल से लेता है। पेलेटगन, जिसने कश्मीर में हज़ारों को अपंग और अंधा किया , इज़रायल से आती है। पेगासस भी इज़रायल की देन है। इज़रायल और फ़िलिस्तीन की जंग में भारतीय मीडिया तेल अबीब जाता है, मगर यही मीडिया मणिपुर नहीं जाता। इज़रायल में भी युद्ध स्थल पर नहीं जाता, बल्कि होटल के बाहर हेलमेट पहनकर नाटक करता है। असली पत्रकार फ़िलिस्तीन में अल जज़ीरा के थे, जो मारे गए।”

कार्यक्रम के दूसरे चरण में अभिनेत्री फ़्लोरा बोस ने अमन के पक्ष में कविताएँ सुनाईं। विगत 8 दिसंबर 2023 को बम के हमले में मारे गए फ़िलिस्तीनी कवि रेफ़ात अल अरीर की कविता ‘अगर मुझे मरना ही है’ तथा फ़िलिस्तीनी-अमेरिकी कवि लिसा सुहैर मजाज की विनीत तिवारी द्वारा अनूदित कविता ‘क्या बोली वो?’ की भावप्रवण प्रस्तुति से दर्शकों को प्रभावित किया।

मध्य प्रदेश की ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक यात्रा के समापन कार्यक्रम में भारतीय जन नाट्य संघ, भारतीय महिला फेडरेशन, प्रगतिशील लेखक संघ और मेहनतकश की सहभागिता रही।

What's Your Reaction?
Excited
0
Happy
2
In Love
0
Not Sure
0
Silly
0
Scroll To Top