(देश के सांस्कृतिक-सामाजिक संगठनों एवं व्यक्तियों का ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था 22 राज्यों में भ्रमण कर प्रेम और भाईचारे का सन्देश दे रहा है। इसकी सातवीं कड़ी में उत्तर प्रदेश में यह पदयात्रा जालौन जनपद के लगभग 30 गाँवों में जन-संपर्क कर रही थी। 18 से 20 नवम्बर 2023 को संपन्न हुई प्रथम तीन दिन की यात्रा की रिपोर्ट पिछली कड़ी में प्रस्तुत की गयी। इस कड़ी में 21 से 23 नवम्बर तक के शेष तीन दिनों की रिपोर्ट प्रस्तुत की जा रही है। यह रिपोर्ट लिखी है उत्तर प्रदेश इप्टा के महासचिव तथा यात्रा प्रभारी शहज़ाद रिज़वी ने। फोटो एवं वीडियो साथी शहज़ाद रिज़वी के अलावा निसार अली, मणिमय मुखर्जी, आलोक बेरिया, राज पप्पन आदि साथियों ने भेजे थे।)

21 नवम्बर 2023 मंगलवार
‘समता, एकता और अखंडता को समर्पित ढाई आखर प्रेम राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा ने जालौन जनपद के विभिन्न गांवों में बहाई प्रेम और आपसी भाईचारे की लहर’ l
‘लोक गायन और नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से ग्रामीणों को दिया एकता, आपसी भाई चारे और प्रेम का संदेश’
‘घर-घर में यात्रा के जत्थे के स्वागत को आतुर दिखे ग्रामीण’
ऐतिहासिक तथ्यों को खंगाल कर जनमानस को परिचित करा रही है इप्टा की टीम’
गली, कूचे ,चौराहों तथा रास्तों में बढ़ चढ़कर लोगों की मिल रही सराहना’
वीरों और वीरांगनाओं की धरती बुंदेलखंड के जनपद जालौन में इप्टा द्वारा निकाली जा रही राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के चौथे दिन जत्था मंगलवार 21 नवम्बर को ग्राम मिनौरा स्थित घनाराम महाविद्यालय से प्रारंभ होकर अपने अगले पड़ाव ग्राम हरदोई गुर्जर की ओर चल पड़ा l
इप्टा के प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ सुभाष चंद्र द्वारा प्रस्तुत विवरण है,
हरदोई गुर्जर पहुँचने पर जत्थे में शामिल सभी पदयात्रियों का कामरेड विजय सिंह ने अपने साथियों के साथ बड़ी गर्मजोशी से स्वागत किया l सर्वप्रथम जत्था मुख्य मार्ग स्थित डॉ.भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थल पर पहुंचा, जहां प्रदेश यात्रा समन्वयक एवं राज्य महासचिव शहज़ाद रिज़वी ने माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया l जत्थे का अगला पड़ाव इंटर कॉलेज हरदोई गुर्जर था।

जहां लखनऊ इप्टा ने इच्छा शंकर के निर्देशन में नुक्कड़ नाटक ‘गिरगिट’ एवं छत्तीसगढ़ इप्टा से यात्रा में शामिल साथी निसार अली के निर्देशन में “ढाई आखर प्रेम” नुक्कड़ नाटक के मंचन के साथ जनगीतों की प्रस्तुति की गई l कालेज के प्रधानाध्यापक वीर सिंह चौहान, बालमुकुंद समाधिया, दीपक अग्निहोत्री, विजय रावत, अखिलेश मिश्रा, राम रतन, विकास, अरुण कुमार सेंगर, राजेश मिश्रा, अनिल पांडे, विष्णु कांत दीक्षित, महेंद्र पाल, विनोद चंद्र मिश्रा, श्याम बहादुर, राजीव नारायण मिश्रा सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे l


तत्पश्चात यात्रा का जत्था गांव में भ्रमण के लिए निकला, जहाँ गाँव की गलियों, चौराहों के अलावा कन्या प्राथमिक विद्यालय में नुक्कड़ नाटक एवं लोकगीतों की प्रस्तुतियाँ हुईं l इस अवसर पर प्रधान अध्यापक रविंद्र शाक्यवार, रोहिणी द्विवेदी, कीर्ति मिश्रा, प्रीति गुप्ता ने इस यात्रा को सामाजिक सौहार्द्र की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। पुन: जत्था उस स्थान पर पहुँचा, जहाँ महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई ने काल्पी से ग्वालियर जाते वक़्त एक रात गुज़ारी थी। खार खाए अंग्रेजों ने रानी लक्ष्मी बाई को शरण देने वाले 19 लोगों को पेड़ पर फांसी पर लटका दिया और उस गढ़ी को भी, जहाँ रानी लक्ष्मी बाई ने विश्राम किया था उसे भी ध्वस्त कर दिया l विवरण सुनिए,
इस ऐतिहासिक स्थल पर पहुँचने से पूर्व ग्रामीणों के साथ विचार साझा हुए तो वहीं कलाकारों द्वारा प्रस्तुत नुक्कड़ नाटक और लोक गायन ने ग्रामवासियों को जनपद के इतिहास की जानकारी के साथ-साथ प्रेम और सौहार्द्र के रंगों से सराबोर कर दिया l इस दौरान जगह-जगह यात्रा के जत्थे का ग्रामीणों द्वारा खुले दिल से स्वागत-सत्कार कर अपनत्व का एहसास कराया गया। दोपहर उपरांत ग्रामवासी विजय सिंह राठौड़ और उनके परिजनों श्रीमती गीता राठौर, रिंकी राठौर, पूनम राठौर, खुशी राठौर, नैंसी राठौर ने यात्रा के जत्थे को अपने ही आवास पर दोपहर का भोजन कराया l ग्राम हरदोई गुर्जर के ग्राम प्रधान रविंद्र कुमार अहिरवार ने राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा को सामाजिक बदलाव का सूचक और प्रेरक बतलाया।


यात्रा के अंतिम पड़ाव झलकारी बाई जयंती की पूर्व संध्या पर उरई में स्थापित उनके प्रतिमा स्थल पर जनगीत, नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किये गए l ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार झांसी से 10 कि०मी० स्थित भोजला ग्राम के किसान एवं दलित परिवार में जन्मी झलकारी ने बचपन में खेतों में घास काटते समय खूँखार शेर का हँसिये से मुकाबला किया था और उसे मार दिया था l बालिका झलकारी की वीर गाथा जब रानी लक्ष्मी बाई ने सुनी तो उसे अपने महल में बुला कर सम्मानित किया और अपनी अंगरक्षक महिला सेना में शामिल कर लिया l कहा जाता है कि झलकारी बाई की शक्ल सूरत रानी लक्ष्मी बाई से बहुत मिलती जुलती थी l 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम में युवा झलकारी ने रानी के साथ कंधे से कंधा मिला कर अंग्रेजी फौज से लोहा लिया और खुद को रानी के रूप में पेश करते हुए अंग्रेजी सेना को चकमा देकर रानी लक्ष्मी बाई को सुरक्षित निकाल लिया l इस प्रकार रानी की रक्षा करते हुए झलकारी ने अपने प्राणों का बलिदान दे दिया l

*चौथे दिन की यात्रा की कुछ विशेष झलकियां*
- राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा- ढाई आखर प्रेम के’ जब ग्राम हरदोई गुर्जर पहुंची तो यात्रा के जत्थे का स्वागत करने के लिए आए कामरेड विजय सिंह राठौड़ अपने परिवार में आयोजित विवाह समारोह के बाद भी जत्थे का स्वागत करने के लिए खुद को रोक ना सके और न सिर्फ उन्होंने आदर सत्कार किया बल्कि अपने परिवार जनों के साथ पर्याप्त समय देकर एहसास कराया कि उनके लिए यह यात्रा कितनी महत्वपूर्ण है।
- बुंदेलखंड की संस्कृति से ओतप्रोत ग्रामीणों ने छत्तीसगढ़ के नाचा गम्मत कलाकार के मुख्य अभिनेता निसार अली और उनके साथी आलोक बेरिया तथा देवनारायण साहू से अपने विचार साझा किये।
- स्कूली बच्चों के लिए यादगार रहे छत्तीसगढ़ के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत नुक्कड़ नाटक देखकर कुछ बच्चों ने कहा कि उन्हें नाटक देखकर बहुत आनंद आया। यहाँ तक कि छत्तीसगढ़ के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत लोकगीत को बच्चों ने स्वयं अपने स्वर देकर अपने समर्पित भाव को दर्शाया।
- इप्टा लखनऊ के कलाकारों की ‘गिरगिट’ नाटक की प्रस्तुति के दौरान कलाकारों के अभिनय की जगह-जगह हुई भूरि भूरि प्रशंसा।
- यात्रा में प्रदेश समन्वयक एवं राज्य महासचिव शहज़ाद रिज़वी स्थानीय यात्रा संयोजक देवेंद्र शुक्ला, उरई इप्टा के सचिव दीपेंद्र सिंह , राष्ट्रीय समिति सदस्य-राज पप्पन, प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ सुभाष चन्द्रा, डॉ धर्मेंद्र कुमार, संजीव गुप्ता, संतोष, अमजद आलम छत्तीसगढ़ की नाचा गम्मत के कलाकार निसार अली,आलोक बेरिया, देवनारायण साहू ,इप्टा लखनऊ के अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव , इच्छा शंकर , विपिन मिश्रा , वैभव शुक्ला, तन्मय, हर्षित शुक्ला, हनी खान , अंकित यादव , प्रदीप तिवारी एवं राहुल पांडे आदि सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
22 नवम्बर 2023 बुधवार
‘सांस्कृतिक जत्थे ने कोंच पड़ाव में प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी एवं वामपंथी विचारक ठाकुरदास वैद्य के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजली अर्पित की l

ढाई आखर प्रेम राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के उत्तर प्रदेश पड़ाव की पांचवें दिन की शुरुआत जालौन जिले के कोंच तहसील मुख्यालय से हुई l किंवदंतियों के अनुसार कस्बे का नाम किन्हीं क्रौंच ऋषि से जुड़ा हुआ है l लेकिन यह ऐतिहासिक युद्ध-स्थली रहा है। सबसे अधिक संघर्ष 1857 में अंग्रेज़ों और क्रांतिकारियों के मध्य कोंच में हुआ l बारहवीं सदी में जहाँ पृथ्वीराज चौहान और आल्हा ऊदल के बीच भयानक और निर्णायक युद्ध हुआ था, वहीं 1857 के संग्राम में झांसी की रानी ने यहाँ अंग्रेज़ी फौज के दाँत खट्टे किए थे l
डॉ सुभाष चंद्र द्वारा प्रस्तुत विवरण है,
उल्लेखनीय है कि यह यात्रा कामरेड ठाकुरदास वैद्य की जन्म शताब्दी को समर्पित है। कोंच ठाकुरदास वैद्य की कर्मस्थली रही है l वे केवल स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं थे, बल्कि उन्होंने सपत्नीक भूमिगत रहकर वामपंथी आंदोलन का नेतृत्व किया, कस्बे में तीन दशक पूर्व मथुरा प्रसाद महाविद्यालय की स्थापना की और लंबे समय तक उसके प्राचार्य रहे l वह प्रदेश में माध्यमिक शिक्षक संघ के संस्थापक सदस्य रहे l उन्होंने कोंच में इप्टा की इकाई कायम की और आखिरी सांस तक इप्टा का मार्गदर्शन किया l वैद्य जी ने कोंच और उरई इप्टा की टीमों का नेतृत्व करते हुए एक सप्ताह तक जिले के डेढ़ दर्जन गाँवों की पदयात्रा की और गाँव-गाँव, गली-गली इप्टा का संदेश पहुंचाया था। आज उसी विरासत को सँजोते और आगे बढ़ाते हुए इप्टा के नेतृत्त्व में प्रदेश में जारी सांस्कृतिक यात्रा के जत्थे के अगले पड़ाव का गवाह कोंच नगर में आनंद शुक्ला महिला महाविद्यालय बना l

यहाँ प्रदेश यात्रा समन्वयक एवं राज्य महासचिव इप्टा शहज़ाद रिज़वी ने यात्रा के बारे मे विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि यह यात्रा महान क्रांतिकारी अमर शहीद तात्या टोपे की कर्मभूमि जनपद के ग्राम चुर्खी से 18 नवंबर को शुरू की गई थी, जो जनपद के विभिन्न गाँवों का भ्रमण करते हुए आज पाँचवें दिन कोंच में पहुँची है। इस यात्रा का उद्देश्य देश की ‘साझा संस्कृति-साझा विरासत’ को मजबूत बनाना है ताकि प्रेम और सौहार्द्र भावना के साथ देश में समता और एकता को स्थापित किया जा सके l
इसी क्रम में यात्रा के स्थानीय संयोजक देवेंद्र शुक्ला ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत विविधता का देश है और यही इसकी सबसे बड़ी खूबसूरती है, जिसे बरकरार रखते हुए मजबूती दिलाना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है l इस अवसर पर छत्तीसगढ़ से पधारे इप्टा के प्रांतीय अध्यक्ष मणिमय मुखर्जी ने जनगीत प्रस्तुत किए l
छत्तीसगढ़ से नाचा गम्मत के कलाकार के द्वारा प्रस्तुत नुक्कड़ नाटक का मंचन काफी प्रभावशाली रहा l इसी क्रम में जत्थे में शामिल सभी कलाकारों ने मिलकर इप्टा का आवाहन गीत -“ढाई आखर प्रेम का पढ़ने पढ़ाने आए हैं, हम भारत में नफरत के हर दाग़ मिटाने आए हैं” को बेहद खूबसूरत ढंग से प्रस्तुत किया। तत्पश्चात स्थानीय सांस्कृतिक संस्था की अवनी दीक्षित और हिमानी राठौर के देशभक्ति गीतों ने इस कदर समां बांधा कि वहां मौजूद लोगों में मंत्रमुग्धता के भाव स्पष्ट तौर पर नजर आए l उपस्थित लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच छत्तीसगढ़ के नाचा गम्मत कलाकार निसार अली आलोक बेरिया और देवनारायण साहू भी अपने नुक्कड़ नाट्य प्रदर्शन ज़रिये न सिर्फ अपने संदेश को प्रभावी ढंग से लोगों के दिल-दिमाग तक पहुँचाया बल्कि उनके बेहद आकर्षक मनोभावों ने सभी को झकझोर डाला।
इस मौके पर आनंद शुक्ला महिला महाविद्यालय कोंच के प्रबंधक विक्कू शुक्ला, प्राचार्य डॉ शैलेंद्र कुमार द्विवेदी को यात्रा समन्वयक शहज़ाद रिज़वी, छत्तीसगढ़ इप्टा के प्रांतीय अध्यक्ष मणिमय मुखर्जी, स्थानीय यात्रा संयोजक देवेन्द्र शुक्ला, राज पप्पन आदि उरई इप्टा के साथियों ने कार्यक्रम के आयोजकों को ढाई आखर प्रेम की यात्रा का प्रतीक अंग वस्त्र पहनाकर सम्मानित किया। इस दौरान डॉ.नौशाद हुसैन, डॉ. अखिलेश, विक्रम सोनी, डॉ. हरिमोहन पाल, आलोक शर्मा, अंजना द्विवेदी, ऋतु रावत, आकाश निगम, डॉ. गौरव श्रीवास्तव, नरेंद्र परिहार, विजय सिंह, मृदुल दातरे, प्रेम शंकर अवस्थी, अंकुर राठौर, ट्रिंकल राठौर, मानवेंद्र कुशवाहा, यूनुस मंसूरी, निखिल कुशवाह, दानिश आदि मौजूद रहे।
इसके उपरांत जत्थे के साथियों का दल कोंच नगर के भ्रमण पर निकल पड़ा, जहाँ नगरवासियों ने पदयात्रियों का बड़े उत्साह और गर्म जोशी के साथ जगह जगह स्वागत किया l कोंच में ही यात्रा-मार्ग में इप्टा के संरक्षक और कोंच निवासी टी.डी. वैद्य की जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने जत्था उनके प्रतिष्ठान गैस एजेंसी पहुँचा, जहाँ जत्थे में शामिल सभी साथियों ने स्वतन्त्रता सेनानी एवं वामपंथी विचारक टी.डी. वैद्य और उनकी पत्नी के चित्र के सामने दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण किया।



भ्रमण करने के उपरांत जत्था अगले पड़ाव के लिए रवाना हुआ। वास्तविक भारत गाँव में बसता है, इस बात की प्रामाणिकता को धरातल पर साबित किया है जनपद जालौन के मध्य प्रदेश राज्य की सीमा से सटे ग्राम महेशपुरा ने l यात्रा जत्थे के गांव की सीमा में पहुँचने पर ग्राम प्रधान राम प्रकाश कुशवाहा ने यात्रा दल का ज़ोरदार स्वागत किया।
इसके उपरांत गाँव के ही मार्ग पर इप्टा लखनऊ और छत्तीसगढ़ के नाचा गम्मत कलाकारों द्वारा विभिन्न नुक्कड़ नाटक और लोकगीत प्रस्तुत कर बच्चे युवा और महिलाओं तथा बुजुर्गों को इस कदर आकर्षित किया कि वहाँ बड़ी संख्या में लोग कलाकारों की प्रस्तुति देखने के लिए आतुर दिखाई दिए। बाद में जब यात्रा का जत्था विश्व प्रसिद्ध विद्वान राहुल सांकृत्यायन की संस्कृत शिक्षा स्थली कहे जाने वाले गाँव में स्थित उनके द्वारा स्थापित संस्कृत पाठशाला स्थल पर पहुँचा।
लखनऊ इप्टा के अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव बता रहे हैं,
यहाँ महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने अपने प्रवास के दौरान काफी वक़्त बिताया था और यहाँ संस्कृत विद्यालय की स्थापना कर इस गाँव को इतिहास का हिस्सा बनाकर अविस्मरणीय सौगात दी।

राहुल सांकृत्यायन द्वारा स्थापित पाठशाला की हालत बहुत दयनीय है, तस्वीर गवाह है,

महेशपुरा में एक प्रकार का अलौकिक एहसास जत्थे में शामिल सभी लोगों को हुआ l सर्वप्रथम तो महेशपुरा ग्राम के प्राकृतिक सौंदर्य और आबोहवा ने सभी के अंदर इस कदर उत्साह और स्फूर्ति भर दी कि हर कोई अपनी यात्रा की थकान को पूरी तरह से भूलकर सिर्फ वहाँ के ऐतिहासिक स्थलों और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थानों को देख कर आश्चर्यचकित रह गया। राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के सभी साथियों ने उनके चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
पहूज और धमना के संगम स्थल महेशपुरा में दिखी अद्भुत तस्वीरें
पहूज और धमना दो नदियों के संगम स्थल के बीहड़ में बसा महेशपुरा गाँव यूँ तो जिले की सीमा का अंतिम गाँव है, यह गाँव मध्य प्रदेश राज्य के भिंड जिले की सीमा से जुड़ा हुआ है, लिहाजा यहाँ की संस्कृति में बुंदेलखंड के दतिया, भिंड और जालौन का असर स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है।

देश के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के महत्व को आम जनता तक पहुँचाने और देश में प्रेम, भाईचारे, आपसी सौहार्द्र और एकता स्थापित करने की मंशा से निकाली जा रही राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा ‘ढाई आखर प्रेम’ के जत्थे में शामिल सभी साथी जब उन स्थानों का भ्रमण करने पहुँचे तो आश्चर्यचकित रह गए कि वहाँ एक दो नहीं, कई अद्भुत और चौंकाने वाले दृश्य उनके सामने आए।
छत्तीसगढ़ इप्टा के साथी आलोक बेरिया ने क्षेत्र का वीडियो भेजा था,
गाँव के समीप प्राकृतिक पाताल तोड़ कुएँ, प्राकृतिक जल स्रोत झरने के तौर पर नजर आए l ग्रामवासी यशपाल सिंह राठौड़ ने बताया कि ये झरने अनवरत रूप से बहते हैं । ग्राम प्रधान राम प्रकाश कुशवाहा, कंचन कुशवाहा, पान सिंह वर्मा एवं राजेंद्र कुशवाहा आदि ने गांव से जुड़ी अन्य रोचक जानकारियाँ दीं। उन्होंने बताया कि यहाँ संस्कृत पाठशाला के समीप स्थित विशालकाय बरगद का पेड़ लगभग 400 वर्ष पुराना है l
यात्रा के पांचवें दिन की झलकियां
- लोकगीत गायन और नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति के दौरान महेशपुरा की लगभग 75 वर्षीय वृद्ध महिला, कलाकारों की प्रस्तुति से इस कदर प्रभावित दिखलाई दीं कि उन्होंने अपने घूँघट से चेहरा थोड़ा बाहर निकालते हुए समीप बैठे लगभग 60-65 वर्षीय देवर से मज़ाकिया लहजे में कहा कि, यह सब तो तुम भी कर सकते हो! करते काहे नही? — जिस खूबसूरत भाव के साथ उन्होंने यह अभिव्यक्त किया, हमें बड़ी खुशी और संतुष्टि का एहसास हुआ। ऐसा लगा जैसे हमें यात्रा का हासिल मिल गया हो l
- नुक्कड़ नाटक और लोकगीतों की प्रस्तुति के दौरान एक दृश्य ऐसा भी देखने को मिला कि कार्यक्रम की समाप्ति से कुछ ही समय पहले एक महिला तेज कदमों के साथ आई और पूछने लगी कि क्या अभी कार्यक्रम चल रहा है! उसने बताया कि वह अपने घर के काम में व्यस्त थी, जब उसे पता चला कि बहुत अच्छे कार्यक्रम हो रहे हैं तो वह खुद को रोक न सकी और यहाँ चली आई।
- जंगल में मंगल वाली बात महेशपुरा में उस वक्त पूरी तरह से चरितार्थ हुई जब देर शाम ग्राम प्रधान राम प्रकाश ने घने जंगल के बीच यात्रा में शामिल लोगों को चने का साग और बाजरा की रोटी गुड तथा दाल के साथ भोजन में परोसी। भोजन इतना स्वादिष्ट था कि हर कोई खुले दिल से तारीफ किए बिना न रह सका। मन जब अधिक प्रसन्न होता है तो व्यक्ति को थकान महसूस नहीं होती। ऐसा ही उस वक्त देखने को मिला, जब यात्रा में शामिल लोगों ने प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण महेशपुरा में वहाँ के ग्रामीणों के साथ प्रेम और सौहार्द्र की एक नई परिभाषा को रचते हुए देखा। जब स्थानीय लोग यात्रा में शामिल लोगों के स्वागत-सत्कार में तो जुटे थे ही, साथ ही वे देर शाम गाँव से दूर जत्थे को विदा करने के लिए गाँव की सरहद तक आए, तो सभी भावविभोर हो गए l


महेशपुरा से यात्रा ने अपने अगले पड़ाव उरई पहुँच कर भोजनोपरांत रात्रि विश्राम किया l सांस्कृतिक यात्रा के काफिले में प्रदेश समन्वयक एवं राज्य महासचिव शहज़ाद रिज़वी, छत्तीसगढ़ इप्टा के प्रांतीय अध्यक्ष मणिमय मुखर्जी, स्थानीय यात्रा संयोजक देवेंद्र शुक्ला, उरई इप्टा के सचिव दीपेंद्र सिंह, राष्ट्रीय समिति सदस्य राज पप्पन, प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ सुभाष चन्द्रा, डॉ धर्मेंद्र कुमार, संजीव गुप्ता, संतोष, अमजद आलम छत्तीसगढ़ की नाचा गम्मत शैली के कलाकार निसार अली, आलोक बेरिया, देवनारायण साहू, इप्टा लखनऊ के अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव, इच्छा शंकर, विपिन मिश्रा, वैभव शुक्ला, तन्मय, हर्षित शुक्ला, हनी खान, अंकित यादव, प्रदीप तिवारी एवं राहुल पांडे सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
23 नवम्बर 2023 गुरुवार
यूँ ही हमेशा उलझती रही है ज़ुल्म से ख़ल्क़
न उनकी रस्म नई है न अपनी रीत नईl
यूँ ही हमेशा हमने खिलाये हैं आग में फूल
न उनकी हार नई है न अपनी जीत नई ll
– फैज़ अहमद फैज़

‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के आखिरी दिन उरई नगर में यादगार गतिविधियाँ हुईं। शताब्दी वर्ष पर नगर की दो महान शख्सियतों स्वर्गीय श्री धनीराम वर्मा एडवोकेट और मशहूर शायर बख्तियार मशरिकी को याद कर श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई।

राष्ट्रीय सांस्कृतिक संगठनों के आवाहन पर देशव्यापी तौर पर निकाली जा रही ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के उत्तर प्रदेश पड़ाव के अंतर्गत जनपद जालौन के विभिन्न शहरी और ग्रामीण अंचलों का भ्रमण करने के उपरांत अपने छठें एवं समापन दिवस पर मुख्यालय स्थित आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज, श्री गांधी इंटर कॉलेज और सुमन शिक्षण नि:शुल्क फाउंडेशन में बौद्धिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर जहाँ एक ओर नगर के लिए एक यादगार एहसास छोड़ दिया, वहीं यात्रा का मूल संदेश प्रेम, भाईचारा और राष्ट्रीय एकता को बढ़ाने की मंशा पर भी यात्रा के जत्थे ने जनमानस को वैचारिक और हृदय के धरातल तक झकझोर दिया।

जनपद के पश्चिमी सीमावर्ती कोंच तहसील के पहूज बीहड़ पट्टी के ग्राम महेशपुरा में विश्व प्रसिद्ध विद्वान एवं भाषाविद राहुल सांकृत्यायन की संस्कृत शिक्षा स्थली पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने के उपरांत यहां मुख्यालय पहुंची यात्रा ने इप्टा उरई के उपाध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र कुमार के आवास पर रात्रि भोजन एवं विश्राम किया। 23 नवम्बर की सुबह राष्ट्रीय समिति के सदस्य राज पप्पन एवं उनकी जीवन साथी व प्रांतीय उप महासचिव डॉ स्वाति राज द्वारा स्वल्पाहार कराने के उपरांत जत्थे के सभी साथी नगर में यात्रा के लिए तैयार हुए।

सर्वप्रथम श्री गांधी इंटर कॉलेज में छात्र-छात्राओं के बीच राष्ट्रीय एकता और प्रेम-सद्भाव को समाज की पहली आवश्यकता जताते हुए विचार साझा किया गया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के नाचा-गम्मत कलाकार निसार अली, आलोक बेरिया और देवनारायण साहू द्वारा खूबसूरत नाटक “ढाई आखर प्रेम” का मंचन किया गया। तदोपरांत लखनऊ इप्टा की टीम ने “गिरगिट” नाटक का मंचन कर उपस्थित छात्र-छात्राओं और बुद्धिजीवियों के मस्तिष्क पटल पर अपनी छाप छोड़ दी।

इस अवसर पर श्री गांधी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य देवेंद्र कुमार झा, अमृतलाल नागर, शैलेश कुमार, अशोक कुमार सिंह, जितेंद्र वर्मा, लेफ्टिनेंट रामकेश, मनोज राजपूत, मिथलेश त्रिवेदी, प्रदीप दीक्षित, देवेंद्र गुप्ता, शिवमंगल प्रजापति, ओम प्रकाश पासवान, रमेश, सत्येंद्र त्रिपाठी ने कलाकारों के उत्कृष्ट अभिनय की जमकर प्रशंसा की। वहीं इस यात्रा को देश और समाज के लिए प्रेरणास्पद जन-चेतना की पहल बतलाया।

इसी क्रम में नगर के आचार्य नरेंद्र देव इंटर कॉलेज में इप्टा की टीम ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ लोक गायन और देश के मौजूदा सामाजिक परिवेश पर विचार साझा करते हुए राष्ट्रीय एकता और भाईचारे की भावना को जन-जन के बीच पहुँचाने की ज़रूरत पर बल दिया। इस मौके पर विद्यालय के प्रधानाचार्य पुनीत कुमार भारती, सुरेंद्र पांडे, कपूर कुमार गौतम, वीरेंद्र कुमार उमरी, शिवानी कुशवाहा, रजनी अहिरवार, अरविंद निरंजन, शिव नरेश त्रिपाठी, शहनाज परवीन एवं आशुतोष श्रीवास्तव मुख्य रूप से मौजूद रहे ।

देर शाम स्लम एरिया स्थित सुमन शिक्षण नि:शुल्क फाउंडेशन परिसर में छत्तीसगढ़ के नाचा गम्मत कलाकारों एवं लिटिल इप्टा उरई द्वारा राज पप्पन के निर्देशन में ‘गांधी’ नाटक एवं जनगीतों की बेहतरीन प्रस्तुति की गयी। नाटक में भाग लिया – कृष, योगेश, देवांश, शिव, प्रिया, मुकेश, रक्षा, भूपेन्द्र, रोशन, दीपिका ने। इस अवसर पर शिवांगी दीक्षित, अपर्णा पटेल, दीपक राजपूत, रूपाली, मोहित शर्मा, अभिनव शर्मा सहित सैकड़ो छात्र-छात्राएँ मौजूद रहे ।

‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के छठें एवं समापन दिवस पर नगर की दो महान शख्सियतों को उनकी शताब्दी वर्ष के उपलक्ष में जत्थे के साथियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए । यात्रा का समापन स्वर्गीय धनीराम वर्मा के आवास पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ समारोह पूर्वक संपन्न हुआ। कार्यक्रम के अंत में जत्थे में शामिल सभी साथियों को प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ सुभाष चंद्र ने अपने आवास पर रात्रिभोज एवं ‘ढाई अक्षर प्रेम’ का प्रतीक गमछा ओढ़ा कर विदा किया ।

6 दिन की लगातार पदयात्रा में विभिन्न गाँवों, हाटों, बाज़ारों, नुक्कड़ों, क़स्बों में लगातार प्रस्तुतियों के प्रदर्शन के बाद भी जत्थे के सभी साथियों का जोश और उत्साह देखते बन रहा था। कहीं किसी के चेहरे पर थकावट के दूर दूर तक कोई निशान नहीं। सबकी आँखों में चमक का एहसास साफ-साफ झलक रहा था।
इस ऐतिहासिक और यादों में समा जाने वाले पल को सहारा दिया महान कथा शिल्पकार , शायर डॉ राही मासूम राजा की इन पंक्तियों ने – इस सफर में नींद ऐसी खो गईं, हम ना सोए रात थक कर सो गई।

यात्रा में प्रदेश समन्वयक एवं राज्य महासचिव शहज़ाद रिज़वी , छत्तीसगढ़ इप्टा के प्रांतीय अध्यक्ष मणिमय मुखर्जी, स्थानीय यात्रा संयोजक देवेंद्र शुक्ला, उरई इप्टा के सचिव दीपेंद्र सिंह , राष्ट्रीय समिति सदस्य-राज पप्पन, प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ सुभाष चन्द्रा, डॉ धर्मेंद्र कुमार, संजीव गुप्ता, संतोष, अमजद आलम छत्तीसगढ़ की नाचा गम्मत शैली के कलाकार निसार अली, आलोक बेरिया, देवनारायण साहू, इप्टा लखनऊ के अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव, इच्छा शंकर, विपिन मिश्रा, वैभव शुक्ला, तन्मय, हर्षित शुक्ला, हनी खान, अंकित यादव, प्रदीप तिवारी एवं राहुल पांडे सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
मणिमय मुखर्जी, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ इप्टा की टिप्पणी
ढाई आखर प्रेम यात्रा की उत्तर प्रदेश में अंतिम दो दिन शामिल होने का सुअवसर प्राप्त हुआ। यात्रा के उद्देश्य को लेकर बहुत सारी बातें, बहुत सारे गीत, बहुत सारे नाटक और बहुत सारा ज्ञान लेने और देने की प्रक्रिया हो रही है। हम अपने उद्देश्य में कहाँ तक सफल हो पाते हैं, ये तो मैं नहीं कह सकता। पर जब प्राईमरी से लेकर इंटर तक के बच्चों ने ये नारा पूरी निष्ठा और दृढ़ता के साथ लगाया,
“जंग और नफ़रत मुर्दाबाद
प्यार मोहब्बत जिन्दाबाद”
तब हमारे रोंगटे खड़े हो गए और मन में ये विश्वास भी जागा कि वो सुबह कभी तो आएगी….
हम तब और ज्यादा आश्वस्त होते हैं जब गाँव की महिलाएँ अपनी सारी रुढ़िवादी परंपरा के बावजूद घूँघट की ओट से हमारी बातों को गौर से सुनकर समझ रही थीं और हमारे काम की अप्रत्यक्ष रूप से सराहना कर रही थीं।


हम सब तब भी आश्वस्त हुए, जब इंटर कॉलेज की लड़कियां मेरे साथ
भिन्न बुनाई, भिन्न विभिन्न बुनाई
भाषा भिन्न, पहनावा भिन्न
भिन्न धर्म है, भिन्न भिन्न रसोई
फिर देखो भिन्नता में भी
हमने एकता सिखाई…
गीत गाने लगीं।

ऐसे समय में जब हम अपने बुजुर्गों से बातचीत नहीं करना चाहते, उन्हें सुनना नहीं चाहते और शायद वो अब उम्मीद भी छोड़ चुके हैं कि समाज में कोई उन्हें सुने। परन्तु हमारे आग्रह पर नब्बे पार के बुजुर्गों ने ‘ढाई आखर प्रेम यात्रा’ को विस्तार देते हुए कबीर की बहुत सारी वाणी जोड़ दी।
इन सबका महत्व मेरे लिए तब और यादगार हो जाता है जब यह विद्वान राहुल सांकृत्यायन के शिक्षा स्थान महेशपुरा के ऐतिहासिक स्थान पर हो रहा हो।
भारत का हृदय इक्कीसवीं सदी में भी गांव में ही बसता है ।प्यार, मोहब्बत, भाईचारा, एकजुटता ये सब गांव से ही सीखने मिलेगा। हमारे मुहिम को खाद-बीज-पानी सब कुछ यहीं से मिलेगा। कोंच, जालौन, उरई, महेशपुरा में यात्रा करते हुए मुझे ऐसा महसूस हुआ।
यात्रा के दौरान महेशपुरा के ऐतिहासिक स्थान पर वरिष्ठ नागरिक महिला-पुरुषों द्वारा मिलकर तैयार किया गया स्वदिष्ट देसी भोजन, उसके बाद लेखनी-देखनी, दिमाग-शरीर सब तृप्त —
उत्तर प्रदेश के साथियों को शानदार उदाहरण सामने रखने के लिए सलाम !!!
