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उत्तर प्रदेश में आज़ादी के महानायकों को याद करते हुए ‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा जारी

उत्तर प्रदेश में आज़ादी के महानायकों को याद करते हुए ‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा जारी

(28 सितम्बर 2023 से 30 जनवरी 2024 तक देश के 22 राज्यों में अपनी बहुसांस्कृतिक विरासत को पुख़्ता करने के लिए अनेक सांस्कृतिक-सामाजिक संगठनों द्वारा ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक पदयात्रा का आयोजन किया गया है। अब तक राजस्थान, बिहार, पंजाब, उत्तराखंड, ओडिशा और जम्मू में सांस्कृतिक जत्था जन-संपर्क कर प्रेम और सद्भाव का सन्देश प्रसारित कर चुका है। यह पदयात्रा हरेक प्रदेश के किसी चुने हुए क्षेत्र में 5-6 दिन पैदल यात्रा कर स्थानीय निवासियों को अपने सांस्कृतिक कार्यक्रमों और परस्पर बातचीत के माध्यम से संवाद की कोशिश कर रही है। साथ ही उस स्थान के ऐतिहासिक, सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक महत्व को जानने-समझने की कोशिश कर रही है। 18 नवम्बर से 23 नवम्बर 2023 तक उत्तर प्रदेश में संपन्न हो चुकी पदयात्रा की रिपोर्ट यहाँ दो कड़ियों में प्रस्तुत की जा रही है। रिपोर्ट, फोटो एवं वीडियो शहज़ाद रिज़वी, निसार अली द्वारा प्राप्त हुए हैं।)

18 नवम्बर 2023 शनिवार

समाज में प्रेम, भाईचारा और सामाजिक सद्भाव बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्तर पर अनेक सांस्कृतिक-सामाजिक संस्थाओं द्वारा ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक पदयात्रा 18 नवंबर 2023 से उत्तर प्रदेश में प्रारंभ की गई। यह ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक पदयात्रा का सातवाँ राज्य है।

बुंदेलखंड के जनपद जालौन में इस राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा का प्रारंभ आजादी के उन महानायकों को याद करते हुए प्रारंभ हुआ, जिन्होंने 1857 की क्रांति में न सिर्फ अपना बलिदान दिया बल्कि अंग्रेजों को अपने शौर्य और पराक्रम से लोहे के चने चबाने को मजबूर कर दिया। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और उनके अनन्य साथी तात्या टोपे की कर्मभूमि कहे जाने वाले जालौन के चुर्खी गांव से प्रारंभ हुई यात्रा ने दिन भर आधा दर्जन से अधिक गांवों में पहुंचकर वहां की संस्कृति और ऐतिहासिक तथ्यों को खंगाल कर सामाजिक चेतना बढ़ाने की दिशा में लोगों को प्रेरित किया।

‘एकता’ के लोक कलाकारों ने नुक्कड़ नाटक, दिवारी नृत्य आदि कई प्रस्तुतियों से ग्रामीणों में संस्कृति और इतिहास के महत्व को रेखांकित किया। उत्तर प्रदेश इप्टा की अगुवाई में ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा की शुरुआत बुंदेलखंड के जालौन जिले के ऐतिहासिक ग्राम चुर्खी से प्रारंभ हुई।

इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसन्ना, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा, राज्य के महासचिव एवं प्रदेश यात्रा समन्वयक शहज़ाद रिज़वी तथा स्थानीय यात्रा संयोजक देवेंद्र शुक्ला सहित लखनऊ और छत्तीसगढ़ से आए इप्टा कलाकारों का जत्था प्रातः 9 बजे ग्राम चुर्खी पहुंचा।

बताया तो यह भी जाता है कि चुर्खी में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से युद्ध करते वक्त यहां एक दिन विश्राम भी किया था। उसके बाद वह ग्वालियर पहुंची थीं। मराठा परिवार के वंशज और चुर्खी निवासी अरुण कुमार ने जत्थे को उस स्थान के संदर्भ में जानकारियाँ देते हुए बताया कि आज भी वह कमरा अपने मूल रूप में है, जहां रानी लक्ष्मीबाई ने रात्रि विश्राम किया था। इसके अलावा और कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की गईं।

ग्राम चुर्खी में कई स्मारकों का भ्रमण करने के दौरान जत्थे के सदस्यों ने कंपोजिट विद्यालय में पहुंचकर वहां छात्र-छात्राओं से विभिन्न प्रकार की जानकारियां साझा कीं और इस दौरान कलाकारों द्वारा गीतों के माध्यम से अपनी संस्कृति और इतिहास को बनाए रखने के साथ-साथ समाज को प्रेम, भाईचारे और सुख-समृद्धि की ओर ले जाने का संदेश दिया। इस दौरान वहां आजादी के सपूतों के चित्रों पर माल्यार्पण भी किया गया।

इसके पश्चात जत्था ग्राम रनिया पहुंचा, जहां ग्राम प्रधान नन्हें ने जत्थे का स्वागत किया। इस दौरान ग्राम रनिया में ग्रामीणों से पता चला कि गांव के ही एक युवा रवि कुशवाहा की दुर्घटना में मृत्यु हुई है, सो जत्थे ने उस युवक को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए 2 मिनट का मौन धारण किया। उसके बाद जत्था ग्राम सोहरापुर अदा पहुंचा, जहां कंपोजिट विद्यालय में शिक्षक-शिक्षिकाओं-बच्चों तथा ग्रामीणों की मौजूदगी में दिवारी नृत्य और नाटक प्रस्तुत किए गए।

इसी क्रम में ग्राम रनिया, वेदेपुर, बिनौरा वेद, ककहरा होते हुए सांस्कृतिक यात्रा ग्राम ओंता पहुंची, जहां पूर्व ग्राम प्रधान राजपाल सिंह ने यात्रा में शामिल लोगों का स्वागत किया। इस दौरान देर शाम तक कलाकारों द्वारा दिवारी नृत्य और अन्य कई कार्यक्रमों की खूबसूरत प्रस्तुतियाँ की गईं जिन्हें ग्रामीणों ने भारी उत्साह से देखा।

सांस्कृतिक जत्थे में इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसन्ना, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा, प्रदेश यात्रा समन्वयक एवं राज्य महासचिव शहज़ाद रिज़वी के अतिरिक्त स्थानीय यात्रा संयोजक देवेंद्र शुक्ला, राज पप्पन सदस्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी, डॉ धर्मेंद्र कुमार, डॉ सुभाष चंद्र, दीपेन्द्र सिंह, निशा वर्मा, अमजद आलम, संजीव गुप्ता, प्रीती गुप्ता, नेहा, मेहरताज, लखनऊ इप्टा के अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव, क्षेत्रीय सचिव एवं संयोजक लिटिल इप्टा लखनऊ सुमन श्रीवास्तव, सोनी यादव, बबिता यादव, अंजली सिंह, दामिनी, इप्टा लखनऊ से इच्छा शंकर, विपिन मिश्रा, वैभव शुक्ला, तन्मय, हर्षित शुक्ला, हनी खान, अंकित यादव, प्रदीप तिवारी और इप्टा के अन्य सदस्य मौजूद रहे।

छत्तीसगढ़ इप्टा से (नाचा-गम्मत) निसार अली, देव नारायण साहू, आलोक बेरिया सहित स्थानीय लोक कलाकार (दिवारी नृत्य) डा० पुनीत तिवारी, शैलेन्द्र यादव, जीतू यादव, दीपू यादव, अमित यादव, कृष्णा यादव, शिवम यादव, अर्जुन कुशवाहा, संजय यादव, प्रांशु यादव सहित बड़ी संख्या में ग्रामवासियों ने शिरकत की।

19 नवम्बर 2023 रविवार

’ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के उत्तर प्रदेश चैप्टर के अंतर्गत ग्राम औंता में रात्रि विश्राम के बाद दूसरे दिन 19 नवम्बर 2023 को सुबह के सूर्योदय के साथ सर्वप्रथम जत्थे में शामिल लोगों ने सबसे पहले अपने विश्राम-स्थल की साफ सफाई की। इसी दौरान पूर्व ग्राम प्रधान राजपाल सिंह और उनके परिवार जनों ने यात्रा में शामिल लोगों को नाश्ते में चाय और गरम गरम पोहा खिलाया। उनके स्वागत-सत्कार का भाव इतना समर्पित और सेवा-भाव लिए हुए था कि जत्थे में शामिल सभी लोग गदगद हो गए।

उसके बाद जत्था गांव के भ्रमण के लिए पूरे उत्साह और जोश के साथ निकला। गांव के भीतर के टेढ़े-मेढ़े रास्तों से गुजरते हुए जब जत्था चौराहेनुमा स्थान पर पहुंचा तो वहां बच्चों और महिलाओं ने बड़ी संख्या में आकर कौतूहल के साथ कलाकारों की गतिविधियों को देखा। ग्रामवासी अनिल सिंह, विजयपाल सिंह, देवेंद्र अरुण सिंह, अनुज सिंह पवन आदि ने जत्थे के साथ-साथ चलकर अपनी सहभागिता दी, वहीं महिलाओं और बच्चों ने कलाकारों द्वारा प्रस्तुत लोकगीत और गांधी के गीतों को बड़े चाव से सुना।

इसके बाद जत्था ग्राम गुढ़ा में छत्तीसगढ़ के ’नाचा गम्मत’ शैली के कलाकार निसार अली, आलोक बेरिया और देवनारायण साहू के द्वारा प्रस्तुत नुक्कड़ नाटिका ‘दमा दम मस्त कलंदर’ और लखनऊ इप्टा के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत ’गिरगिट’ नाटक के मंचन ने गांव की फिज़ा बदल दी, जब बड़ी संख्या में बच्चे, महिलाएं और गांव के बुजुर्ग चौराहे पर प्रस्तुतियां देखने के लिए उमड़े और उन्होंने हर एक प्रस्तुति पर जमकर तालियां बजाकर कलाकारों का उत्साहवर्धन तो किया ही, साथ ही साथ जब उनसे पूछा गया कि उन्हें इस यात्रा से क्या महसूस हुआ तो कुछ लोगों का कहना था कि इस यात्रा में शामिल लोगों ने उन्हें जो संदेश दिया है वह बेहद ही प्रभावशाली है। यह यात्रा देश और समाज को भाईचारे और एकता की भावना से जोड़ती है।

नाटक ‘गिरगिट’ के मंचन के दौरान बच्चों की जीवंत प्रतिक्रिया देखिये,

रंगारंग कार्यक्रमों के आयोजन के उपरांत यात्रा का जत्था अगले गांव की ओर कूच कर गया। सड़क पर शहीदों के नारे एक बार फिर से आने-जाने वाले लोगों को अपनी और स्वाभाविक ढंग से आकर्षित करने लगे। यात्रा में शामिल लोगों में थकान के बावजूद भी उत्साह बरकरार दिखाई दिया। जत्था ग्राम चक जगत देवपुर में विशाल वट वृक्ष के नीचे पहुँचा। यात्रा का स्वागत करने के लिए महेंद्र कुमार गौतम अध्यक्ष रामो बामो क्लब, कालपी के ग्राम प्रधान, किरतपुर व्यास मंदिर के पवन निषाद, नरेंद्र कुमार तिवारी अध्यक्ष कागज उद्योग कालपी के द्वारा जत्थे में शामिल लोगों को भोजन कराया गया। इस बीच यात्रा में शामिल पदाधिकारियों और ग्रामीणों के बीच परस्पर बातचीत की गई। लिटिल इप्टा के कलाकारों ने लोक शैली पर आधारित गीत और भजन प्रस्तुत कर वहां के लोगों में उत्साह भर दिया। छत्तीसगढ़ के कलाकार यहां भी अपना दबदबा कायम करने में कामयाब रहे और उन्होंने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दीं। ग्राम चक जगत देवपुर निवासी रामशंकर पाल चक्की वाले ने बताया कि उन्हें पहली बार इस तरह की यात्रा गांव में देखने को मिली, जिसमें एकता और भाईचारे की भावना के बीच राष्ट्रप्रेम को दर्शाया गया है। उनका कहना था कि इसका असर ग्रामीणों पर सहज भाव से पड़ा है।

‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के दूसरे दिन का रात्रि पड़ाव जिला मुख्यालय उरई में विभिन्न कार्यक्रमों के बाद कोच रोड में किया गया। इससे पूर्व जत्थे में शामिल यात्रा के सहभागियों ने नगर के विभिन्न स्थानों पर भ्रमण करते हुए शहीदों के स्मारक स्थलों पर पुष्प अर्पित किए। जिला परिषद समिति स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के पश्चात पटेल की प्रतिमा और फिर आंबेडकर चौराहे पर स्थित डॉ भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा पर भी माल्यार्पण किया गया। तत्पश्चात नगर के मध्य स्थित गांधी चबूतरे पर कलाकारों द्वारा दिवारी नृत्य प्रस्तुत किया गया। इसके अलावा विभिन्न लोक शैली पर आधारित गीत प्रस्तुत कर एकता, भाईचारे और प्रेम का संदेश दिया गया। इसी क्रम में जत्था शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के स्मारक स्थल पर पहुंचा, जहां ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ की गूंज ने माहौल में जमकर जोश और उत्साह भर दिया। यहां शहीदों के नारे और गीतों की गूंज के बीच जत्थे ने नगर के कोच बस स्टैंड के समीप स्थित झलकारी बाई के स्मारक स्थल पर पुष्प अर्पित करने के उपरांत दूसरे दिन का रात्रि विश्राम लिया।

उत्तर प्रदेश में होने वाली ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक पदयात्रा के दूसरे दिन की विशेषताएँ थीं –

  1. दिवारी नृत्य की प्रस्तुति के बीच कुछ ग्रामीण भी उत्साह के साथ अपना हुनर दिखाने के लिए आए। जत्थे के लोगों ने जमकर उनका उत्साह बढ़ाया, जिससे ग्रामीण कलाकार गदगद नज़र आए।
  2. न केवल नृत्य के मामले में, बल्कि जनपद के ग्रामीण अंचल के रीतिरिवाज़ों और जीवन शैली पर भी उपस्थित लोगों ने बातचीत की।
  3. मोबाइल की जनव्यापी उपलब्धता के कारण किस तरह किसी कार्यक्रम के प्रति दर्शकों और भागीदारों की भूमिका बदली है, इसका ज्वलंत उदाहरण दिखाई दिया। गांव में आयोजित सभी कार्यक्रमों की रिकॉर्डिंग करने में न केवल युवा बल्कि बच्चे और महिलाएँ भी आगे रहीं। इन्होंने पदयात्रियों के साथ सेल्फी भी ली।
  4. ग्रामीण रास्तों पर यात्रा के बीच शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों के लिए नारे और आंचलिक लोकगीत गूँजते रहे।
  5. खेतों में काम करने वाले किसानों और मज़दूरों में भी यात्रा के प्रति आकर्षण दिखाई दिया।

सांस्कृतिक पदयात्रा के दूसरे दिन इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसन्ना, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा, प्रदेश यात्रा समन्वयक एवं राज्य महासचिव शहज़ाद रिज़वी के अतिरिक्त स्थानीय यात्रा संयोजक देवेंद्र शुक्ला, राज पप्पन, सदस्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य ओमप्रकाश नदीम, उत्तराखंड इप्टा से ओम प्रकाश नूर, आगरा के क्षेत्रीय सचिव डॉ योगेश शर्मा, मथुरा इप्टा के सचिव विजय शर्मा, डॉ धर्मेंद्र कुमार, डॉ सुभाष चंद्र, दीपेन्द्र सिंह, निशा वर्मा, अमजद आलम, संजीव गुप्ता, प्रीति गुप्ता, नेहा, लखनऊ इप्टा के अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव, क्षेत्रीय सचिव एवं संयोजक लिटिल इप्टा लखनऊ की सुमन श्रीवास्तव, सोनी यादव, बबिता यादव, अंजली सिंह, दामिनी, इप्टा लखनऊ से इच्छा शंकर, विपिन मिश्रा, वैभव शुक्ला, तन्मय, हर्षित शुक्ला, हनी खान, अंकित यादव, प्रदीप तिवारी और इप्टा के अन्य सदस्य मौजूद रहे। छत्तीसगढ़ इप्टा से नाचा गम्मत के साथी निसार अली, देव नारायण साहू, आलोक बेरिया सहित दिवारी नृत्य के स्थानीय लोक कलाकार डा० पुनीत तिवारी, शैलेन्द्र यादव, जीतू यादव, दीपू यादव, अमित यादव, कृष्णा यादव, शिवम यादव, अर्जुन कुशवाहा, संजय यादव, प्रांशु यादव सहित बड़ी संख्या में ग्रामवासियों ने शिरकत की।

20 नवम्बर 2023 सोमवार

कपड़ों में पैबंद लगे हैं, तलवारें भी टूटी हैं
फिर भी दुश्मन कांप रहा है आखिर लश्कर किसका है

उत्तर प्रदेश इप्टा की अगुवाई में ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के तीसरे दिन लोकगीत गायन और जीवंत अभिनय के साथ आम जन मानस से जुड़ाव की अद्भुत तस्वीर दिखाई दी। भारत की आत्मा को सशक्त बनाने की मुहिम में जुटी राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा ‘ढाई आखर प्रेम’ के संदेश को लेकर गांव-गांव जागरूकता की अलख जगा रही थी। जिस तरह उगते सूरज की लालिमा चारों दिशाओं को रोशन करके अंधेरा दूर कर देती है और फिर कलरव करते हुए पंछी अपने बच्चों के लिए दाना जुटाने अनेक दिशाओं में निकल पड़ते हैं; कुछ इसी तरह से पिछले दो दिन की तरह सांस्कृतिक जत्था ग्रामीण-भ्रमण के अनुभवों के साथ ढाई आखर प्रेम के संदेश को लेकर तीसरे दिन भी निकल पड़ा।

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इप्टा की टीम ने गांव-गांव पहुंचकर समाज की नब्ज टटोली। उनकी जीवन शैली और सामाजिक विसंगतियों को बारीकी से परखते हुए उनके बीच फैले रूढ़ियों और अंधविश्वास के प्रति जागरूकता पर बल दिया। साथ ही सामाजिक सौहार्द्र, भाईचारा, प्रेम, सहयोग और एकता पर बल देते हुए उनमें जोश और उत्साह भर दिया। छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के लोक कलाकारों और इप्टा के नुक्कड़ कलाकारों के संयुक्त गायन, अभिनय और सहज व्यवहार ने जहां एक ओर लोगों का दिल जीत लिया, वहीं अपने पीछे कई ऐसी खूबसूरत तस्वीरें छोड़ दीं, जो इस यात्रा को बेमिसाल बना देती हैं।

उरई में रात्रि विश्राम के बाद तीसरे दिन के भ्रमण की शुरुआत पूरे जोश के साथ सोमवार की सुबह हुई। नगर के जेल रोड स्थित पूर्व विधायक माधवगढ़ संतराम कुशवाहा के आवास पर ठहरे यात्रा के जत्थे का मेजबान द्वारा दिल खोलकर स्वागत किया गया और उनके साथ विचार साझा किया गया। तत्पश्चात पदयात्रा की शुरुआत समिति स्थित राइजिंग स्टार स्कूल के बच्चों के बीच पहुंचकर लोकगीत गायन और नुक्कड़ नाटक के जरिए हुई। कलाकारों ने सभी बच्चों का दिल जीत लिया। बच्चों की खुशी और उत्साह का तो यह आलम देखने को मिला कि वहां से टीम की रवानगी के लिए लोगों का मन उन्हें गवाही नहीं दे रहा था।

आखिरकार शुभकामनाओं के आदान-प्रदान के बाद टीम रवाना हुई। यात्रा का अगला पड़ाव ग्राम करसान रहा जहां स्कूली बच्चे टीम के सदस्यों को अचानक देखकर पहले तो विस्मित हुए, मगर बाद में जब उन्हें कलाकारों द्वारा अपने अभिनय से जोड़ा गया, तो वे मंत्रमुग्ध भाव से प्रस्तुतियाँ देखते रहे और पूरी सहभागिता निभाते रहे। जैसे ही छत्तीसगढ़ के नाचा गम्मत कलाकारों की टीम ने अपनी प्रस्तुति देना शुरू किया, वैसे ही वहाँ मौजूद सभी बच्चे और शिक्षक-शिक्षिकाएँ तथा ग्रामीण उत्साह से भर उठे। विद्यालय परिसर के बाहर बाउंड्री वॉल के बाहर से भी ग्रामीण पुरुष और महिलाएँ कलाकारों की प्रस्तुतियों को देखने की चेष्टा करते नजर आए। कलाकारों द्वारा प्रस्तुत गीतों की धुनों के साथ उनके शब्दों को सुनकर विद्यालय-परिसर का माहौल एकता के सूत्र में खुशी और उमंग से भर गया।

इसके पश्चात जत्था गाँव का भ्रमण करते हुए ग्राम वजिदा पहुँचा, जहाँ परिषदीय विद्यालय में बच्चे दोपहर का भोजन ले रहे थे। जानकारी मिलते ही विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं की टीम ने विद्यालय परिषद में आमंत्रित करते हुए सांस्कृतिक यात्रियों का स्वागत किया। इस दौरान कलाकारों द्वारा एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियाँ दीं गईं। बच्चों ने न केवल तालियाँ बजाईं, बल्कि उन्होंने स्वयं भी कलाकारों के साथ स्वर से स्वर मिलाया। इस दौरान कुछ बच्चों ने यात्रा में गाए जा रहे गीतों को सुनने के बाद उन्हें पूरे तरन्नुम के साथ वहाँ उपस्थित लोगों के बीच सुनाया। कक्षा 8 की छात्रा तानिया ने ‘ढाई आखर प्रेम का पढ़ने और पढ़ाने आए हैं, हम भारत से नफरत का हर घाव मिटाने आए हैं’ गीत को बेहद संजीदगी के साथ प्रस्तुत कर अपनी प्रतिभा दिखलाई। इस मौके पर विद्यालय की प्रधानाध्यापिका डॉ. स्वयंप्रभा दुबे, शिक्षिका सुधा द्विवेदी, शिक्षक विनोद निरंजन, शिक्षिका रंजना ने यात्रा को लेकर उत्साहित अंदाज में कहा कि उन्हें बेहद खुशी है कि देश में सामाजिक सौहार्द्र, प्रेम, भाईचारा और राष्ट्रीय एकता के सूत्र को मजबूत बनाने की दिशा में यह सांस्कृतिक यात्रा निकाली जा रही है, जो देश की उन्नति, खुशहाली और सद्भाव बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित होगी।

इसी क्रम में यात्रा ग्राम मरोड़ा स्थित कंपोजिट अपर प्राइमरी स्कूल पहुँची, जहाँ कलाकारों ने लोक गीतों के साथ-साथ ‘गिरगिट’ नाटक का मंचन किया। लिटिल इप्टा के कलाकारों के जीवंत अभिनय पर मौजूद सभी लोगों ने जमकर तालियाँ बजाईं और कलाकारों का उत्साहवर्धन किया। सामाजिक विसंगतियों के खिलाफ संदेश देती हुई इस नाटिका को लोगों ने खूब सराहा। छत्तीसगढ़ के नाचा गम्मत कलाकारों के द्वारा प्रस्तुत ‘शिकारी और कबूतर’ के नुक्कड़ नाटक-मंचन ने बच्चों को जमकर हँसाया। विद्यालय के प्रधान अध्यापक बृज बिहारी शर्मा, सहायक अध्यापक शैलेंद्र नायक, मनीष कुमार, प्रशांत कुमार मौर्य, रश्मि वर्मा, मतीजा स्वर्णकार ने यात्रा के इस आयोजन को समाज की एक बड़ी ज़रूरत बतलाते हुए कहा कि प्रेम और सौहार्द्र वर्तमान सामाजिक जीवन की सबसे बड़ी जरूरत है।

वजिदा के परिषदीय विद्यालय की प्रधानाध्यापिका डॉ. स्वयंप्रभा दुबे,

अन्य रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुतियों के उपरांत जत्था अगले पड़ाव के लिए रवाना हुआ और ग्राम गढ़र पहुँचा, जहाँ दोदेरिया फार्म हाउस पर रामनरेश दौदेरिया, सतीश चंद्र दौदेरिया, सुल्तान सिंह, रामकुमार दुहोलिया, रामहेत, मोहम्मद इरफान, सागर आदि ने यात्रा का स्वागत करते हुए दोपहर के भोजन के लिए उन्हें आमंत्रित किया। भोजन उपरांत यात्रा के जत्थे में शामिल कलाकारों ने शिवालय परिसर के सामने नुक्कड़ नाटक और गीतों की खूबसूरत प्रस्तुति कर सामाजिक सौहार्द्र और एकता की दिशा में लोगों को प्रेरित किया।

उसके बाद उत्तर प्रदेश की ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक पदयात्रा ने अपने तीसरे दिन के अंतिम पड़ाव ग्राम मिनौरा के लिए कूच किया। रास्ते भर डफली बजाते हुए कलाकारों ने जब गीतों की मधुर स्वर-लहरी छेड़ी तो राह चलते लोग भी आतुर होकर उन्हें देखने और सुनने के लिए रुक गए। ग्राम मिनौरा में गाँव के प्रवेश मार्ग पर ही कृपा शंकर द्विवेदी उर्फ बच्चू महाराज, शिवराम, राम जी दीक्षित, आदित्य दीक्षित, सुधीर प्रदीप, अमन सहित कई लोगों ने जत्थे में शामिल होकर गाँव का भ्रमण किया। इस दौरान कलाकारों द्वारा गाँव के चौराहों और मुख्य मार्गों पर लोक गायन और नुक्कड़ नाटक के जरिए सामाजिक संदेश दिया गया। बाद में देर शाम गाँव के समीप ही घनाराम महाविद्यालय में देर रात्रि भोजन और फिर विश्राम के लिए टीम ने तीसरे दिन का पड़ाव लिया।

ग्राम मिनौरा में गर्मागर्म रोटियाँ सेंकती औरतें

तीसरे दिन की सांस्कृतिक यात्रा में राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा, प्रदेश यात्रा समन्वयक एवं राज्य महासचिव शहज़ाद रिज़वी, स्थानीय यात्रा संयोजक देवेंद्र शुक्ला, कृपा शंकर द्विवेदी (बच्चू महाराज), दीपेंद्र सिंह, राज पप्पन, प्रदीप कुमार, डा० सुभाष चन्द्रा, धर्मेंद्र कुमार, डा० स्वाति राज, प्रीति, डा० संजीव, अमजद आलम तथा छत्तीसगढ़ के नाचा गम्मत कलाकार निसार अली, देवनारायण साहू, आलोक बेरिया सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

अगली कड़ी में उत्तर प्रदेश की ‘ढाई आखर प्रेम’ की सांस्कृतिक पदयात्रा के शेष तीन दिनों की यात्रा का विवरण प्रस्तुत किया जायेगा।

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