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उत्तराखंड राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्थे की चार दिवसीय पदयात्रा संपन्न

उत्तराखंड राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्थे की चार दिवसीय पदयात्रा संपन्न

(‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा राज्य-दर-राज्य आगे बढ़ती जा रही है। इस यात्रा में राष्ट्रीय स्तर पर इप्टा, प्रगतिशील लेखक संघ, जनवादी लेखक संघ, जन नाट्य मंच, जन संस्कृति मंच, दलित लेखक संघ के अलावा राज्य एवं स्थानीय स्तर पर अनेक सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन व संस्थाएँ जुडी हुई हैं। 28 सितम्बर 2023 को राजस्थान से शुरू होकर बिहार और पंजाब में निर्धारित समयावधि तक विभिन्न राज्यों के जत्थों ने पदयात्रा की। इसके पश्चात उत्तराखण्ड में चार दिन की पदयात्रा 31 अक्टूबर से 03 नवम्बर 2023 को संपन्न हुई।

भारत के हरेक राज्य की अपनी-अपनी भौगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक विशेषता है। हरेक राज्य के संस्कृतिकर्मियों की प्रस्तुतियों का पृथक-पृथक ढंग है। उत्तराखंड के पहाड़ी प्राकृतिक सौंदर्य के बीच ‘ढाई आखर प्रेम’ की यात्रा टिहरी गढ़वाल से शुरू होकर हरिद्वार जनपद में समाप्त हुई। इस कड़ी में प्रस्तुत है उत्तराखंड के इस समूची चार दिवसीय पदयात्रा की रिपोर्ट, जो उत्तराखंड के साथी नितिन ढलवान, असद अली खान एवं साहिबा के द्वारा लिखी गयी है। फोटो एवं वीडियो भी नितिन ढलवान के सौजन्य से प्राप्त हुए हैं।)

31 अक्टूबर 2023, मंगलवार

उत्तराखंड में ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक पदयात्रा 31 अक्टूबर 2023 को प्रथम दिन टिहरी गढ़वाल के मुनि की रेती स्थित शहीद भगत सिंह स्मारक से शुरू हुई। राज्य आंदोलनकारी कमला पंत ने भगत सिंह की मूर्ति पर माल्यार्पण करके ‘ढाई आखर प्रेम’ की उत्तराखंड यात्रा का शुभारंभ किया। शहीद भगत सिंह स्मारक से शुरू होकर यात्रा जनगीत गाते हुए शीशम झाड़ी पहुंची । यहाँ लोगों ने यात्रा का स्वागत किया । उत्तराखंड इंसानियत मंच की कमला पंत ने उत्तराखंड राज्य की चार दिवसीय यात्रा के आरम्भ की घोषणा की।

उन्होंने लोगों को ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक यात्रा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा, हाल के वर्षों में भाईचारे की भावना को लगातार चोट पहुँचाने की कोशिश की जा रही है। संवैधानिक मूल्यों की अनदेखी की जा रही है। राजनीतिक लाभ के लिए समाज को धर्म और जातियों में बाँटने का प्रयास किया जा रहा है। इसलिए ज़रूरी है कि हम समाज को बाँटने वाली ताक़तों के खि़लाफ़ एकजुट हों और प्रेम, बंधुत्व, समानता, न्याय और मानवता के पक्ष में खड़े हों। शुरुआत एक जनगीत से हुई और जत्थे में मौजूद स्थानीय यात्री प्रेम और सौहार्द्र के नारे लगाते हुए आगे बढ़े।

उत्तराखंड राज्य इप्टा के अध्यक्ष डॉ वी के डोभाल ने सभी लोगों को ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक यात्रा के उद्देश्य के बारे में बताया। उनकी बातें सुनकर लोगों ने आश्वस्त किया कि वे नफरत से दूर रहेंगे और बाकी लोगों को भी यह बताएंगे कि बिना किसी भेदभाव के आपस में मिलजुल कर रहें, चाहे वे किसी भी धर्म और जाति के क्यों न हों! इसके बाद धर्मानन्द लखेड़ा, बी डी पांडे, विक्रम पुंडीर, हरिओम पाली और कुलदीप मधवाल ने जनगीत गाये। कमला पन्त को डॉ वी के डोभाल ने श्रम का प्रतीक गमछा भेंट किया। इसी के साथ यात्रा आगे बढ़ते हुए शीशम झाड़ी के एक चौराहे पर पहुंची, जहां इप्टा सहारनपुर के रंगकर्मियों ने ‘जोगीरा सारारारा…’ और जनसंवाद के सतीश धौलाखंडी ने जनगीत गए। उपस्थित लोगों ने कलाकारों का साथ दिया,

मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे में बाँट दिया भगवान को
धरती बाँटी, सागर बाँटा, मत बाँटो इंसान को।

यात्रा लगभग चार किलोमीटर चलते हुए एक अन्य बस्ती चंदेश्वर नगर की मलिन बस्ती में गरीब बच्चों के लिए चलाए जा रहे चंद्रेश्वर पब्लिक स्कूल पहुंची। स्कूल के स्टाफ और नन्हे-नन्हे बच्चों के चेहरों पर खुशी झलक रही थी। वे लोग बहुत उत्साहित थे। बच्चों की उत्सुकता को और भी ज़्यादा बढ़ाते हुए उनके साथ मिलकर सतीश धौलाखंडी और त्रिलोचन भट्ट ने जनगीत गाये, जिसमें उन नन्हे-मुन्ने बच्चों ने अपनी आवाज़ मिलाकर गीत को और भी जोशीला बना दिया।

तुम मुझको विश्वास दो, मैं तुमको विश्वास दूँ
शंकाओं के सागर हम तर जाएँगे
इस धरती को मिलकर स्वर्ग बनाएंगे।

इसके बाद बच्चों के सामने एक नुक्कड़ नाटक ‘गिरगिट’ प्रस्तुत किया गया। साहिबा, कैफ अंसारी, छाया सिंह, नितिन, सचिन, अतुल गोयल और असद अली खान ने शानदार अभिनय किया। यह लघु नाटक एक भ्रष्ट अधिकारी के परिस्थितिनुसार रंग बदलने पर आधारित है। नाटक को बच्चों ने बहुत आनंद लेते हुए देखा। उनकी खिलखिलाहट पूरे नाटक को और भी जीवंत बना रही थी। नाटक की समाप्ति के बाद बच्चों ने पूरे जत्थे के साथ फोटो खिंचवाई। स्कूल के प्रबंधक प्रमोद जी को हरिओम पाली ने कबीर के श्रम का प्रतीक हैंडलूम का गमछा ओढ़ा कर समानित किया।

पदयात्रा आगे बढ़ी और त्रिवेणी घाट पर स्थित स्वामी विवेकानंद के स्मारक पर माल्यार्पण किया गया। स्वामी विवेकानंद ने शिकागो जाने से पूर्व अपने ऋषिकेश प्रवास के दौरान इस मंदिर में छह महीने बिताये थे। इसके बाद यात्रा आगे बढ़ती हुई महात्मा गांधी के स्मारक ‘गांधी स्तम्भ’ पर पहुंची। महात्मा गांधी की शहादत के बाद उनकी अस्थियों को यहां पर भी विसर्जित किया गया था। इसकी स्मृति में ही गांधी स्तम्भ का निर्माण किया गया था। जत्थे में शामिल नंदनंदन पांडेय, जगनंदन शर्मा, असद अहमद, विक्रम पुंडीर, हरिनारायण, बी डी पांडेय, हरिओम पाली आदि ने गांधी जी का प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो तेणे कहिए रे, पीर पराई जाणे रे’ गाया। उसके बाद इप्टा सहारनपुर के साथियों ने जनगीत प्रस्तुत किया। यहाँ भोजन और विश्राम के लिए सांस्कृतिक जत्था थोड़ी देर रूका।

दोपहर ढलते हुए पदयात्रा जनगीत गाते, नारे लगाते और पर्चे बाँटते हुए श्यामपुर पहुंची, जहाँ पर एक छोटे से गांव खदरी में नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया। दृष्टि संस्था के कुलदीप मधवाल ने जनकवि बल्ली सिंह चीमा का गीत सुनाया।

गांव के राय सिंह ने कबीर का गीत ‘झीनी झीनी बीनी चदरिया’ सुनाया और यात्रा के संदेश को लेकर शुभकामनाएँ दीं। 90 वर्ष से भी अधिक उम्र के गाँव के बुज़ुर्ग कुंदनसिंह ने हारमोनियम पर रागिनी प्रस्तुत की। हरिओम पाली, नई राय सिंह और कुंदन सिंह को हैंडलूम का गमछा भेंट कर सम्मानित किया गया। नुक्कड़ नाटक के साथ आज की पदयात्रा थके हुए कदमों, लेकिन अगले दिन के लिये उत्साह से लबरेज़ भोजन और रात्रि विश्राम में जुट गई।

इस यात्रा में राज्य की आन्दोलनकारी श्रीमती कमला पंत, इप्टा उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष डॉ वी के डोभाल, उपाध्यक्ष हरिओम पाली, उपाध्यक्ष धर्मानंद लखेड़ा, बीडी पांडे, देहरादून इप्टा के अध्यक्ष जगनंदन शर्मा, महामंत्री विक्रम सिंह पुंडीर, इप्टा के प्रदेश कार्यकारी सदस्य असद अहमद, कुलदीप मधवाल, साहिबा, कैफ अंसारी, असद अली खान, नितिन, छाया सिंह, अतुल गोयल, सचिन, जन संवेदना के सतीश धौलाखंडी, नंदन पांडे, त्रिलोचन भट्ट, हरी नारायण, प्रमोद शर्मा, शिवकुमार भारद्वाज, जगदीश कुलियाल, प्रेमशंकर, राजभर, राय सिंह खद्री, कुंदन सिंह सम्मिलित थे।

01 नवम्बर 2023 बुधवार

उत्तराखंड राज्य की पदयात्रा के दूसरे दिन गुनगुनी धूप के साथ हल्की-हल्की ठंड में 8ः00 बजे इंद्र गार्डन वेडिंग पॉइंट से ‘ढाई आखर प्रेम’ यात्रा प्रारंभ हुई। सुबह सुबह गरमा गरम परांठे और आलू की तरकारी के नाश्ते के साथ यात्रा आरम्भ हुई। 8ः30 बजे श्यामपुर खदरी में स्थानीय साथी श्री राम सिंह को गमछा ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। उनके अनुभव को साझा करने के बाद सबका मूड हुआ कि एक कप चाय की चुस्की और होनी चाहिए।

श्यामपुर खदरी में यात्रा शुरू होकर स्थानीय नालंदा स्कूल में पहुँची। वहाँ स्कूल के बच्चे पहले से ही तैयार होकर यात्रा का इंतज़ार कर रहे थे। प्रधानाचार्य श्री विक्रम सिंह नेगी के साथ प्रबन्धक महावीर उपाध्याय ने यात्रा का स्वागत किया।

विद्यालय की छात्रा रुचि जोशी ने अपनी मधुर आवाज में ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया। सरदार राम सिंह जी ने सामाजिक सद्भाव एवं श्री गुरु नानक देवजी के संबंध में बताया। श्री ईशम सिंह सैनी जी ने कबीर के दोहे सुनाए एवं कुमारी योगिता भट्ट ने कविता प्रस्तुत की। नाटक की प्रस्तुति विशेष आकर्षण का केंद्र रही।

नाटक में नितिन के साथ-साथ असद के अभिनय को सबने बहुत सराहा। इसके बाद जत्था जनगीत गाते हुए स्कूल से बाहर निकला। जनगीतों की आवाज सुनकर लोग अपने घरों से निकल रहे थे, कुछ लोग उत्सुकता से देख रहे थे और उनकी आँखों में और चेहरों पर कुछ सवाल साफ दिखाई दे रहे थे कि आखि़र ये कौन लोग हैं! कुछ लोग यात्रा में थोड़ी दूर तक साथ-साथ शामिल हो भी रहे थे। यात्रा आगे बढ़ते हुए ललित विहार से ठाकुरपुर खैरी खुर्द में पहुँची। हर्षपति सेमवाल, गौतम सिंह नेगी, लाखी राम रतूड़ी, प्रीति पाल रौतेला, विक्रम सिंह रावत, बलूनी आदि साथियों से मुलाकात हुई।

यात्रा ठाकुरपुर खैरी खुर्द से चलकर रायवाला नेपाली फार्म की ओर चली। रास्ते में बहुत ही हरियाली से भरे पेड़-पौधे, ऊँचे-ऊँचे पहाड़ थे। जंगल के बीच एक झील दिखाई दी, जिसमें मछलियाँ तैर रही थीं, इस झील का पानी बिल्कुल मोती की तरह चमक रहा था। प्रकृति की इस तस्वीर को देखकर तन और मन को बहुत सुकून मिल रहा था। दिन भर की थकान क्षण भर में ही मिट गई। सभी ने उस दृश्य को अपने मोबाइल कैमरे में समेटने की कोशिश की, मगर क्या कोई भी प्रकृति की पूरी अनुपम कृति को क़ैद कर सका है? जत्थे के सभी लोगों ने वहां पर थोड़ी देर विश्राम किया।

यात्रा आगे बढ़ती गई। बीच-बीच मे डॉ वी के डोभाल, धर्मानन्द लखेड़ा, हरिओम पाली और अशोक चौधरी, कुलदीप मधवाल, ओमप्रकाश नूर और असद खान के मोबाइल पर एल आई यू वालों की घंटियां बजती रहीं – कहाँ पर हैं, किसके यहाँ जा रहे हैं, रात में कहाँ रुकेंगे? आदि आदि। जत्था धर्मानन्द लखेड़ा की अगुवाई में रायवाला स्थित ग्राम पंचायत प्रतीत नगर कार्यालय पहुँचा। ग्राम पंचायत के प्रधान अनिल कुमार एवं श्री चित्रवीर छेत्री जी को खादी का गमछा हरिओम पाली ने भेंट किया। तत्पश्चात दोपहर का भोजन किया गया।

यात्रा हरिद्वार के रास्ते गुरुकुल कांगड़ी विश्व विद्यालय पहुँची। जहाँ मुद्रिका यादव, जगदीश कुड़ीयाल, विक्रम सिंह नेगी, वीके सिंह, सुनिरका यादव जी से मुलाकात हुई। वहाँ सबने जनगीत गाए। ज़बरदस्त थकान के बाद भी सभी का जोश कम नही दिखाई पड़ रहा था। लोगों में उत्साह और उमंग भरपूर दिखाई दे रहा था। जत्थे के जनगीतों से प्रोत्साहित होकर वहाँ के लोग हमारी यात्रा में शामिल होकर हमारे साथ जमालपुर कला की ओर चल पड़े।

इसके बाद यात्रा जनगीतों और ढपली की थाप पर जमालपुर की ओर बढ़ी। रास्ते में गाड़ियों पर आने-जाने वाले लोगों ने हमें प्यार की बातें करते हुए देखा, तो वे लोग भी अपनी गाड़ियों से उतरकर खुद-ब-खुद कुछ क़दम जत्थे के साथ चलने लगे। उन्होंने पदयात्रा के साथियों का हौसला बढ़ाया। यात्रा जमालपुर कला पहुँच गई। यहाँ सहारनपुर से अन्य साथी सतनाम सिंह, मन्तशा, अफशा, रामकृष्ण भारती, जमालपुर से अशोक कुमार, प्रवीण कुमार, मनोज कुमार, ग्राम प्रधान श्री हरेंद्र, पूर्व प्रधान सुशील राज राणा, श्री कल्याण, पंडित अरुण कुमार से मुलाकात हुई।

पदयात्रा जमालपुर कला झंडा चौक पर पहुँची। वहाँ इप्टा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ वी के डोभाल ने गमछे से ग्राम प्रधान हरेन्द्र, अशोक चौधरी, परवीन कुमार, कल्याण और अरुण कुमार जी का सम्मान किया। जनगीतों और एंटोन चेखव जी के द्वारा लिखित नाटक ‘गिरगिट’ की प्रस्तुति सहारनपुर के साथियों ने सतनाम सिंह के निर्देशन में की। एल आई यू के कुछ लोग लगातार हमारे साथ चलते हुए अपनी आवश्यक जानकारी लेते रहे और कार्यकर्म भी देखते रहे। लोगों को आपस में मिल जुल कर रहने का संदेश देकर यात्रा का समापन किया गया।

02 नवम्बर 2023 गुरुवार

उत्तराखंड राज्य में ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक पदयात्रा के तीसरे दिन 02 नवम्बर 2023 की सुबह जमालपुर में साथी अशोक चौधरी के निवास पर नाश्ता करने के बाद गाँव की गलियों में जनगीत गाते हुए जत्था ज्वालापुर की ओर बढ़ा।

ज्वालापुर हरिद्वार ज़िले से सटा हुआ एक छोटा-सा कस्बा है। रानीपुर बी एच ई एल के नज़दीक होने के कारण यह एक अच्छा ख़ासा व्यावसायिक केंद्र बना हुआ है। आसपास के कस्बों का मुख्य बाजार भी ज्वालापुर ही है। यहाँ के बाज़ार के बीच से जन गीत गाते और ‘ढाई आख़र प्रेम’ का नारा ‘प्यार मोहब्बत भाईचारा ज़िंदाबाद’ के नारों के साथ जत्था आगे बढ़ता रहा।

ज्वालापुर से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी तय करके जत्था बहादराबाद पहुँचा। साथी विजय पाल की अगुवाई में मुख्य चौराहों पर रुक कर कुछ गीत गाये गये और आसपास उपस्थित लोगों को फोल्डर बाँटे गये।पिछले तीन दिनों की पदयात्रा की थकावट अब जत्थे के साथियों के हावभाव से साफ महसूस की जा सकती थी, लेकिन जोश वही पहले दिन वाला बना हुआ था। आज सभी लोग अपने जोश को और अधिक बनाए रखना चाह रहे थे क्योंकि जत्थे में कुछ ही देर के बाद राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा शामिल होने वाले थे। साथी हरिओम पाली, डॉ वी के डोभाल, सतनाम सिंह, धर्मानंद लखेड़ा, असद अहमद, विजय पाल सिंह, जगदीश कुड़ियाल, अतुल गोयल, सचिन, असद अली खान, नितिन, मन्तशा, अफ्शा, रामकिशन भारती, कुलदीप मधवाल तथा जमालपुर से ही यात्रा में शामिल हुए नासीर अहमद कलियर शरीफ के नज़दीक ही धनोरी गाँव पहुँचे।

धनोरी में लखनऊ से आए हुए इप्टा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा जत्थे में शामिल हुए। सभी ने उनका ज़ोरदार स्वागत किया। धनोरी में स्थित नेशनल इंटर कॉलेज के बाहर रुक कर जत्थे के साथियों ने जनगीत गाए। इंटर कॉलेज के बच्चों ने भी गीतों में अपनी आवाज़ मिलाई। राकेश वेदा ने वहाँ एकत्रित भीड़ को ‘ढाई आखर प्रेम’ यात्रा के बारे में बताया।

उन्होंने कहा कि इप्टा का यात्राओं का एक लंबा इतिहास रहा है। इप्टा का नामकरण भी देश के महान वैज्ञानिक डॉक्टर होमी जहाँगीर भाभा ने किया था। देश में आज़ादी के मतवालों की संख्या अधिक नही थी। किसी भी बड़े बदलाव के लिये बड़े संख्या बल की ज़रूरत नहीं होती। ज़रूरत होती है उसके प्रति जज़्बे की, लगन की और ईमानदारी की। सरदार भगत सिंह के साथ आज़ादी की लड़ाई में बहुत लोग नहीं थे। नानक, कबीर, स्वामी विवेकानंद, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली का इतिहास बताता है कि वे सब अकेले ही थे।

धनोरी से चलकर पदयात्रा पिरान कलियर शरीफ की ओर रवाना हुई। दरगाह पहुँच कर सबने दोपहर के लंगर में सम्मिलित होकर भोजन किया, जिसका इंतज़ाम दरगाह के लंगर इंचार्ज जनाब सलीम साहब ने किया था। यहीं पर जत्थे में लखनऊ से लिटल इप्टा के साथ आये साथी ओम प्रकाश नदीम, दीपक और ओमप्रकाश नूर भी शामिल हुए।

नई बस्ती पिरान कलियर शरीफ में पहुँच कर जनगीत गाए गए एवं इप्टा सहारनपुर द्वारा नुक्कड़ नाटक ‘गिरगिट’ प्रस्तुत किया गया। समाजसेवी श्री मुस्तफा त्यागी को गमछा ओढ़ाकर राकेश वेदा ने सम्मानित किया।

श्रीमती अकबरी को इप्टा सहारनपुर की साथी मन्तशा ने गमछा ओढ़ाकर सम्मानित किया।

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राकेश वेदा ने इस यात्रा के बारे में बताया और कहा कि यहाँ सब तरफ साबिर लिखा है, लेकिन हमें ये पता होना चाहिए कि आखि़र साबिर कौन थे? उन्होंने लोगों से बातचीत करते हुए कहा कि हम सब आप सबसे मिलने के लिए निकले हैं, दूरियों को कम करने के लिए आए हैं, एकता और समानता का संदेश है हमारे पास, समानता और न्याय की बात का पैगाम हम देना चाहते हैं। आइये, सब मिलजुल कर एक नई सुंदर दुनिया बनाते हैं।

रात को विश्राम से पहले राकेश वेदा ने यात्रा में शामिल सभी साथियों के साथ, खासकर युवाओं के साथ अभिनय की बारीकियों और संगठन के बारे में चर्चा की।

 03 नवम्बर 2023, शुक्रवार

‘ढाई आखर प्रेम’ उत्तराखंड राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्थे के चतुर्थ और आखिरी दिन 03 नवम्बर 2023 को प्रातः 8ः30 बजे जत्था पिरान कलियर से निकलने ही वाला था, उसी समय देहरादून से जे एन यू के प्रोफेसर राकेश अग्रवाल, बीजू नेगी, विजय नेगी, एस एस रावत, डॉ रमीज़ रज़ा, तनवीर आलम, दीपक शांडिल्य, देवेश और आतिफ़ खान आगे की यात्रा में शामिल होने के लिए पहुँच गए।

इप्टा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा पहले से ही साथ थे। कुछ शारीरिक अक्षमता होने के बावजूद भी राकेश अग्रवाल का यात्रा के लिये जोश वाकई सलाम के लायक था। राकेश वेदा ने राकेश अग्रवाल का गमछे के साथ स्वागत किया।

गलियों से होते हुए, जनगीत गाते हुए ‘ढाई आखर प्रेम’ के मतवालों की टोली सड़क पर निकल पड़ी। गीत-संगीत की प्रेम धुन के साथ पदयात्रा मेवाड़ कला इमली रोड जनपद हरिद्वार पहुँची। इसी बीच लखनऊ से लिटिल इप्टा के साथी सुमन श्रीवास्तव के साथ यात्रा में शामिल हो गए। ‘इंसान का इंसान से हो भाईचारा, यही पैगाम हमारा’ गीत गाते हुए जत्थे ने पूरे गाँव में भ्रमण किया। गाँव के मुख्य चौक पर सामाजिक कार्यकर्ता दीपक शांडिल्य, तनवीर आलम, मोहसिन और विजय भट्ट को गमछा भेंट किया गया। यहीं से ‘ढाई आखर प्रेम’ के कारवाँ में सुनील कुमार, दिनेश कुमार और शाहिदा शेख रूड़की से शामिल हो गए।

राकेश वेदा राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, डॉ. वी के डोभाल अध्यक्ष इप्टा उत्तराखंड राज्य, श्री ओमप्रकाश नदीम, धर्मानन्द लखेड़ा, हरिओम पाली, मोहम्मद असद खान, कुलदीप मधवाल, बीजू नेगी, विजय भट्ट, श्रीमती सुमन श्रीवास्तव, गरिमा सिंह, अंजली सिंह, पूजा प्रजापति, आरती प्रजापति, सोनी यादव, कविता यादव, शिवी सिंह आदि सभी साथी जोश के साथ गाते हुए मस्ती में चले जा रहे थे। लखनऊ की लिटिल इप्टा टीम ने मेवाड़ कला इमली रोड की नुक्कड़ पर गीत-संगीत के साथ ‘ढाई आखर प्रेम’ के संदेश को दूर दूर तक फैलाने का प्रयास किया।

इसके बाद यात्रा मेवाड़ कला गाँव की गलियों में जनगीत गाते हुए घूमी। मेवाड़ कला गाँव में वहाँ के सामाजिक कार्यकर्ता दीपक शांडिल्य के साथ-साथ स्थानीय निवासी सुनील कुमार, दिनेश कुमार, विश्व प्रताप जी को गमछा ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। वापस लौटते हुए सहारनपुर इप्टा की टीम ने भी जनगीत गाए।

यात्रा मेवाड़ कला गाँव से बाहर निकल कर बाजुहेड़ी गाँव में स्थित कस्तूरबा गांधी छात्रावास में पहुँची। यहाँ पर पीपुल्स फोरम के देहरादून से आये साथी कंडवाल जी और कमलेश खंतवाल जी भी यात्रा में जुड़ गए। बच्चे पहले से ही जत्थे का इन्तज़ार कर रहे थे। कस्तूरबा गांधी विद्यालय में लिटिल इप्टा की टीम ने जनगीत गाए।

सहारनपुर इप्टा की टीम ने जनगीत गाने के बाद ‘गिरगिट’ नामक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया।

उपस्थित सभी लोगों को यात्रा का मक़सद बताया गया। स्कूल के बच्चों ने लिटिल इप्टा के साथियों की आवाज़ में आवाज़ मिला कर गीत गाये। विद्यालय की प्रधानाचार्य श्रीमती शिखा कपूर और जूनियर प्रधानाचार्य श्रीमती रश्मि शर्मा जी को भी गमछा ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि ये सभी गीत और नाटक अगर स्कूल को उपलब्ध कराए जाएँ, तो स्कूल के बच्चों को इनकी प्रैक्टिस कराई जा सकती है। बीजू नेगी ने अपने संबोधन में बच्चों को सरल शब्दों में प्रेम की परिभाषा समझाई। इसके बाद राष्ट्रीय इप्टा के कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा ने अपने संबोधन से कार्यक्रम का समापन किया।

दोपहर हो चली थी, भूख भी लगने लगी थी। ओमप्रकाश नूर जी की पहल पर पदयात्रा बाजूहेड़ी गांव में रहने वाली गीता जी के घर पहुँची, वहां पर जत्थे के सभी सदस्यों ने गर्मागर्म उड़द की दाल के साथ चावल का आनंद उठाया।

यहाँ से निकलकर सभी साथी भगत सिंह चौक पर पहुँचे। वहाँ भगत सिंह की मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया तथा उसके बाद गीत गाये गए। वहाँ पर भी स्थानीय जनता जुड़ गई थी। शहर के बीच बाज़ार से गुज़रते हुए, हज़ारों निग़ाहों के अनेक सवालां का जवाब देने की कोशिश करते हुए जत्था शहीद स्थल सुनेहरा पहुँचा।

वहाँ एक बार फिर क्रांतिकारी गीतों और जनगीतों के साथ शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई और फूलमाला अर्पित कर उनके बलिदानों को याद किया गया।

इप्टा सहारनपुर और लिटिल इप्टा के साथियों को यहाँ गमछा भेंट किया गया। यहीं पर कमलेश खंतवाल, जगदीश कुलियाल और जयकृत कंडवाल जी को गमछा भेंट कर सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा ने उत्तराखंड पदयात्रा के सफल संचालन पर बधाई देते हुए कहा कि ये उत्तराखंड में यात्रा का समापन नहीं, बल्कि शुरूआत है।

अगली एक दिवसीय पदयात्रा दि 04 नवम्बर 2023 को कटक में की गयी, जिसकी रिपोर्ट अगली कड़ी में प्रस्तुत होगी।

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