(पिछली कड़ी में ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक पदयात्रा के अंतर्गत पंजाब राज्य में की गयी आरंभिक तीन दिनों की यात्रा के बारे में पढ़ा एवं देखा। इस कड़ी में शेष तीन दिनों की यात्रा के बारे में जानते हैं। इस यात्रा का समापन जालंधर में प्रति वर्ष आयोजित होने वाले ‘गदरी मेले’ में भागीदारी के साथ हुआ। इन तीन दिनों की रिपोर्ट साथी विनीत तिवारी और निसार अली से एवं फोटो और वीडियो निसार अली से प्राप्त हुए हैं।)
30 अक्टूबर 2023 सोमवार
पंजाब की ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक यात्रा का जत्था चौथे दिन कपूरथला जिले के सुल्तानपुर लोधी शहर में पहुँचा। यह वह जगह है जहाँ गुरुनानक देव ने चौदह बरस तक नवाब दौलत खान लोधी के यहाँ नौकरी की थी। यहाँ वे चौदह साल तक रहे और उनके दोनों बच्चे भी यहीं पैदा हुए। यहाँ मस्जिदें भी काफी प्राचीन हैं और बहुत सारे बड़े-बड़े गुरुद्वारे भी हैं। कहते हैं कि उनको ‘गुरु का ज्ञान’ भी यहीं मिला था। यहीं उन्होंने ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ की शुरुआत की। यहीं से उन्होंने कई स्थानों का भ्रमण किया। यह इस जगह का बहुत बड़ा ऐतिहासिक महत्व है।
‘ढाई आखर प्रेम’ पंजाब राज्य के सांस्कृतिक जत्थे की ओर से सुल्तानपुर लोधी के प्रेस क्लब में एक सेमिनार का आयोजन किया गया था, जिसमें वकील, पत्रकार और अनेक गणमान्य नागरिक शामिल हुए। इसमें प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय महासचिव सुखदेव सिंह सिरसा, पंजाब प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव सुरजीत जज, प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय सचिव विनीत तिवारी, छत्तीसगढ़ इप्टा के साथी निसार अली, इप्टा पंजाब के महासचिव इंद्रजीत रूपोवाली, संगठन सचिव सरबजीत रूपोवाली, दीपक नाहर आदि शरीक हुए। अतिथियों को गमछा ओढ़ाते हुए,
सेमिनार की शुरुआत निसार अली और साथियों के जीवन यदु राही लिखित , जनगीत ‘जब तक रोटी के प्रश्नों पर रखा रहेगा भारी पत्थर’ और ‘दमादम मस्त कलंदर’ से हुई । सेमिनार में सुखदेव सिंह सिरसा, सुरजीत जज और विनीत तिवारी ने ‘ढाईआखर प्रेम’ सांस्कृतिक जत्थे के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। वक्ताओं ने अपील की कि फिलीस्तीन में जो बमबारी हो रही है, रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध हो रहा है, मणिपुर में जो हिंसक घटनाएँ घट रही हैं, दुनिया और देश-गाँव में जिस तरह नफरत की फसलें बोई जा रही हैं, उसे दूर करने के लिए हम सबको एकजुट होना चाहिए। उपस्थित लोगों ने इस बाबत सहमति व्यक्त की और हर तरह का सहयोग करने का आश्वासन दिया।
उसके बाद सेमिनार में उपस्थित सभी लोग पदयात्रा कर शहीद उधम सिंह चौक पहुँचे। प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। यहाँ छत्तीसगढ़ के साथी निसार अली और उनके साथियों देवनारायण साहू, गंगाराम बघेल और जगनूराम ने नाचा-गम्मत शैली में नाटक ‘ढाई आखर प्रेम’ प्रस्तुत किया। जिसे दर्शकों ने सराहा और आर्थिक सहयोग भी किया ।
शहर में पदयात्रा करते हुए ‘इंसानियत ज़िंदाबाद’, ‘प्यार-मोहब्बत ज़िंदाबाद’, ‘आपसी सद्भाव ज़िंदाबाद’, ‘बहनापा और भाईचारा ज़िंदाबाद’ आदि नारे लगाए गए। कार्यक्रम का संचालन मुख़्तियार सिंह चंदी ने किया, इस अवसर पर एडवोकेट रजिन्दर सिंह राणा, प्रसिद्ध पत्रकार नरिन्दर सोनिया, लेखक डॉ. स्वर्ण सिंह, इप्टा कपूरथला के अध्यक्ष डॉ. हरभजन सिंह, उपाध्यक्ष कश्मीर बजरोर, लेखिका मंजिन्दर कमल, कॉमरेड मकंद सिंह, रिषपाल सिंह, तरमिन्दर सिंह, सरवण सिंह नम्बरदार, अजीत सिंह औजला, अमरजीत सिंह टिब्बा आदि मौजूद रहे ।
31 अक्टूबर 2023 मंगलवार
पंजाब के कपूरथला की आरसीएफ कॉलोनी में ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक यात्रा का पाँचवें दिन का कार्यक्रम शाम छः बजे आयोजित किया गया था। चंडीगढ़ इप्टा के अध्यक्ष बलकार सिंह सिद्धू ने यात्रा का उद्देश्य प्रस्तुत किया। उसके पश्चात जनगीतों के साथ पदयात्रा शुरू की गई, जो शाम सात बजे दीप सिंह नगर पंचायत घर कपूरथला पहुँची।
यहाँ पंजाब की लोकसंस्कृति और इतिहास पर आधारित रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का आरंभ हुआ पंजाब के लोक नृत्य से। लूडी भांगड़ा की शानदार प्रस्तुति इप्टा चंडीगढ़ के बलकार सिंह सिद्धू के निर्देशन में हुई, जिसमें सहयोग रहा के एन एस सेखों का।
उसके बाद ‘भगत सिंह की घोड़़ी’ नृत्य नाटिका की प्रस्तुति हुई। इसमें रंजीत गमनू, दीपक नाहर, बीबा कलवंत, बबीत, अवतार, कलविंदर कौर ने शानदार अभिनय किया।
अगली नाट्य-प्रस्तुति थी आज़ाद रंगमंच की ‘असल खुमारी नाम दी’ नाटक की।
दीपक नाहर, बीबा कलवंत, रंजीत बंसल, बबीत, अवतार, कुलविन्दर कौर और अगम दीप ने नाटक में हिस्सेदारी दर्ज की। यहाँ एक नया प्रयोग किया गया। छत्तीसगढ़ के नाचा-गम्मत लोकशैली के नाटक ‘ढाई आखर प्रेम’ में छत्तीसगढ़ी लोक कलाकारों के साथ पंजाब के कलाकार ने अभिनय किया।
उसके बाद पदयात्रियों का सरोपा तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन इंद्रजीत रूपोवाली ने किया। वरिष्ठ रंगकर्मी तालिब मोहम्मद ने सभा को संबोधित किया,
जसप्रीत कौर (जिला भाषा अधिकारी), सरदार सज्जन सिंह, डॉ. हरभजन सिंह (अध्यक्ष इप्टा कपूरथला) कश्मीर बजरौर, सनी मसीह, सरपंच रुपिन्दर कौर, सरबजीत रूपोवाली, आंचल नाहर आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।
01 नवम्बर 2023 बुधवार
‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक पदयात्रा के अंतिम दिन जालंधर के देश भगत यादगार हॉल में 30 अक्टूबर से 01 नवम्बर तक आयोजित 31 वें ‘मेला गदरी बबीयां दा’ में जत्थे के साथी पहुँचे। उल्लेखनीय है कि ‘गदरी मेला’ स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गदरी पार्टी के क्रांतिकारियों की याद में आयोजित किया जाता है। गदर पार्टी की स्थापना 1913 में अमेरिका में हुई थी। इसके अध्यक्ष बाबा सोहन सिंह भकना थे। इस वर्ष का मेला उनके 150 वें जन्मदिन को समर्पित था। मेले की एक झलक प्रस्तुत है,
‘गदर पार्टी’ एक देशभक्त और धर्मनिरपेक्ष पार्टी थी, जिसके सदस्य तारकनाथ दास, विष्णु गणेश पिंगले, मौलवी बरकतुल्लाह जैसे लोग थे। इन लोगों की स्मृति में प्रति वर्ष यह उत्सव मनाया जाता है। इसमें पंजाब के सपूतों भगत सिंह, उधम सिंह तथा करतार सिंह सरापा को भी याद किया जाता है। ब्रिटिश साम्राज्य के विरोध में विदेशों में रहने वाले भारतीय लोगों द्वारा शुरु किये गये इस गदर आंदोलन को रात-दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से श्रद्धांजलि दी जाती है। यह पूरी तरह श्रमजीवियों को समर्पित मेला होता है। इस मेले का एक बहुत बड़ा हिस्सा किताब प्रदर्शनी का होता है, जिसमें बड़ी संख्या में किताबों के स्टॉल लगते हैं, और हज़ारों किताबें खरीदी जाती हैं।
गदरी बाबों के इस प्रसिद्ध तीन दिवसीय मेले के अवसर पर मुख्य मंच पर 01 नवम्बर की शाम को ’ढाई आखर प्रेम’ जत्थे में सम्मिलित छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों ने छत्तीसगढ़ी गम्मत की शैली में प्रसिद्ध गीत ‘दमादम मस्त कलंदर’ प्रस्तुत किया। यहाँ प्रस्तुत है उसका एक अंश।
नाचा-गम्मत के पहले साथी निसार अली ने अदम गोंडवी की ग़ज़ल को विस्तार देते हुए सुनाया,
इस अवसर पर सुखदेव सिंह सिरसा (प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय महासचिव), विनीत तिवारी (प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय सचिव), सुरजीत जज (पंजाब प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष), संजीवन सिंह (पंजाब इप्टा अध्यक्ष), इंद्रजीत रूपोवाली (पंजाब इप्टा महासचिव), बलकार सिद्घू (चंडीगढ़ इप्टा अध्यक्ष), के एन एस सेखों (महासचिव इप्टा चंडीगढ़), दीपक नाहर, सरबजीत रूपोवाली, बीबा कुलवंत, रंजीत गमनू, कुलविंदर कौर और ए आई एस एफ के साथी तथा अन्य संगठनों के साथी पदयात्रा एवं नुक्कड़ नाटक प्रस्तुति के दौरान उपस्थित थे।