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सांझी विरासत का अनुभव करने निकली ‘ढाई आखर प्रेम जाँजगीर-चाम्पा एक दिवसीय सांस्कृतिक पदयात्रा’

सांझी विरासत का अनुभव करने निकली ‘ढाई आखर प्रेम जाँजगीर-चाम्पा एक दिवसीय सांस्कृतिक पदयात्रा’

(ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक जत्थे की राष्ट्रीय पदयात्रा का दूसरा चरण 02 अक्टूबर से 08 अक्टूबर केरल राज्य में संपन्न होने वाला था। परन्तु निपाह वाइरस के प्रसार के मद्देनज़र इस यात्रा को स्थगित करना पड़ा। इसकी अगली तारीखें बाद में घोषित की जाएँगी। इस अंतराल को भरने के लिए 03 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ में, 04 अक्टूबर को मध्य प्रदेश में, 05 अक्टूबर को झारखण्ड में तथा 06 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश में एक दिवसीय पदयात्रा आयोजित की गयी। इस कड़ी में प्रस्तुत है छत्तीसगढ़ की चाम्पा-जाँजगीर पदयात्रा की रिपोर्ट, जो 03 अक्टूबर 2023 को उत्साह के साथ संपन्न हुई। इस पदयात्रा की बड़ी विशेषता यह रही कि बच्चे, लड़कियाँ, युवा, बुजुर्ग, वृद्ध – हर उम्र के लोग शामिल हुए। न केवल अलग-अलग संगठनों के साथी, बल्कि श्रमिक संगठनों के साथी, लोक कलाकार, स्वतंत्रता सेनानी परिवार के सदस्य, बुद्धिजीवी, स्कूली छात्र-छात्राएँ भी सहभागी हुए। विदित हो कि छत्तीसगढ़ की ‘ढाई आखर प्रेम’ की छः दिनों की पदयात्रा 07 जनवरी से 12 जनवरी 2024 तक आयोजित की गयी है।

इस रिपोर्ट में दो हिस्से सम्मिलित हैं। पहले हिस्से में पदयात्रा के संयोजक जीवन लाल यादव की तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत है और दूसरे हिस्से में हमारे पत्रकार साथी मृगेंद्र की रसभीनी रिपोर्ट (उल्लेखनीय है कि, मृगेंद्र ने 2022 में आयोजित ‘ढाई आखर प्रेम’ की 44 दिन की पूरी यात्रा में पूरे समय उपस्थित रहकर रोज़ाना की रिपोर्ट तैयार कर ऐतिहासिक काम किया था।) संकलित है। फोटो और वीडियो भरत निषाद, श्याम देवकर और नथमल शर्मा ने उपलब्ध करवाये हैं। – उषा वैरागकर आठले )

आजादी के 75 वर्ष पूरे कर “सांझी शहादत-सांझी विरासत“ के साझे धरोहर प्रेममय भारत को अनुभव करने “ढाई आखर प्रेम राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था“ की कड़ी में 3 अक्टूबर को जांजगीर-चाम्पा जिले में पदयात्रा की गई। देखिये और सुनिए छत्तीसगढ़ के यादव जाति का पारम्परिक ‘बांस गीत’ बृजमोहन गोपाल से :

जाँजगीर में भीमा तालाब के किनारे स्थापित बहुत पुराने विष्णु मंदिर के सामने सभी पदयात्री एकत्रित हुए। नगर के वरिष्ठ साहित्यकार श्री रामेश्वर गोपाल के कविता पाठ, शिक्षाविद्-साहित्यकार श्री ईश्वरी प्रसाद यादव के शुभकामना और प्रेम संदेश, नाक-मुंह से बांस से धुन निकाल बांसगीत गाने वाले गायक श्री बृजमोहन गोपाल के बांसगीत, एप्सो डभरा के मुरलीधर चन्द्रम के शुभ-संदेश के साथ इन वरिष्ठजनों को कबीर के सत्य-प्रेम-श्रम एवं सादगी के प्रतीक “कबीर गमछा“ से सम्मानित कर जत्थे ने उनकी रचनाधर्मिता को सराहा।

दीपक यादव जी ने विष्णुमंदिर व भीमा तालाब की ऐतिहासिकता एवं स्थापत्य कला की विस्तृत जानकारी दी। इप्टा छ. ग. प्रदेश अध्यक्ष मणिमय मुखर्जी, प्रदेश अध्यक्ष मंडल सदस्य अरुण दाभड़कर, प्रगतिशील लेखक संघ के छ.ग. प्रदेश अध्यक्ष एवं पत्रकार नथमल शर्मा तथा रफीक खान ने सांस्कृतिक यात्रा के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। शिक्षाविद् राजेश गोपाल के शुभकामना संदेश के साथ, ढाई आखर प्रेम के संदेश व गीतों के साथ जत्था कचहरी चौक पहुँचा।

कचहरी चौक पर प्रदेश के जाने-माने पत्रकार व जन संस्कृति मंच के साथी राजकुमार सोनी, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भरत निषाद एवं मणिमय मुखर्जी के साथ इप्टा-एप्सो के साथियों ने गीत और कविता प्रस्तुत की। छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष ईश्वर सिंह “दोस्त“, श्रीकांत वर्मा पीठ बिलासपुर के अध्यक्ष श्री रामकुमार तिवारी, प्रलेस बिलासपुर के श्री नरेश अग्रवाल एवं पर्यावरणविद्-साहित्यकार मुदित मिश्रा ने नफरत और घृणा को इंसान के लिए अहितकर बताते हुए कबीर एवं संतों-सेनानियों द्वारा प्रतिपादित प्रेम-भाईचारे के पथ पर चलते रहने के लिए आम जनों से बातचीत की।

साथी ईश्वर सिंह दोस्त का सम्बोधन :

नगर के समाजसेवी श्री देवेश सिंह ने स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन-कर्म पर प्रकाशित अमूल्य पुस्तक “धरोहर“ की प्रतियाँ जत्थे में सम्मिलित लोगों को भेंट कीं। अतिथियों का “कबीर गमछा“ पहनाकर सम्मान किया गया।

स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर छेदीलाल बैरिस्टर के पोते देवेश सिंह की उपस्थिति में उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए मौन धारण किया गया। पामगढ़ एप्सो के विभीषण पात्रे, गायक-संगीतकार रामनारायण यादव व श्रमिकों के साथी महेश सिंह बनाफर के सहभागिता संदेश के साथ जत्थे ने चाम्पा की ओर प्रस्थान किया। एसडीएम आफिस के पास टी सी एल महाविद्यालय अध्यक्ष श्री प्रदीप हंसराज, उजाला सूर्यवंशी, प्रिया कमलाकर, प्रवीण हंसराज के नेतृत्व में सक्रिय एन एस एस व एन वाय पी सदस्यों द्वारा स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। कलेक्टोरेट मोड़ पर आलोक बेरिया के साथ इप्टा साथियों ने जनगीत ‘गाँव छोड़ब नाहीं, जंगल छोड़ब नाहीं’ गाया एवं जत्थे ने आम लोगों से संवाद किया।

हसदो के सुरम्य तट केराझरिया चाम्पा पहुंचकर मणिमय मुखर्जी के साथ लिटिल इप्टा चाम्पा ने शांति और आशा के गीत “तू जिन्दा है, तू ज़िंदगी की जीत पर यकीन कर“ गाया। सुभाष चौक पर जनगीत व जनसंवाद कर पदयात्रा शहीद स्मारक चाम्पा की ओर बढ़ी। वहाँ भी जनगीत गाकर अमर शहीदों-सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। बरपाली चौक चाम्पा में लिटिल इप्टा चाम्पा के साथियों ने कर्मा, राऊत व सुआ नृत्य एवं पारम्परिक छत्तीसगढ़ी खेलों का समेकित प्रदर्शन किया। उसके बाद चाम्पा नगर के प्रसिद्ध नर्तक-गीतकार-संगीतकार सुभाष यादव एवं अंजोर लाल प्रधान ने देवार गीत प्रस्तुत किया। श्रीकृष्ण संगीत महाविद्यालय के प्रसिद्ध संचालक एवं प्रसिद्ध गायक श्री वेदराम यादव जी ने शुभकामना संदेश भेजा।

कार्यक्रम स्थल पर इप्टा प्रदेश अध्यक्ष मणिमय मुखर्जी, आलोक बेरिया के नेतृत्व में इप्टा साथियों ने जनगीत गाए। श्री श्यामबिहारी बनाफर ने प्रेम व भाईचारे का संदेश दिया।

जत्था में सक्रिय लिटिल इप्टा चाम्पा एवं सभी सक्रिय कार्यकर्ताओं को स्मृति चिन्ह व प्रमाणपत्र वितरित कर चाम्पा नगर के स्वतंत्रता सेनानी स्व. डॉ. शांतिलाल गोपाल सहित सभी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि एवं कार्यक्रम संयोजक जीवन लाल यादव द्वारा आभार प्रस्तुति के साथ जांजगीर-चाम्पा की एक दिवसीय सांस्कृतिक यात्रा सम्पन्न हुई।

जत्था में भिलाई, रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़, डभरा, पामगढ़, चाम्पा, जांजगीर तथा अकलतरा के इप्टा, एप्सो, प्रलेस के साथी मणिमय मुखर्जी, अरूण दाभड़कर, भरत निषाद, आलोक बेरिया, दीपक यादव, योगेश चौहान, श्याम देवकर, मृगेन्द्र सिंह, नथमल शर्मा, रफीक खान, नरेश अग्रवाल, ईश्वरसिंह दोस्त, रामकुमार तिवारी, मुदित मिश्रा, संतोष अग्रवाल, राकेश सिंह, दीपक यादव, योगेश चौहान, श्याम देवकर, राजेश सोनी, कैलाश पटेल, श्रीमती मीना यादव, प्रवीण सिंह राज, भोलेशंकर मरावी, एस.एस.पटेल, संगीता महंत, भारती यादव, बी.एल.किरन, ललित सोनी, सामाजिक न्याय कार्यकर्ता श्री हरीश गोपाल, श्री हरीश साहू, श्री मोतीलाल पटेल, श्री चिंताराम राठौर सक्रिय पदयात्री के रुप में भागीदार रहे।

ढाई आखर प्रेम यात्रा जिंदाबाद
शांति-भाईचारा बना रहे

मृगेन्द्र


प्रेम, सद्भाव, भाईचारा, एकजुटता की भावना के साथ ही देश की बहुलतावादी संस्कृति का सम्मान करने वाले जनसंगठनों के नेतृत्व में देशभर में ढाई आखर प्रेम यात्रा के नाम से सांस्कृतिक यात्रा निकाली जा रही है। भगत सिंह के जन्मदिवस पर अलवर से शुरू हुई यह यात्रा आज 03 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में निकाली गई।

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बच्चे, बड़े सभी के हाथों में प्रेम का संदेश देते पोस्टर, कार्डबोर्ड, ढपली की तान के साथ जनगीत गाते इप्टा के साथी और उनके साथ चल रहे आम नागरिक। मेरे लिए पिछले साल 9 अप्रैल को शुरू हुई इप्टा की ढाई आखर प्रेम यात्रा की यादों को जीवंत कर देने वाला दृश्य था।

जांजगीर की बात करें तो पिछली बार की तुलना में यह यात्रा ज्यादा व्यवस्थित और नयेपन के साथ थी। सुबह ही बारिश हो चुकी थी, जिसके चलते मौसम भी सुहाना था, लेकिन जैसा कि छत्तीसगढ़ के मौसम का मिजाज है कि बरसात के दिनों में कितनी भी बारिश हो जाये, कुछ ही देर में उमस अपना स्थान बना लेती है। फिर भी पिछली बार की जानलेवा तपन से तो बेहतर मौसम था। पिछली बार जैसे ही हम लोग जांजगीर पहुंचे गन्ने का रस पिला कर स्वागत किया गया था। इस बार उसकी जरूरत नहीं पड़ी।

गन्ने का रस मिलने वाली जगह पर मूंगफली और कच्चे सिघाड़े के ठेले लगे थे। खैर यात्रा की शुरुआत तालाब के किनारे लगभग हजार साल पुराने मंदिर के परिसर पर गीतों और संबोधन के साथ हुई। मै जब पहुंचा तब तक यहां का लोकगीत जिसे बांसगीत कहते हैं, वरिष्ठ लोकगायक द्वारा प्रस्तुत किया जा चुका था। जिसकी प्रशंसा बाद में भी सुनने को मिली। मंदिर परिसर से रैली के रूप में आगे बढ़ने की तैयारी हो चुकी थी। इप्टा छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष मणिमय मुखर्जी माइक थाम चुके थे और ‘मिल के चलो-मिल के चलो’ जनगीत फिजा में गूंज रहा था और यात्रा बढ़ चली। इप्टा रायगढ़ के साथी भरत और श्याम सहित अन्य साथी भी ढपली के साथ जनगीत गाते हुए सभी के साथ कदमताल करते हुए चलते रहे। सांस्कृतिक रैली में पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे लड़के लड़कियां। प्रेम और शांति का नारा लगाते हुए सभी साथी कचहरी चौक पहुंचे।

यहां पर शहीद पार्क के बाहर जनगीतों की प्रस्तुति के साथ ही यात्रा के उद्देश्य को लेकर बातें रखी गयी।

इस दौरान इप्टा के साथी व साहित्य अकादमी अध्यक्ष ईश्वर सिंह दोस्त ने कहा कि जब परिवार, समाज में शक-ओ-सुबहा की शुरुआत की शुरुआत होती है तो परिवार और समाज टूटता है। इसी तरह देश और दुनिया। लेकिन आज यह सब जानते हुए भी कुछ लोग शक-ओ-सुबहा को फैलाते-फैलाते यहां तक आ पहुंचे हैं कि बकायदा नफ़रत के करोबार में तत्परता के साथ लगे हुए हैं। वो नफरत इसलिये फैला रहे हैं ताकि आप शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसे मूलभूत मुद्दों को लेकर आवाज ना उठायें। आपस में लड़ते-भिड़ते रहें। उन्होंने कहा कि इप्टा इसीलिए प्रेम की यात्रा निकाल रही है ताकि समाज से नफ़रत गायब हो और परस्पर प्रेम बढ़े।
इप्टा उसी संदेश को आगे बढ़ा रही है जो बुद्ध ने संदेश दिया था। बुद्ध, कबीर, रहीम, रसखान, नानक जैसे हमारे पूर्वजों ने जो यात्रा शुरू की थी, आज इप्टा उसी यात्रा को आगे बढ़ा रहा है।

यात्रा के क्षेत्रीय आयोजक जीवन यादव का उत्साह पहले की तरह ही देखने को मिला। स्पीकर खराब होने पर उन्होंने कहा कि हमारे पास संसाधनों की कमी है लेकिन उत्साह में कोई कमी नहीं है, जो दिख भी रहा था।जीवन यादव ने कहा कि यह यात्रा श्रम से उपजे प्रेम की यात्रा है। यहाँ पर जसम रायपुर के साथी राजकुमार सोनी ने जनगीत प्रस्तुत किया। इप्टा बिलासपुर से अरुण दाभड़कर, प्रगतिशील लेखक संघ के प्रदेश अध्यक्ष नथमल शर्मा, रफ़ीक खान, मोहम्मद रफ़ीक सहित श्रीकांत वर्मा पीठ के अध्यक्ष राम कुमार तिवारी, कॉमरेड श्याम बिहारी बनाफ़र, मुदित मिश्रा सहित क्षेत्रीय नागरिक उपस्थित रहे।

इसके बाद जांजगीर चाम्पा के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए सांस्कृतिक यात्रा चाम्पा के लिए निकल पड़ी। थोड़ी दूर पैदल साथ चलने के बाद हम लोग साथियों से विदा लेकर रायपुर के लिए निकल गये। बाद में पता चला कि चाम्पा में अच्छा आयोजन हुआ और लोगों की उपस्थिति भी बढ़िया रही।

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