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राजस्थान की पाँच दिवसीय पदयात्रा : अनेकधर्मी सांस्कृतिक इंद्रधनुष की झलक

राजस्थान की पाँच दिवसीय पदयात्रा : अनेकधर्मी सांस्कृतिक इंद्रधनुष की झलक

(देश भर के सांस्कृतिक संगठनों द्वारा ‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा 28 सितम्बर 2023 से 30 जनवरी 2024 तक आयोजित की गयी है। यह यात्रा 22 प्रदेशों से होती हुई लगभग सौ दिनों तक गाँव-गली-शहरों-चौराहों पर आम लोगों से संवाद करती हुई परस्पर प्रेम और भाईचारे का आदान-प्रदान कर रही है। इसमें इप्टा के अलावा प्रगतिशील लेखक संघ, जनवादी लेखक संघ, जन नाट्य मंच, जन संस्कृति मंच, दलित लेखक संघ, अनहद, कारवाँ ए मोहब्बत जैसे राष्ट्रीय संगठनों के अलावा अनेक प्रादेशिक और स्थानीय संगठन और व्यक्ति सम्मिलित हो रहे हैं।

पिछली कड़ी में आपने पढ़ा, राजस्थान में आरम्भ हुई ‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा के प्रथम दो दिनों का विवरण; इस कड़ी में प्रस्तुत है शेष तीन दिनों की तमाम गतिविधियाँ, जो राजस्थान के अद्भुत धार्मिक-सांप्रदायिक सौहार्द्र तथा जन-केंद्रित संवाद को रेखांकित करती हैं।

‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा की सबसे पहली पायदान पर राजस्थान राज्य के समूचे यात्रा-पथ का आयोजन व सञ्चालन किया इप्टा की प्रदेश अध्यक्ष सर्वेश जैन ने। उनके साथ कंधे से कन्धा जोड़कर साथ दिया अखिल भारतीय जनवादी महिला संगठन की उपाध्यक्ष रईसा ने। साथ ही इप्टा की राष्ट्रीय संयुक्त सचिव अर्पिता ने राजस्थान की पूरी यात्रा में सक्रिय रहकर उसके अधिकांश महत्वपूर्ण गतिविधियों के फोटो, वीडियो लिए तथा प्रतिदिन की रिपोर्ट भी तैयार की। तीनों महिला साथियों को सलाम। उल्लेखनीय यह भी है कि प्रसिद्ध नाट्य निर्देशक और इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसन्ना भी पूरी राजस्थान-पदयात्रा में साथ चलते रहे और जन-संवाद के दौरान अपने अनुभवी निरीक्षण और सुलझे हुए विचारों से महत्वपूर्ण बातों को सामने लाते रहे। यात्रा इस कड़ी में अर्पिता के अलावा राजस्थान पदयात्रा की संयोजक डॉ सर्वेश जैन तथा राजस्थान इप्टा के महासचिव संजय विद्रोही द्वारा भेजे गए फोटो और रिपोर्ट शामिल है। यहाँ प्रस्तुत है इन्ही रिपोर्ट्स का संकलन।)

28 सितम्बर 2023 से अलवर राजस्थान से शुरु हुई राष्ट्रीय सांस्कृतिक सद्भाव यात्रा ‘ढाई आखर प्रेम’ इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसन्ना जी के नेतृत्व में पूरे जोश खरोश के साथ अलवर के आसपास के ऐतिहासिक गाँवों से होकर 02 अक्टूबर को समाप्त हुई। खुशी की बात यह है कि इसमें हर रोज़ अलवर के बाहर से आने वाले कलाकार और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए। दूसरी उल्लेखनीय बात यह है कि इसका मूलभूत इंतज़ाम स्थानीय ग्रामवासियों ने प्रसन्नतापूर्वक किया। इस तरह की गतिशील सामूहिक सांस्कृतिक मुहिम एक छिपे हुए सत्य को उद्घाटित करने का काम करती है कि लोग प्रेम और सद्भाव के साथ ही रहना चाहते हैं। पिछली कड़ी में 28 एवं 29 सितम्बर की पदयात्रा के बारे में पढ़ चुके हैं।

30 सितम्बर 2023 :

29 सितंबर 2023 की रात ग्राम ठेकड़ा में रात्रि-विश्राम किया गया और 30 की सुबह सरपंच ताराचंद जी के साथ गाँव के वरिष्ठ नागरिकों तथा समस्त पदयात्रियों ने प्रभात फेरी की। उसके बाद पदयात्रियों को चाय-नाश्ता करवाकर भाईचारा और अमन के नारे लगाते हुए गाँव से विदा किया गया।

तीसरे दिन का अगला पड़ाव था चरणदास की जन्मस्थली। ठेकड़ा गाँव से सुबह निकलकर जत्था गाँव डेहरा के चरणदास मंदिर पहुँचा। डेहरा गाँव के संत चरणदास की यह जन्मस्थली है। वहाँ मंदिर बनाया गया है। चरणदास ने समाज में सदभाव स्थापित करने के लिए काफी काम किये। हाल में 18 सितंबर को उनकी 321वीं सालगिरह पर मेला लगा था। डेहरा ग्राम के सरपंच भीम सिंह जोनवाल ने जत्थे का स्वागत किया। नाश्ते के बाद पहले सत्र में गाँव के वरिष्ठ लोगों के साथ ‘ढाई आखर प्रेम’ जत्था के उद्देश्य पर चर्चा की गई। सभी ने कहा कि आज के दौर में प्रेम और भाईचारा सामाजिक सद्भाव के लिए महत्वपूर्ण और आवश्यक हथियार है। इसी के साथ मंदिर में एकत्र हुई नरेगा में काम करने वाली लगभग 30 महिलाओं के साथ संवाद हुआ।

उन्होंने चरणदास के तीन भजन सुनाए तथा उनका अर्थ भी समझाया। उसके बाद लोकनृत्य प्रस्तुत किया, जिसमें इप्टा की अर्पिता भी खुशी से शामिल हुई। इन गीतों में लोक-भक्ति की बयार बह रही थी और मानव-कल्याण पर बल दिया गया था। देखिये गीत-नृत्य का वीडियो।

छत्तीसगढ़ के निसार अली और साथियों ने ‘गुरु के बाना’ गीत गाया और उसके बाद जेंडर आधारित गीत ‘पापी हो गए नैना तेरे’ प्रस्तुत किया।

शाम साढ़े चार बजे यहाँ से निकलकर लगभग 6 किलोमीटर दूर स्थित गाँव अमृतबास (रूँदशाहपुर) पहुँचे। यह पूरा गाँव अनुसूचित जाति (जाटव) का है तथा चारों ओर से अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। वैसे पूरा अलवर जिला ही अरावली की पहाड़ियों के बीच स्थित है। वहाँ दर्शकों में बच्चे, युवा, प्रौढ़ और वृद्धजन महिलाओं के साथ शामिल थे। भारत परिवार के वीरेन्द्र क्रांतिकारी ने ‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा का संक्षिप्त परिचय दिया। पीपाड़ सिटी (जोधपुर) से आए प्रवीण शर्मा व रविन्द्र कुमार के निर्देशन में लिटिल इप्टा के बच्चों द्वारा नाटक ‘सद्भावना’ प्रस्तुत किया गया। साथ ही छत्तीसगढ़ के नाचा-गम्मत थियेटर ग्रुप के निसार अली के निर्देशन में देव नारायण साहू, गंगाराम साहू, जगनूराम ने लघु नाटिका और गीत प्रस्तुत कर सद्भावना और आपसी भाईचारे का संदेश दिया। गाँव की लड़कियों ने दो राजस्थानी लोकनृत्य प्रस्तुत किये। ग्राम अमृतवास में जत्थे ने रात्रि-विश्राम किया।

यहाँ कार्यक्रम के अंत में एक घटना घटित हुई। दर्शकों की भीड़ में एक बाबा बैठे थे, उन्होंने प्रसन्ना से उनकी जाति पूछ ली। प्रसन्ना ने जब उनसे बात की तो वे कुतर्क करने लगे और बात सुनने को तैयार नहीं थे। जब उन्होंने प्रसन्ना की बात नहीं सुनी, तो प्रसन्ना वहीं पर उपवास पर बैठ गए, प्रसन्ना ने भोजन नहीं किया। अन्य सभी गाँव वालों ने यात्रा के सभी साथियों को समझाया कि हर गाँव में एक-दो लोग इस तरह के होते ही हैं, आप लोग खाना खाएँ। यात्रा के अन्य साथियों ने वहाँ खाना खाया, बहुत मन से गाँव वालों ने खीर, पूड़ी, सब्जी बनाई थी।

तीसरे दिन की पदयात्रा में इप्टा के साथियों के अलावा भारत परिवार जिला अध्यक्ष जस्सू फौजी और जैनब सिद्दिकी, फातिमा शेख लखनऊ से तथा सुमन सौरभ पटना से शामिल हुए। राजस्थान से किशन खेरलिया, हर्षिता विकास कपूर, प्रवीण शर्मा, शफी मोहम्मद तथा अन्य साथी मौजूद रहे।

01 अक्टूबर 2023 :

सुबह सवा छै बजे पदयात्रियों का काफिला रूँदशाहपुर के पास स्थित पहाड़ी में स्थित चूहड़सिद्ध मज़ार-मंदिर जा पहुँचा। चूहड़सिद्ध बकरी चराने वाले ऐसे मेव (मुस्लिम) बाबा थे, जिन्हें सभी सम्प्रदायों के लोग मानते हैं। वे तमाम श्रम करते लोगों में प्रेम और सद्भाव का संदेश फैलाते रहे हैं। हर धर्म-सम्प्रदाय के लोग उनके अनुयायी हैं। मज़ार के भीतर छत्तीसगढ़ के साथी निसार अली ने नज़ीर अकबराबादी की नज़्म ‘रोटियाँ’ प्रस्तुत की।

ग्रामीणों से संवाद करते हुए इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसन्ना ने कहा कि हमें खादी के स्वावलंबन और उसके प्रति प्रेम को समझना होगा। प्रेम और भाईचारे को अपनाने के लिए उन्होंने कबीर, रैदास, मीरा के विचारों को आत्मसात करने की सलाह दी।

यहाँ नाश्ता करने के बाद पहाड़ी से नीचे उतरे और खेतों और पगडंडियों से चलते हुए लगभग 4 घंटे के बाद मंगलबांस गाँव होते हुए ग्राम पंचायत हाजीपुर पहुँचे, जहाँ एक सरकारी स्कूल में भोजन, विश्राम तथा गाँव वालों से बातचीत की व्यवस्था की गयी थी। सरपंच ताराचंद, भूमिराम गुर्जर, जिला परिषद सदस्य ओमप्रकाश, सामाजिक कार्यकर्ता अनूप दायमा तथा शिक्षक शिवराम ने राजस्थानी परम्परा का निर्वाह करते हुए जत्थे के सभी साथियों का साफा पहनाकर सम्मान किया।

सरपंच ताराचंद, जिला परिषद सदस्य ओमप्रकाश तथा सामाजिक कार्यकर्ता अनूप दायमा से गाँव और आसपास चलने वाली गतिविधियों के साथ नागरिक अधिकारों के लिए ग्रामीणों के एक साथ खड़े होने की कहानी के बारे में पता चला कि किस तरह हाजीपुर ग्राम पंचायत के सदस्यों ने सरपंच के साथ मिलकर पहाड़ों पर पशुओं को चरने से रोकने के लिए वन विभाग द्वारा लगाई जा रही फेंस के खिलाफ गाँववालों को एकजुट किया था।

दोपहर को सरपंच ने भी पदयात्रियों के साथ डडीघर में भोजन किया। ‘ढाई आखर प्रेम’ से संबंधित पदयात्रियों के अनुभवों पर दूसरे सत्र में चर्चा की गई तथा उनके अनुभव वीडियो रिकॉर्ड किये गये। इसमें पीपड़ से आए बच्चों सोनू, सुखदेव, जयकिशन, सुमित, रुद्र, ललित, युवराज, रामकिरण और राजवीर के अलावा अलवर से आए बच्चे गूँजन उर्फ़ बूँद और संकल्प विशेष रूप से शामिल थे। अन्य सभी पदयात्रियों ने भी अपने-अपने विचार और अनुभव प्रकट किये।

बीच में बाला डेहरा में बंजारा बस्ती में अनेक बंजारा महिलाओं से बातचीत हुई। सर्वेश जैन और अर्पिता को देवरानी-जेठानी लाड़ो और जाई ने बताया कि, उन्होंने सड़क और पानी की मांग की है। तमाम कागज जमा कर दिये हैं। वहीं दूसरी ओर प्रसन्ना ने लगभग ब्यानबे वर्षीय (अनुमानित उम्र, क्योंकि भारत के विभाजन के समय वे 15-16 वर्ष के रहे होंगे, उन्होंने बताया) आस मोहम्मद से बातचीत करते हुए बंजारा जनजाति के बारे में बताया, घुमंतू बंजारा जाति का यह पुनर्वसन केन्द्र है। वे भेड़े लेकर घूमते थे पर अब यहाँ बस गए हैं। महिलाओं ने जो गहने पहने हैं, वे बहुत अनूठे हैं। ये एल्यूमीनियम के हैं, जिन्हें महिलाएँ खुद बनाती हैं।

यात्रा शाम को पाँच बजे निर्वाण वन फाउंडेशन पहुँची, जहाँ बोधिसत्व निर्वाण जी ने पदयात्रियों का स्वागत किया। यह फाउंडेशन नट और कंजर समुदाय में शिक्षा का काम करता है। अपने परिसर में वैकल्पिक स्कूल चलाता है, जिसमें कक्षा एक से लेकर आठ तक पढ़ाई होती है। इस अवसर पर बोधिसत्व जी ने विश्वास व्यक्त किया कि ‘ढाई आखर प्रेम’ यात्रा देश में आपसी सौहार्द्र एवं प्रेम की भावना बढ़ाने में कामयाब होगी। यह एक सराहनीय पहल है। उन्होंने कहा कि, गौतम बुद्ध और कबीरदास ऐसे क्रांतिकारी संत रहे हैं, जिन्होंने समाज को जड़ता से बाहर निकालकर अहिंसा, प्रेम और सौहार्द्र का संदेश दिया, युवाओं को उनके विचारों को अपने जीवन में उतारना चाहिए।

छत्तीसगढ़ के साथी निसार अली ने यात्रा में सम्मिलित बच्चों को ‘ले मशाले चल पड़े हैं लोग मेरे गाँव के’ जैसे कई गीत यात्रा के दौरान सिखाए।

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यहाँ शाम छै बजे से सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ हुईं, जिसमें निसार अली, गंगाराम, जगनूराम और देवनारायण साहू द्वारा प्रहसन ‘गमछा बेचैया’ प्रस्तुत किया गया। मधुबनी से आए सुमन सौरभ ने स्वरचित ‘किसान की व्यथा’ नाटक की एकल प्रस्तुति दी। उत्तराखंड से आई अनिता पंत ने लोकनृत्य और गीत सागर ने गीत प्रस्तुत किया। ये तीनों साथी भारत परिवार से जुड़े हुए हैं और ‘ढाई आखर प्रेम’ यात्रा में सहभागी होने आए थे। लिटिल इप्टा पीपड़ के बच्चों ने ‘सद्भावना’ नाटक प्रस्तुत किया। इस दिन की अंतिम प्रस्तुति थी तिलकराम और साथियों द्वारा कबीर-गायन की।

चौथे दिन यात्रा में राजस्थान जत्थे की संयोजक सर्वेश जैन, इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसन्ना, संयुक्त सचिव अर्पिता, राजस्थान के महासचिव संजय विद्रोही, इप्टा अलवर के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह, भारत परिवार के अध्यक्ष वीरेन्द्र क्रांतिकारी, लखनऊ की जैनब सिद्दिकी, उत्त्राखंड की अनिता पंत, बिहार के सुमन सौरभ, छत्तीसगढ़ के नाचा-गम्मत कलाकार निसार अली, देव नारायण साहू, गंगाराम साहू, जगनूराम, एडवा राजस्थान की उपाध्यक्ष रईसा, एडवा अलवर की कोषाध्यक्ष मंजू मीणा, जनवादी लेखक संघ अलवर के सचिव भरत मीणा, सरिता भारत, सुशीला रानी, राहुल जस्सू फौजी, किशनलाल खैरालिया के अलावा पीपड़ लिटिल इप्टा के बच्चे सोनू, सुखदेव, जयकिशन, सुमित, रुद्र, ललित, युवराज, रामकिरण और राजवीर के अलावा अलवर से आए बच्चे गूँजन उर्फ़ बूँद और संकल्प आदि शामिल थे।

02 अक्टूबर 2023 :

पाँचवें और अंतिम दिन सुबह 7 बजे यात्रा की शुरुआत निर्वाण वन फाउंडेशन से हुई। यहाँ से पदयात्री 3 किलोमीटर दूरी तय करते हुए अपने पहले पड़ाव रूद्ध माच गाँव में स्थित मत्स्य मेवात शिक्षा एवं विकास संस्थान पहुँचे, जो गांधीवादी साथी वीरेन्द्र विद्रोही और वेद दीदी की कार्यस्थली रहा। वे अलवर के नागरिक मुद्दों और अधिकारों के लिए तत्पर रहते थे। यह जन-विकास और जन-संवाद केन्द्र के रूप में विकसित किया गया है। ये दोनों अब नहीं हैं परंतु उनके काम को अनूप दायमा, वीरेन्द्र क्रांतिकारी और अन्य साथी आगे बढ़ा रहे हैं।

मत्स्य मेवात शिक्षा एवं विकास संस्थान में गांधी जयंती और वायकम सत्याग्रह के सौ बरस पूरे होने पर गांधी जी को याद करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किये। वेद दीदी और वीरेंद्र विद्रोही को भी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। वहाँ प्रसन्ना ने कहा, गांधी जी सिर्फ राजनीतिक काम नहीं करते थे, वे रचनात्मक कार्यक्रम भी करते जाते थे। यह जुड़ाव बहुत महत्वपूर्ण है। अनूप कुमार दायमा ने भी अपनी बातें कहीं। आपसी संवाद और नाश्ते के बाद यहाँ से अगले पड़ाव की ओर जत्था रवाना हुआ।

इसके बाद पदयात्रा रूद्ध माच गाँव से निकलकर लगभग ढ़ाई किलोमीटर दूर स्थित गाँव रावण देवरा पहुँची। यहाँ जैन मंदिरों के अवशेष मिले, जो अलवर के बीरबल मोहल्ले में स्थित रावण देवड़ा मंदिर में देखे जा सकते हैं। यहाँ एक बड़े बरगद के नीचे बने चबूतरे पर अलवर के रामचरण राग ने ‘ढाई आखर प्रेम’ पर आधारित रचना का गायन किया। प्रदीप माथुर द्वारा एक कविता भी पढ़ी गई। रूद्ध शाहपुर गाँव के बहुरूपिया राकेश ने अपनी कला से सब का मन मोह लिया। जिस दिन हम मिले, वे हनुमान का रूप धारण किये हुए थे। यहाँ रामचरण राग ने ग़ज़ल और गीत सुनाये। वे सृजक संस्थान के सचिव हैं, जो ‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा में सहयोगी संगठन रहा। वरिष्ठ साथी प्रदीप माथुर, प्रदेश इप्टा के संयुक्त सचिव हैं और अलवर में साहित्य और ललित कला के सचिव भी हैं। पीपाड़ से आये प्रवीण परिमल ने एक ग़ज़ल सुनाई।

इसके बाद यहाँ से यात्रा प्रतापबंध होते हुए घोडा फेर चौराहा से जोतीबा फुले सर्किल पहुँची, वहाँ जोतीबा फुले को श्रद्धा सुमन अर्पित किये गए। वहाँ से यात्रा मनु मार्ग, मन्नी का बड़ होते हुए सैनिक विश्राम गृह के सामने कंपनी बाग़ पहुँची। यहाँ विजन संस्थान की ओर से भोजन का प्रबंध किया गया था। विजन संस्थान के हिमांशु तथा चिंटू गूजर ने सबको भोजन कराया। यहाँ छत्तीसगढ़ की टीम द्वारा नाटक प्रस्तुत किया गया। पीपाड़ (जोधपुर) की टीम ने नाटक ‘सद्भावना’ प्रस्तुत किया। पदयात्रा में चलने वाले सभी साथियों का इप्टा के कार्यकारी अध्यक्ष नागेंद्र जैन, राजस्थान जत्था की संयोजक डॉ सर्वेश जैन, वीरेंद्र क्रान्तिकारी, भरतलाल मीणा, नीलाभ पंडित, छंगाराम मीणा, हरिशंकर गोयल, प्रोफ़ेसर शम्भू गुप्ता ने गमछा पहनकर स्वागत किया। ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक पदयात्रा के अंतिम पड़ाव नगर निगम पहुँचकर महात्मा गांधी की मूर्ति पर माल्यार्पण कर राजस्थान की पदयात्रा को विराम दिया गया।

राजस्थान में पदयात्रा के आयोजक और सहयोगी संगठन थे – राजस्थान इप्टा, एडवा, भारत परिवार, जलेस, सृजक संस्थान, लाइफ सेवर टीम, विजन संस्थान, एटक, सद्भाव मंच, सीटू, एसएफआई, एम.एम.एस.वी.एस.

‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक पदयात्रा की श्रृंखला में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 02 अक्टूबर से 08 अक्टूबर 2023 तक केरल राज्य में पदयात्रा होने वाली थी, परंतु निपाह वाइरस के कारण इस राज्य की यात्रा फिलहाल स्थगित की गई है। उसके स्थान पर 03 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के जाँजगीर-चाँपा में, 04 अक्टूबर को मध्यप्रदेश के चंदेरी में, 05 अक्टूबर को झारखंड के गढ़वा में और 06 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में एक दिवसीय पदयात्रा की जा रही है।

‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक पदयात्रा के अगले क्रम में 07 अक्टूबर से 14 अक्टूबर 2023 तक बिहार राज्य में जत्था निकलेगा।

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