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इप्टा का पन्द्रहवाँ राष्ट्रीय सम्मेलन डालटनगंज में सम्पन्न : तीसरा दिन

इप्टा का पन्द्रहवाँ राष्ट्रीय सम्मेलन डालटनगंज में सम्पन्न : तीसरा दिन

उषा वैरागकर आठले

(17, 18 व 19 मार्च 2023 को डालटनगंज में आयोजित इप्टा के पन्द्रहवें राष्ट्रीय सम्मेलन की रिपोर्ट तीन किश्तों में प्रस्तुत है। साथी मृगेंद्र सिंह, अर्पिता श्रीवास्तव तथा रवि शंकर की सहायता से रिपोर्ट बनाई गई है। फोटो रजनीश साहिल तथा अजय धाबर्डे के सौजन्य से। प्रस्तुत है तृतीय और अंतिम किश्त )

15 वें राष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे और अंतिम दिन का प्रथम सत्र महासचिव की रिपोर्ट पर चर्चा से शुरु हुआ। राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक परिदृश्य, देश में चल रहे सामाजिक आंदोलनों व इप्टा के कार्यों पर आधारित महासचिव की रिपोर्ट पर अलग-अलग राज्यों के प्रतिनिधियों ने चर्चा की व कुछ सुझाव दिये। बिहार इप्टा के फिरोज अशरफ खान ने कहा कि साझा फोरम के लिए राज्य व इकाई स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने का प्रयास होना चाहिए।

केरल इप्टा की साथी निमिषा ने कहा कि राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल सभी राज्य आपस में मिलकर कोई प्रस्तुति तैयार करने की योजना बनाएँ, जिसके मंचन हरेक राज्य में हरेक भाषा में हों। दक्षिण के साथियों के लिए उनकी भाषा में अनुवाद किये जाने पर भी बल दिया गया। महासचिव की रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए उत्तर प्रदेश के साथी दीपक कबीर ने दो प्रस्ताव रखे, पहला, किसान दिवस पर इप्टा कार्यक्रम करे। दूसरा, इप्टा के पूर्व महासचिव राजेन्द्र रघुवंशी शताब्दी समारोह का आयोजन 2023 में किया जाए। उनके अन्य सुझाव थे – इप्टा के बीच के प्रतिभाशाली व्यक्तियों की पहचान की जाए, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए एक समूह बनाया जाए, महाविद्यालयों में पैठ बनाने के लिए प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाए, प्रतिरोध की वैकल्पिक भाषा विकसित करने की कोशिश की जाए। उन्होंने ग्रामीण स्तर पर भी सांस्कृतिक गतिविधि बढ़ाए जाने पर ज़ोर दिया। चंड़ीगढ़ के साथी बलकार सिद्धू ने युवाओं को अधिक प्रोत्साहन दिये जाने पर ज़ोर दिया। राजस्थान इप्टा के संजय विद्रोही ने सुझाव दिया कि एक राष्ट्रीय कैलेंडर होना चाहिए, जिससे हमारे कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर तय हों और राष्ट्रीय व राज्य इकाइयों के बीच निरंतर संवाद हो। मध्यप्रदेश के शिवेन्द्र शुक्ला ने बच्चों की कार्यशाला आयोजित करने का काम राष्ट्रीय स्तर पर करने की आवश्यकता प्रतिपादित की। छत्तीसगढ़ से मणिमय मुखर्जी, प्रितपाल सिंह अरोरा, पंजाब से इंद्रजीत रूपोवाली, आंध्र प्रदेश से लक्ष्मीनारायण, बंगाल से सुबोध दत्ता, कर्नाटक से षड्मुगु स्वामी, दिल्ली से अमिताभ पाण्डे, केरल से जयकुमार, झारखंड से शैलेन्द्र कुमार, तेलंगाना से पेल्ले नरसिम्हा, ओडिसा से कृष्णप्रिया, उत्तराखंड से सतीश कुमार ने भी रिपोर्ट प्रस्तुत कर सुझाव दिये। नाशिक इप्टा के युवा साथियों तल्हा शेख और संकेत ने महासचिव की रिपोर्ट में शामिल करने के लिए कुछ सुझाव दिये।

महासचिव की रिपोर्ट पर चर्चा एवं सुझावों के उपरांत महासचिव राकेश ने अपने फाइनल वक्तव्य में सहमति और असहमति का स्वागत करते हुए ख्वाजा अहमद अब्बास का ज़िक्र किया कि इप्टा के भीतर उनकी खूब आलोचना हुई, यहाँ तक कि उनके साथ काम करने वाले बलराज साहनी ने भी उनकी आलोचना की, लेकिन उन्होंने आलोचना को हमेशा सकारात्मक तरीके से लिया और वे ऐतिहासिक फिल्मों का निर्माण करते रहे। यह है इप्टा की परम्परा। रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान जो सुझाव आए हैं, उनको अमल में लाने की पूरी कोशिश की जाएगी। उन्होंने राज्य की इकाइयों को कार्य-योजना बनाकर निरंतर काम को आगे बढ़ाने तथा हर तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहने को प्रेरित किया।

सम्मेलन के अंतिम सत्र में कुछ प्रस्ताव प्रस्तुत किये गये। झूठ और नफरत की राजनीति के विरुद्ध प्रेम और सद्भाव का प्रस्ताव उषा आठले ने, विनीत तिवारी ने उर्दू भाषा के प्रति भेदभाव के खिलाफ प्रस्ताव रखा। फिरोज अशरफ खान ने साम्प्रदायिक राजनीति के खिलाफ, मनीष श्रीवास्तव द्वारा लिखित विनोद कोष्टी द्वारा प्रस्तुत पर्यावरण संरक्षण तथा आदिवासियों को सुरक्षा संबंधी प्रस्ताव तथा वरिष्ठ नागरिकों, कलाकारों व खिलाड़ियों को दी जाने वाली रियायती रेल यात्रा की सुविधा बहाल करने का प्रस्ताव हिमांशु राय ने रखा। इसी तरह लव जेहाद तथा अंतर्जातीय विवाह संबंधी कानून बनाने के विरोध में मुक्ता ने एक प्रस्ताव दिया। सभी प्रस्तावों को सर्वसम्मति से पारित किया गया। 15 वें राष्ट्रीय सम्मेलन का घोषणा पत्र भी प्रस्तुत किया गया।

इस सम्मेलन के आयोजनकर्ता डाल्टनगंज के साथी उपेन्द्र कुमार मिश्रा, शैलेन्द्र कुमार, डॉ. अरूण कुमार शुक्ला, पंकज श्रीवास्तव, रविशंकर, प्रेमप्रकाश, विनीत, हर्ष, भोला, शशि, संजू, समरेश, अजीत, घनश्याम, सिंटू, राजीव रंजन, गुड्डन, विजय सिंह, गगन कुमार तथा अन्य साथियों के साथ आयोजन में मदद के लिए विभिन्न इकाइयों से आई युवा टीम अर्पिता श्रीवास्तव, वर्षा आनंद, विनोद कोष्टी, सचिन श्रीवास्तव, संतोष, रजनीश साहिल, पियूष सिंह, साहिल राज तथा अन्य साथियों को मंच पर आमंत्रित कर सभी प्रतिनिधियों द्वारा करतल ध्वनि से उनके प्रति आभार प्रकट किया।

सम्मेलन से पूर्व की तैयारी के लिए डाल्टनगंज पहुँचे चित्रकार दिनेश, राजेश पाण्डेय, राकेश, धनंजय, रणवीर, धीरज आदि ने प्रदीप तरफदार (सम्पा दा) के नेतृत्व में दिन-रात मेहनत कर मंच, ग्राउंड, हॉल व शहर की साज-सज्जा की, उनके प्रति भी आभार प्रकट किया। बीहट इप्टा की टीम लक्ष्मीप्रसाद यादव के नेतृत्व में निर्भय सिंह, श्रीराम, उमेश साह, लक्ष्मण, हरिओम भी सम्मेलन के पूर्व नगर में घूम-घूमकर गीत गाकर सम्मेलन का प्रचार-प्रसार कर रहे थे। इनके साथ प्रेमप्रकाश, विनयभूषण, पंकज श्रीवास्तव, सुरेश सिंह, मनीष भी निरंतर लगे रहे। ये सभी साथी सम्मेलन की सफलता में सहभागी थे। उल्लेखनीय है कि आयोजन समिति में बतौर संरक्षक डॉ. वनजा शुक्ला, नवल तुलस्यान, अध्यक्ष डॉ. अरूण शुक्ला, शीला श्रीवास्तव, कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम भसीन जैसे प्रतिष्ठित नागरिकों का भरपूर सहयोग रहा।

नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी के लिए महासचिव तनवीर अख्तर, कार्यकारी अध्यक्ष राकेश तथा अध्यक्ष के रूप में जाने माने रंगकर्मी प्रसन्ना चुने गए। नवनिर्वाचित महासचिव तनवीर अख्तर ने सभी साथियों से सहयोग की अपील करते हुए धन्यवाद दिया। सभी प्रतिनिधियों ने मार्टिन लूथर किंग की रचना ‘हम होंगे कामयाब एक दिन’ सामूहिक रूप से गाकर सम्मेलन की सफलता पर खुशी जाहिर की।

15 वें राष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे और अंतिम दिन बारिश के कारण सांस्कृतिक कार्यक्रम कुछ बाधित हुआ। इसके बावजूद कलाकारों ने क्रमशः गांधी स्मारक भवन और शिवाजी मैदान में लोकगीतों व नृत्यों की प्रस्तुति दी। सबसे पहले पश्चिम बंगाल की पंडवानी गायिका सीमा घोष ने चक्रव्यूह में फँसे अभिमन्यु की गाथा प्रस्तुत की। उनके साथ शुभजीत चक्रवर्ती, अर्जित चक्रवर्ती, निलोय चक्रवर्ती तथा विमलचंद्र वैरागी पारम्परिक वाद्ययंत्रों पर संगत कर रहे थे।

बारिश के रूकने पर शिवाजी मैदान में भागलपुर इप्टा के कलाकारों ने लोकगीतों पर नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहीं बिहार की लोकगायिका नेहासिंह राठौर ने अपने लोकगीतों से दर्शकों को खूब झुमाया। उन्होंने ‘बेरोजगार बानी साहेब रोजगार मांगी ला…’, ‘यू पी में का बा’ के साथ खेती-किसानी और बेरोजगारी के सवालों को उठाते हुए अन्य गीत भी सुनाए। खराब मौसम के बावजूद डाल्टनगंज के दर्शकों ने नीलाम्बर पीताम्बर लोक महोत्सव के कार्यक्रमों की सांस्कृतिक विविधता का भरपूर आनंद लिया। शिवाजी मैदान के इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा कर्नाटक, केरल, झारखंड के नुक्कड़ नाटकों, गीत-नृत्यों की प्रस्तुतियाँ भी टाउन हॉल परिसर में हुईं।

15 वें राष्ट्रीय सम्मेलन में 18 राज्यों के 275 प्रतिनिधि तथा लगभग 150 कलाकारों ने हिस्सा लिया। असम, मणिपुर तथा जम्मू-कश्मीर के राज्य सम्मेलन सम्पन्न होने के बावजूद कतिपय कारणों से वहाँ के प्रतिनिधि नहीं आ सके।

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खुशी की बात यह थी कि इप्टा के पूर्व अध्यक्ष रणबीर सिंह की कमी को पूरा करने के लिए उनकी बेटी कविता राणा नेपाल से तथा पोती कशिका राणा जयपुर से आकर सम्मेलन में तीनों दिन शामिल रहीं। सम्मेलन के तीनों दिन गार्गी प्रकाशन तथा आदि केशवन द्वारा लगाई गई पुस्तक-प्रदर्शनी भी प्रतिनिधियों के आकर्षण का केन्द्र बनी।

साथ ही इप्टा के इतिहास पर केन्द्रित पोस्टर्स, कविता व अन्य पोस्टर्स की प्रदर्शनी पहले दिन से ही साथी नासिरुद्दीन के नेतृत्व में लगाई गई थी, जिसका अवलोकन भारी संख्या में लोगों द्वारा किया गया। समूचे सम्मेलन के सभी कार्यक्रमों की फोटोग्राफी रजनीश साहिल तथा अजय धाबर्डे ने की। रिपोर्ट तैयार की मृगेंद्र सिंह ने।

अंतिम दिन अनेक आदिवासी चित्रकारों ने, जो झारखंड की समृद्ध कला की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, ने चित्र बनाए, जिन्हें काफी सराहा गया। इनमें थे, सी आर हेम्ब्रम, मिनाक्षी मुंडा, डॉ. भारती, मृणालिनी टुटी, ज्योति वंदना लकड़ा, बंदी उराँव, लोधेर उराँव, लखीन्द्र मुण्डा, अभिजीत मुण्डा, अनिता मिंज, बीनी एक्का, विपाशा कुमारी, राजेश बारला, मनिता कुमारी उराँव।

इसके अलावा साथी निवेदिता और उनके साथी की पहल बहुत महत्वपूर्ण थी। उन्होंने इप्टा के सभी गायकों, संगीतकारों से आग्रह किया कि वे अपने जनगीतों, क्रांतिकारी गीतों या लोकगीतों के बारे में सूचना दें, वे स्वयं उनकी इकाई में जाकर तकनीकी सहायता मुहैया कर गीत रिकॉर्ड करेंगी।

नीलाम्बर पीताम्बर लोक महोत्सव के आयोजन में इप्टा की राष्ट्रीय समिति, इप्टा के सदस्यों, शुभचिंतकों के अलावा झारखंड सरकार के सांस्कृतिक कार्य निदेशालय, कला, संस्कृति, पर्यटन, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग का भी सहयोग प्राप्त हुआ।

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