(सलिल चौधरी का यह जन्म-शताब्दी-वर्ष है। उनका एक ऐसा इंटरव्यू, जो आधुनिक पॉडकास्ट के ज़माने का ‘क्विक आंसर राउंड’ जैसा है। छोटे-छोटे सीधे-सरल प्रश्नों का जैसा स्पष्ट उत्तर सलिल चौधरी ने दिया है, वह उनकी विचारधारात्मक प्रतिबद्धता और ईमानदारी को दर्शाता है। रोचक होने के साथ-साथ यह इंटरव्यू एक जनता को समर्पित संगीतकार की तस्वीर साकार करता है। सलिल चौधरी पर लिखी और प्रकाशित बांग्ला किताब “आलोर पथो जात्री”, संपादक धीराज साहा से इस साक्षात्कार के एक अंश का हिंदी अनुवाद छत्तीसगढ़ इप्टा के अध्यक्ष तथा गायक-संगीतकार मणिमय मुखर्जी ने किया है।
सभी फोटो साथी मणिमय मुखर्जी तथा गूगल से साभार)

प्रश्न :- सम्पूर्ण आनंद के बारे में आप के क्या विचार हैं?
सलिल :- अभी जिस समय में हम जी रहे हैं, उसमें मुझे लगता है कि किसी ऐसे सुर में सृष्टि-क्षमता हो, जो हमारे देशवासियों को एकसूत्र में बाँधे और पूरी पृथ्वी के अग्रणी देशों को एक बनने के लिए प्रेरित करे।
प्रश्न :- आपको सबसे बड़ा डर किस बात का है?
सलिल :- किसी दिन भारत पर चरमपंथियों या कट्टरपंथियों का शासन होगा और वो स्वतंत्रता का गला घोंट देंगे एवं बुद्धिजीवियों को अलग कर गोली मारकर मार डालेंगे।
प्रश्न :- आपके जीवन पर किस चीज़ का और किस व्यक्ति का अधिक प्रभाव पड़ा?
सलिल :- मेरे जीवन पर सबसे अधिक प्रभाव पाश्चात्य एवं भारतीय शास्त्रीय संगीत के चुनिंदा सर्वश्रेष्ठ रिकॉर्ड और एक पुराना ग्रामोफोन, जो मेरे पिताजी का था, उसका बड़ा प्रभाव पड़ा। इसके अलावा दर्शनिकता की बात करें तो मेरे जीवन में मार्क्स और एंजिल्स के द्वंद्वात्मक एवं ऐतिहासिक भौतिकवाद का बहुत प्रभाव पड़ा।


प्रश्न :- आपको दूसरों की कौन सी बात बिल्कुल पसंद नहीं है?
सलिल :- समाज के ऊपर के तबके के दिखावटी लोगों का अहंकार और उग्रता का निर्लज्ज और बेशर्म प्रदर्शन।
प्रश्न :- आपको स्वयं की कौन सी चीज़ पसंद नहीं है?
सलिल :- सभी में अन्याय के विरुद्ध विरोध करने की ऊर्जा की कमी और आलस।
प्रश्न :- आपके पास सबसे मूल्यवान चीज क्या है?
सलिल :- मेरे अंतर की आवाज़, जो मुझे श्रेष्ठ सुर-रचना करते समय सहायता करती है।
प्रश्न :- आपका हर समय का साथी कौन है?
सलिल :- मेरे सपने और जिन स्वरों को मैं नहीं गा पाया वो…।
प्रश्न :- आपको कब सबसे बुरा लगता है?
सलिल :- जब एक बेसुरा और कर्कश स्वर दूसरे सुर में मिल जाता है।
प्रश्न :- आपके चेहरे में आपको क्या पसंद नहीं है?
सलिल :- मेरा गंजा सर, जो एक समय घने और काले बालों से भरा रहता था। हालाँकि मेरी पत्नी कहती है कि आप अभी भी बहुत अच्छे दिखते हैं।

प्रश्न :- आपके प्रिय शब्द क्या हैं?
सलिल :- दरअसल और असल बात।
प्रश्न :- आपके पसंद की घूमने की जगह कौन सी है?
सलिल :- काजीरंगा के जंगल, जहाँ हाथी पर सवार होकर बाईसन और गेंडे का अभिवादन करता था। बचपन में मैं यह करता था।
प्रश्न :- आपका प्रिय सपना क्या है?
सलिल :- एक दिन सभी मनुष्य समान होंगे।
प्रश्न :- आपका दुस्वप्न क्या है?
सलिल :- फासीवाद।
प्रश्न :- आपके जीवन का श्रेष्ठ प्रेम क्या और कौन है?
सलिल :- मैंने जीवन में इतना प्यार और आशीर्वाद पाया है, जो मैं गिनना भूल गया हूँ। पर मैं कह नहीं सकता कि इसमें कौन सा श्रेष्ठ था।शायद मेरी माँ का प्रेम था जिसने दुख के लोहे को भी सोने में रूपांतरित कर दिया। मैं अभी भी उसे ढूँढता रहता हूँ; जैसे रविंद्रनाथ का पारस पत्थर ढूँढता हुआ पागल।
प्रश्न :- आपके जीवन की रसद क्या है?
सलिल :- मेरे सामने एक विशाल लक्ष्य है, जो मैंने अपने लिए निर्धारित किया है, जहाँ मैं कभी नहीं पहुँच पाता हूँ।
प्रश्न :- क्या आप कभी झूठ बोलते हैं?
सलिल :- हाँ, मैं अपने पिता की तरह झूठ बोलता हूँ। वे एक डाक्टर थे। वे अपने उन मरीजों को, जिनके जीने की उम्मीद बिल्कुल नहीं रहती थी, उन्हें भी वे कहते कि तुम बिल्कुल ठीक हो जाओगे।
प्रश्न :- आपको सबसे ज़्यादा किस बात का पछतावा होता है?
सलिल :- आजादी के 40 साल बाद भी मेरे देश के अधिकांश लोग अशिक्षित और गरीबी रेखा के नीचे हैं और मैं स्वयं उनके लिए लगभग कुछ नहीं कर सका हूँ।
प्रश्न :- आपके जीवन में सबसे ज़्यादा खुशी आपको कब मिली थी?
सलिल :- जब मेरा पहला बच्चा पैदा हुआ तो मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मैं अपना भगवान हूँ; क्योंकि मैंने एक इंसान को जन्म दिया है।
प्रश्न :- किस बात के लिए आपकी आँखों में आँसू आते हैं?
सलिल :- कोई बेहतरीन कविता या धुन सुनकर, बिछुड़ने का ग़म अथवा मिलन का आनंद मिलने पर और मनुष्य के प्रति सहानुभूति उमड़ने पर। जैसे मदर टेरेसा ने कहा था कि महाराष्ट्र के भूकंप के सभी अनाथ बच्चों की जिम्मेदारी मैं लूँगी।
प्रश्न :- आप सेवानिवृत होने के बाद क्या कार्य करेंगे?
सलिल :- संगीत, कविता या फिल्म में ध्यान केंद्रित करूँगा। शतरंज खेलूँगा और फुर्सत में कभी सुरा-पान करके भी समय बिताऊँगा।

प्रश्न :- आप दूसरों की किस बात से सबसे अधिक ईर्ष्या करते हैं?
सलिल :- जो इस जन्म में मेरे साथ नहीं हो सकता; जैसे ओलंपिक का खिलाड़ी होना, एक वैज्ञानिक होना, अंतरिक्ष यात्री बनना या बीथोवेन या एंजेलो बनना।
प्रश्न :- आपको लोग किस तरह से याद करें, आप चाहते हैं?
सलिल :- मुझे नहीं लगता कि मेरा कोई भी अधिकार है कि मैं लोगों से कहूँ कि तुम मुझे क्यों और किस तरह याद करो।
प्रश्न :- आप किस तरह की मृत्यु की कामना करते हैं?
सलिल :- एक स्टूल पर बैठकर पियानो के कीबोर्ड से धुन बनाते-बनाते।
