इप्टा के स्थापना वर्षों में नींव का पत्थर रहीं रेखा जैन की जन्म शताब्दी के अवसर पर रंग-जगत को उनके समग्र अवदान का एक स्थान पर परिचय देने की ज़रूरत के तहत पिछले एक महीने से उनकी किताबों पर श्रृंखलाबद्ध तरीक़े से लिख रही हूँ। मेरे पास उपलब्ध रेखा जैन पर केंद्रित अन्य चार किताबों का परिचय इस कड़ी में प्रस्तुत है। यहाँ कोशिश की गई है कि रेखा जैन पर केंद्रित पिछली कड़ियों में जो सामग्री या फोटो प्रस्तुत किए गए हैं, उनके अतिरिक्त सामग्री इस कड़ी में सम्मिलित करूँ।
‘यादघर : एक संस्मरण-वृत्त’ रेखा जैन के व्यक्तित्व और कृतित्व का एक लचीला आत्म-निवेदन है, जिसे आत्मकथा नहीं कहा जा सकता। इसके बावजूद इसके तमाम अध्यायों में रेखा जी के बचपन से लेकर लगभग अंत तक की घटनाएँ, उनकी सृजनात्मकता और उनका मनोव्यापार जाना और महसूस किया जा सकता है। इस किताब में उनके द्वारा लिखित जिन कहानियों या व्यक्तित्वों पर केंद्रित संस्मरणों का ज़िक्र आया है, वे शायद सहज उपलब्ध नहीं हैं। शायद उनकी डायरी के शेष अप्रकाशित पन्नों में वे विद्यमान हों।

बहरहाल रेखा जैन की जन्मशती (1924-2024) के अवसर पर ‘उमंग’ द्वारा लगभग 80 पृष्ठों की एक स्मारिका ‘रेखा जैन : एक सदी’ शीर्षक से प्रकाशित की गई है। साथ ही एक 20 पेज की विवरणिका (ब्रोशर) इस शीर्षक से पीडीएफ फाइल की शक्ल में प्रकाशित है। इसमें रेखा जी के जीवन की संक्षिप्त झलकी के अलावा उनकी बेटियों ऊर्मि भूषण गुप्ता, रश्मि वाजपेयी, कीर्ति जैन, दामाद अशोक वाजपेयी, नाती कबीर वाजपेयी (जूनू), दूर्वा वाजपेयी (दूबी), उदयन गुप्ता, भतीजों प्रभात गोयल, अलका गोयल, अदिति मित्तल के संक्षिप्त संस्मरण हैं। ‘उमंग परिवार’ से बाल कलाकारों चयन गुप्ता, ज्योतिका आहूजा, मालविका कुमार, पूजा शर्मा, शिवानी लाहोटी, माधुरी भटनागर, अंजलि गुप्ता के अलावा रेखा जी के सहयोगी एवं बाल रंग निर्देशक हरीश वर्मा, संस्था के वरिष्ठ सदस्य ओमू दत्ता, नंदिता आहूजा, ममता रावत, पूनम वर्मा, राजेश कुमार बेनी, प्रो. चित्र सिंह, मंजीरी गुप्ता, गोरखपुर की बाल रंग निर्देशक अन्विता श्रीवास्तव, अंकुर, अनावा स्कूल की सुनीता तिवारी के स्वानुभव पर आधारित छोटे संस्मरण हैं।
‘यादघर : एक संस्मरण-वृत्त’ में रेखा जी ने अपने जिन सह-कलाकारों और आत्मीय साथियों का कई जगह ज़िक्र किया उनमें से समर चटर्जी, नरेंद्र शर्मा, मोहन उपरेती, पंचानन पाठक, प्रसिद्ध लेखक हंसराज रहबर, मृदुला सिन्हा, इंदुजा अवस्थी, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के छोटे-बड़े वक्तव्य हैं। अनेक अख़बारों और पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित टिप्पणियाँ तथा पेपर-कटिंग्स हैं। रेखा जी का एक महत्त्वपूर्ण लेख ‘बच्चों के संग नाटक’ तथा उनके लिखे और निर्देशित किए नाटकों की सूची है। जो प्रकाशित हैं, उनके फोटो भी चस्पा किए गए हैं।

रेखा जी ने बाल रंगमंच शुरू करने से पहले जिन वयस्क नाटकों में अभिनय और निर्देशन किया, उनकी सूची है। साथ ही नृत्य-रचना और गायन की जानकारी है। रेडियो और दूरदर्शन पर प्रसारित वार्ताओं की एक लंबी सूची है, साथ ही प्रकाशित लेखों तथा समीक्षाओं की विषयवार सूची भी दी गई है। इनकी कुछ झलकियों के स्कैन किए हुए छायाचित्र भी हैं। लगभग अंत में रेखा जैन को मिले हुए सम्मान और पुरस्कारों के बारे में छायाचित्रों के साथ जानकारी मिलती है।

कुछ पृष्ठों में रेखा जैन की जन्म-शताब्दी कार्यक्रम 29 सितंबर 2024 तथा ‘रंग-रेखा’ कार्यक्रम (07-08 अक्टूबर 2024) की रिपोर्ट छायाचित्रों के साथ प्रकाशित की गई है। रेखा जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व संबंधी यह दस्तावेज़ीकरण महत्त्वपूर्ण है।

रेखा जैन द्वारा बच्चों के लिए लिखे गए कुछ नाटक यत्र-तत्र प्रकाशित हुए हैं। मगर ‘यादघर : एक संस्मरण-वृत्त’ के साथ ही उनके 31 नाटकों का एकमुश्त संकलन ‘बच्चों की दुनिया’ सूर्य प्रकाशन मंदिर बीकानेर से 2021 में प्रकाशित हुआ है। “इनमें से अधिकांश नाटक बच्चों के साथ नाटक करते हुए रचे और मंच पर खेले गए हैं। इनके रचे जाने में मूल भावना यही है कि बच्चे खेल-खेल में कलात्मक अभिरुचि के साथ जीवन के विभिन्न पक्षों की जानकारी कर सकें। इनमें अपनी समस्याओं का समाधान भी उन्हें मिले और उनमें सामाजिक, पारस्परिक सहयोग की चेतना भी पैदा हो। समतामूलक नैतिक मूल्यों के साथ-साथ अच्छे-बुरे की पहचान करने की क्षमता बढ़े और सबसे अधिक वे देश के अच्छे संवेदनशील नागरिक बनें।” (किताब के ‘ब्लर्ब’ से)


बच्चों के साथ रंगकर्म करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं के लिए यह संकलन काफ़ी महत्त्व का साबित होगा क्योंकि बच्चों को लेकर, बच्चों के लिए मंचित किए जाने के लिए किस तरह के नाटक लिखे जाने चाहिए, इसका बेहतरीन उदाहरण इसमें दिखाई देता है।

रेखा जैन ने 1979 में ‘उमंग’ नामक बाल-रंगमंच की संस्था स्थापित कर उसके अंतर्गत नियमित नाट्य-गतिविधियाँ संपन्न कीं। ‘उमंग’ के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर 2006 में उन्होंने बच्चों के रंगमंच पर केंद्रित एक बहुत महत्त्वपूर्ण किताब संपादित की – ‘बालरंग : बच्चों का रंगमंच : सिद्धांत और व्यवहार’। यह राजकमल प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित है।


ऊर्मिभूषण गुप्ता और अपूर्वानंद के संपादन सहयोग से प्रकाशित इस किताब में पाँच खंडों में विभिन्न प्रकार की सामग्री संकलित है। खंड एक में ‘बालरंग-विमर्श’, जिसके अंतर्गत बच्चों के साथ लगातार काम करने वाले 17 रंगकर्मियों और रंगविद्वानों के लेख तथा साक्षात्कार हैं। खंड दो में ‘ रंग-पद्धतियाँ और गतिविधियाँ’ शीर्षक से 21 रंगकर्मियों के लेख हैं। तीसरे खंड में ‘उमंग’ के पच्चीस वर्ष का सफ़र अंकित हैं। चौथे खंड में कुछ बाल रंगसंस्थाओं की जानकारी तथा खंड पाँच में 18 राज्यों के बाल-रंगकर्म करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं के पते-ठिकाने हैं।

इसके अलावा ‘रंग व्यक्तित्व माला’ श्रृंखला के अन्तर्गत 2001 में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा महेश आनंद द्वारा ‘रेखा जैन’ शीर्षक से मोनोग्राफ़ लिखा गया, जिसमें सर्वप्रथम रेखा जैन के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर समग्र प्रकाश डाला गया। इस किताब में तीन हिस्सों में – ‘रंगकर्मी की अंतरंग तलाश’, ‘खेल-खेल में नाटक’, रंग-विचार’ के अन्तर्गत रेखा जी के जीवन पर प्रकाश डाला गया है, साथ ही किताब में सम्मिलित चार परिशिष्टों में दी गई सूचियाँ बहुत महत्वपूर्ण हैं। मेरे लिए परिशिष्ट चार में संग्रहित ‘बंगाल कल्चरल स्क्वाड, इप्टा और सेंट्रल ट्रूप के लगभग 25 गीतों का संकलन ऐतिहासिक महत्त्व रखता है।


रेखा जैन के शताब्दी वर्ष के अवसर पर इप्टा जमशेदपुर द्वारा उनके नाटकों पर केंद्रित बाल नाट्य कार्यशाला 01 से 09 जून 2025 तक आयोजित की जा रही है, साथ ही ‘रेखा जैन का नियमित रंगकर्म और आज का बाल-रंगकर्म’ विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का 07-08 जून 2025 को आयोजन किया जा रहा है। इसमें कार्यशाला के दौरान तैयार होने वाले नाटकों का मंचन भी किया जाएगा।
(फोटो उपर्युक्त किताबों से साभार)