(इप्टा के दस्तावेज़ीकरण के अन्तर्गत रमेशचन्द्र पाटकर द्वारा लिखित-संपादित किताब ‘इप्टा : एक सांस्कृतिक चळवळ (इप्टा : एक सांस्कृतिक आंदोलन) में संग्रहित लेखों का हिन्दी अनुवाद यहाँ क्रमशः प्रस्तुत किया जा रहा है। किताब के तीसरे खंड में प्रकाशित रिपोर्ट्स और विवरणों के बीच निम्नलिखित दो रिपोर्ट्स ब्रिटिश काल से चले आ रहे सांस्कृतिक नीति-संबंधी आपत्तिजनक अधिनियम के पक्षों पर प्रकाश डालती हैं।
इसमें से पहली रिपोर्ट सुधि प्रधान लिखित-संपादित किताब Marxist Cultural Movement in India के पृष्ठ 197-199 से मूल लेखक ने मराठी में अनूदित की है। इस अधिनियम के बारे में मुझे सर्वप्रथम जानकारी इप्टा के भूतपूर्व महासचिव जितेंद्र रघुवंशी से मिली थी। जिन पाठकों को इस अधिनियम की जानकारी नहीं है, उनके लिए इसका संक्षिप्त इतिहास दिया जा रहा है।
इप्टा ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए भी कई आंदोलन किए हैं। इनमें से एक आंदोलन है – नाट्य-प्रदर्शन प्रतिबंध अधिनियम 1876 (Dramatic Performance Prohobition Act 1876 – DPA) को हटाने की लिए किया गया संयुक्त संघर्ष। ब्रिटिश सरकार 1857 के विद्रोह के बाद बहुत सतर्क और दमनकारी हो गई थी। सांस्कृतिक स्तर पर नाट्य-प्रदर्शनों के माध्यम से भी ब्रिटिश शासन के विरोध में अनेक राज्यों में जन-जागरण की कोशिश की जा रही थी। दिनबंधु मित्र लिखित बंगाली नाटक ‘नील दर्पण’ तथा भारतेन्दु मण्डल के अनेक नाटक इसका उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। इसे नियंत्रित करने के लिए 1876 में नाट्य-प्रदर्शन प्रतिबंध अधिनियम लागू किया गया। इसे थॉमस बैरिंग द्वारा प्रस्तुत किया गया और तत्कालीन वायसराय द्वारा लागू किया गया। यह ब्रिटिश सरकार को सार्वजनिक नाट्य-प्रदर्शन पर राजद्रोह, राज-अपमान, राज-निंदा या अश्लीलता का आरोप लगाकर रोक लगाने की शक्ति प्रदान करता था। लगभग अस्सी सालों तक, आज़ादी मिलने के बाद भी यह अधिनियम लागू रहा और अधिकांश राज्यों ने इस अधिनियम के अपने-अपने संस्करण समय-समय पर पेश और लागू किए थे। प्रस्तुत दो रिपोर्ट्स में बंगाल और त्रावणकोर-कोचीन में इस अधिनियम के विरोध में इप्टा द्वारा छेड़े गए आंदोलन का संक्षिप्त विवरण दर्ज़ है।)


त्रावणकोर-कोचीन में नाट्य-प्रस्तुतियों पर कड़ा प्रतिबंध
कलकत्ते में संयुक्त नाट्य आंदोलन आरंभ करने के लिए पहल
1876 में ब्रिटिश साम्राज्यवादियों ने अपनी दमनकारी नीति के तहत देश पर नाट्य-प्रदर्शन प्रतिबंध अधिनियम थोप दिया था, जो स्वतंत्रता के बाद तक लागू रहा। लखनऊ निवासी इप्टा के प्रमुख चार सदस्यों – श्रीमती रज़िया सज्जाद ज़हीर, अमृतलाल नागर, बाबूलाल वर्मा तथा गोकुलचंद रस्तोगी के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज़ किया गया था। (इसका विवरण इस प्रकार है – प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी ‘ईदगाह’ का मंचन इप्टा की लखनऊ इकाई द्वारा 16 जून 1953 को रेफाह-ए-आम क्लब में किया जाने वाला था। इप्टा के तात्कालिक सचिव ने एक पत्र के द्वारा सिटी मैजिस्ट्रेट को प्रदर्शन की तारीख़, समय और स्थान की सूचना के साथ आवेदन भेजा था, जिसकी अनुमति भी दे दी गई थी। परंतु उसी दिन प्रदर्शन शुरू होने के बाद बीच में ही ज़िला मजिस्ट्रेट ने अचानक नाट्य-प्रदर्शन प्रतिबंध अधिनियम की धारा 10 के अधीन आवेदन न होने का कारण बताते हुए अनुमति रद्द कर दी। आरोप लगाया गया कि, इस नाटक में प्रेमचंद की कहानी को राजनीतिक दृष्टि से तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया जा रहा था, इप्टा ने प्रदर्शन से पहले नाटक की पांडुलिपि जमा नहीं की थी, उन्होंने नाट्य-प्रदर्शन का लाइसेंस प्राप्त नहीं किया था तथा सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा अनुमति स्थगित करने की सूचना दिये जाने के बावजूद प्रदर्शन जारी रखा। हालाँकि इस मुक़दमे में अंततः इप्टा की जीत हुई थी और 1956 में उक्त अधिनियम भारतीय संविधान के अनुरूप न होने के कारण इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नाट्य-प्रदर्शन अधिनियम 1876 को निरस्त करने का निर्णय दिया था। https://indiankanoon.org/doc/1127962/ इस लिंक पर मुक़दमे का पूरा विवरण पढ़ा जा सकता है। हालाँकि कई राज्यों में इसका शत-प्रतिशत परिपालन नहीं किया गया। महाराष्ट्र में अभी भी किसी भी नाटक को मंचित करने से (मंचन चाहे टिकट लगाकर हो या बिना टिकट हो) पहले नाटककार को महाराष्ट्र राज्य द्वारा गठित ‘रंगभूमि परिनिरीक्षण मण्डल’ से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना आवश्यक होता है। – अनुवादक
सभी फोटो गूगल से साभार )
इप्टा के महासचिव निरंजन सेन ने अख़बारों को भेजी गई प्रेस विज्ञप्ति में लिखा था कि, यह अधिनियम सिर्फ़ इप्टा पर किया गया आक्रमण न होकर लोककला के विकास और जन-अधिकार हासिल करने के लिए विस्तार पाते आंदोलन को कुचलने की कोशिश है।

प्रेस विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि नाट्य-प्रदर्शन पर प्रतिबंध का फ़तवा जारी कर उत्तर प्रदेश सरकार ने न केवल अपने प्रदेश के कला-जगत को चुनौती दी है, बल्कि समूचे देश को ही ललकारा है। इप्टा के सभी केंद्रों द्वारा क्षेत्रीय कलाकारों, लेखकों और कला-संगठनों का समर्थन प्राप्त करते हुए जल्दी से जल्दी ज्ञापन प्रकाशित कर इस आक्रमण के विरुद्ध आंदोलन शुरू करना चाहिए।
इप्टा के महासचिव ने विज्ञप्ति में कहा कि, “मैं सभी लोकतांत्रिक संगठनों और समूची जनता का आह्वान करता हूँ कि इन बेड़ियों से शीघ्र मुक्त होने के लिए राज्य सरकार पर दबाव बनाएँ।”
“त्रावणकोर नाट्य-प्रदर्शन प्रतिबंध अधिनियम के दूसरे विभाग के अनुसार, त्रिवेंद्रम, क्विलोन तथा कोट्टायम के दंडाधिकारियों को अधिकार प्रदान करने संबंधी क़ानून, जनता द्वारा विश्वास खो चुके त्रावणकोर-कोचीन के अधिकारियों के हाथ में सौंप दिया गया है। पता चला है कि इसे काँग्रेस सरकार द्वारा आंदोलन को बदनाम करने के लिए जारी किया गया है। इस अधिसूचना के माध्यम से उन नाट्य-प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार प्रदान किया गया है, जो सरकार की बदनामी करते हों, उसकी निंदा करते हों, जिन्हें सरकार से असंतुष्ट दर्शक देखने आते हों अथवा जिनमें भ्रष्ट व्यक्तियों का विरोध किया जाता हो।”
“त्रिचूर ज़िले के कुन्नथुनद तथा परूर ज़िले के दंडाधिकारियों को इन अधिकारों का उपयोग करने की पूरी छूट प्रदान की गई है। इस अधिसूचना में इस तरह का प्रावधान किया गया है कि अगर क़ानून का शिकंजा दूर हो जाए तो भी भविष्य में जनरल मेकेर्थी (अमेरिका) की तरह कोई भी ज़िला दंडाधिकारी उसके विवेक के अनुसार किसी भी क़िस्म की कार्रवाई कर सकता है।”
“पी. जे. आचार्य द्वारा लिखे गए संगीत नाटक ‘क्रांति-पुत्र’ के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने का आदेश कोट्टायम के ज़िला दंडाधिकारी ने जारी किया है।”
“त्रावणकोर-कोचीन की सरकार को ‘तुमने मुझे कम्युनिस्ट बनाया’ (तोप्पील भासी) नाटक पसंद नहीं है; क्योंकि यह नाटक सीधे दिल-दिमाग़ को झकझोरता है तथा वर्तमान भ्रष्ट व्यवस्था का चित्रण प्रस्तुत करता है। इसीलिए ज़िला दंडाधिकारियों ने इस नाटक पर प्रतिबंध लगा दिया है।”
“उच्च न्यायालय ने ज़िला दंडाधिकारी द्वारा इस नाटक पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाने का आदेश जारी किया है, लेकिन इस निर्णय की अवहेलना करते हुए राज्य सरकार ने एक नया आदेश जारी कर दिया।”
“अभी ‘तुमने मुझे कम्युनिस्ट बनाया’ नाटक के प्रदर्शन अनेक जगहों पर हो रहे हैं तथा उसे देखने के लिए दर्शकों की ज़बर्दस्त भीड़ उमड़ रही है। नाट्य-संस्था को अनेक स्थानों से नाट्य-प्रदर्शन करने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है। अगले दो महीनों तक इस नाटक के प्रदर्शन की तारीख़ें तय हो चुकी हैं।”
“इस तरह के लोकप्रिय नाटकों और जनता के बीच तेज़ी से फैलते हुए आंदोलन को कुचलने के लिए अब सरकार भी आक्रामक हो गई है। इसके लिए पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति की गई है।”
“इस बात में कोई संदेह नहीं है कि, जनरल मेकार्थी की तर्ज़ पर जारी किए गए प्रतिबंध के ख़िलाफ़ त्रावणकोर-कोचीन की जनता संघर्ष करने के लिए तैयार है।”
“1976 के इस अधिनियम में तथा मनोरंजन-कर के विरोध में एक रास्ता तय करने के लिए, साथ ही इप्टा के माँग-पत्र पर आधारित अन्य माँगों को मूर्त स्वरूप देकर अत्यावश्यक आंदोलन के विकास के लिए लगभग पचास नाट्य-संस्थाओं के प्रतिनिधि और नाट्य-आंदोलन से जुड़े अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों की कलकत्ते में इप्टा के 25, डिक्सॉन लेन के कार्यालय में बैठक संपन्न हुई। इस बैठक के अध्यक्ष नारायण गांगुली थे। कलकत्ता में बड़े पैमाने पर संयुक्त आंदोलन आरंभ करने तथा कार्यक्रम की रूपरेखा और योजना तैयार करने के लिए संगठन ने एक समिति का गठन किया है।”

इप्टा और प्रगतिशील लेखक संघ के विरोध में पश्चिम बंगाल सरकार का गुप्त परिपत्र
(द नेशन, 04 सितंबर 1949)
ज़िला अधिकारी एवं पुलिस अधिकारी (पश्चिम बंगाल) ध्यान दें
अत्यावश्यक पत्र : क्र. 511 (13), एस/100/49, 17 जून 1949
“कम्युनिस्ट पार्टी से संबद्ध तथा उसके प्रति झुकाव रखने वाले ‘अखिल भारतीय जन-नाट्य संघ’ (इप्टा) और ‘प्रगतिशील लेखक संघ’ जैसे कुछ संगठन कम्युनिस्ट पार्टी का प्रचार करने के उद्देश्य से सार्वजनिक स्थानों पर नाटक तथा गीत-प्रस्तुति का कार्यक्रम करने की कोशिश करेंगे। अगर वे ऐसी कोशिश करते हैं तो नाट्य-प्रदर्शन प्रतिबंध अधिनियम (Dramatic Performance Prohobition Act) 1879 (XIX 1876) लागू किया जाएगा अथवा इस तरह के किसी भी क़ानून का उपयोग करते हुए ज़िला दंडाधिकारी (District Magistrate) उस पर रोक लगाएँगे।
इस तरह नाट्य-प्रस्तुति करने पर धारा 3 का उपयोग करने का अधिकार इस परिपत्र द्वारा ज़िला दंडाधिकारियों को प्रदान किया जा रहा है। राज्य सरकार को पूर्व की भाँति कोई संदर्भ देने की आवश्यकता नहीं है। मगर इस आदेश के अनुसार की जाने वाली सभी कार्रवाइयों का विवरण बाद में सरकार को अवश्य दिया जाए।”
2018 में इस अधिनियम को पूरी तरह हटा देने की अधिसूचना जारी की गई।

नाट्य-प्रदर्शन प्रतिबंध अधिनियम (Dramatic Performance Prohobition Act 1876) बनाए जाने की पृष्ठभूमि संबंधी विस्तृत जानकारी के लिए इस लिंक का अध्ययन किया जा सकता है – https://en.wikipedia.org/wiki/Dramatic_Performances_Act