(उत्तर प्रदेश की निर्धारित सांस्कृतिक यात्रा के अतिरिक्त प्रदेश के संस्कृतिकर्मी विभिन्न जिलों में भी एक-एक दिन की उप प्रादेशिक सांस्कृतिक यात्रा आयोजित कर रहे हैं। पूर्व में 06 अक्टूबर रायबरेली, 21 अक्टूबर लखनऊ, 03 दिसंबर गोरखपुर, 12 दिसंबर लखनऊ, 17 दिसंबर को बस्ती शहर में, 25 दिसंबर 2023 को मुज़फ़्फ़रनगर तथा 04 जनवरी 2024 को आजमगढ़ , 05 जनवरी को मेरठ, 14 जनवरी 2024 को सहारनपुर, 17 जनवरी को वाराणसी, 21 जनवरी को कानपुर में यात्रा की गयी। राष्ट्रव्यापी सांस्कृतिक यात्रा के समापन पर उत्तर प्रदेश की उप प्रादेशिक यात्राओं की अंतिम कड़ियों में इस बार प्रस्तुत है फ़ैज़ाबाद (अयोध्या) और मथुरा में की गयी एक दिनी ‘ढाई आखर प्रेम’ यात्रा की रिपोर्ट।
दोनों स्थानों की रिपोर्ट भेजी है राज्य महासचिव शहज़ाद रिज़वी ने तथा फ़ैज़ाबाद के फोटो भेजे हैं कॉम अशोक कुमार तिवारी ने और मथुरा के डॉ योगेश शर्मा ने ।)
27 जनवरी 2024 शनिवार
दर्द-ए-दिल पास-ए-वफ़ा जज़्बा-ए-ईमाँ होना
आदमियत है यही और यही इंसाँ होना
दिल असीरी में भी आज़ाद है आज़ादों का
वलवलों के लिए मुमकिन नहीं ज़िंदाँ होना
– बृज नरायण ‘चकबस्त’
देश मे दिनों दिन बढ़ रही असहिष्णुता और नफ़रत के ख़िलाफ़ अमन, शांति और आपसी सौहार्द का वातावरण स्थापित करने हेतु आमजन से सीधे जुड़ाव के उद्देश्य से इप्टा के नेतृत्व में अन्य जन संगठनों के सहयोग से देशव्यापी निकाली जा रही ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा (28 सितंबर 2023 से 30 जनवरी 2024 तक) के अंर्तगत उत्तर प्रदेश में एक दिवसीय उप प्रादेशिक सांस्कृतिक यात्राओं का सिलसिला जारी है।
प्रादेशिक यात्राओं की श्रृंखलाओं की अगली कड़ी बनी – विश्व स्तर पर चर्चित राजनैतिक एवं सांस्कृतिक शहर, अवध के नवाबों की पहली राजधानी, 1857 की क्रांति के महान नायक मौलवी अहमदुल्लाह शाह, जिन्होंने क्रांति के दौरान ब्रिटिश शासन से आजाद कराया, काकोरी कांड के सहनायक अमर शहीद अशफ़ाक उल्लाह खाँ की शहादत स्थली, विश्व विख्यात मरसिया निगार एवं उर्दू शायर मीर बबर अली अनीस, मल्लिका-ए -ग़ज़ल बेगम अख्तर, उन्नीसवीं सदी के मशहूर उर्दू शायर बृज नारायण ‘चकबस्त’ जिन्हें रामायण का उर्दू में पहला अनुवाद करने का श्रेय दिया जाता है, की जन्म स्थली फैज़ाबाद ।
यात्रा की शुरुआत में जत्थे के साथियों ने सर्वप्रथम फ़ैज़ाबाद मंडल कारागार में स्थापित अमर शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह खाँ की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की । तदोपरांत कारागार के बाहरी परिसर में जत्थे के साथियों एवं उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए वरिष्ठ कवि एवं प्रगतिशील लेखक संघ उ.प्र. के प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ रघुवंश मणि ने पिछली बार की ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक यात्रा की योजना और उसके क्रियान्वयन पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि आज पूरे देश के स्तर पर निकाली जा रही यह यात्रा उसी का विस्तार है। जिसकी देश को महती आवश्यकता है ।
उन्होंने आगे कहा कि हमारे देश की परम्परा प्रेम की है, सौहार्द की है और यह परम्परा गौतम बुद्ध से होती हुई हम तक पहुंची है, बीच में देश में भगत सिंह हैं, महात्मा गांधी हैं, कबीर जैसे लोग हैं, भक्ति युग के कवि हैं, तमाम सूफ़ी हैं, संत हैं, जिन्होंने प्रेम, सौहार्द और शांति का पाठ पढ़ाया । उन्होंने अपनी बात पर विशेष जोर देते हुए कहा कि सिर्फ़ इस आयोजन को कर देने से हमारी ज़िम्मेदारी समाप्त नहीं हो जाती। बौद्धिक वर्ग को चाहिए कि वो समाज को जगह-जगह अपने तरीके से प्रेम का संदेश दें। क्योंकि आज की राजनीति समाज को जोड़ने की नहीं, तोड़ने की है। वह एक को दूसरे से अलग करना चाहती है, तोड़ना चाहती है, जिससे उसकी सत्ता बनी रहे ।
कवि डॉ अनिल सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि हमारी परम्परा ऐसी नहीं है जैसी आज दिखाई जा रही है। वास्तव में हमारी परम्परा प्रेम, बन्धुत्व एवं आपसी भाईचारे की है और आज इसी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। प्रेम में बड़ी शक्ति है, हम इसी से समाज और देश में शांति और सौहार्द स्थापित कर सकते हैं ।प्रलेस फैज़ाबाद के अध्यक्ष एवं प्रख्यात कवि स्वप्निल श्रीवास्तव ने इस अवसर पर कहा कि ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा देश की सांस्कृतिक विरासत को बचाने और सहेजने के उद्देश्य की यात्रा है। उन्होंने कहा कि यह एक लम्बी प्रकिया का हिस्सा है और इसे बार-बार किए जाने की आवश्यकता है ।
तदोपरांत जत्थे के साथी जनगीतों को गाते-बजाते हुए बाज़ारों, गलियों, चौराहों से गुज़रते, प्रेम और मोहब्बत का संदेश देते शहर में नगर निगम स्थित शहीद भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए अपने अंतिम पड़ाव गांधी पार्क पहुंचे । पार्क परिसर में स्थापित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। यहाँ पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में जनकवि एव लोकप्रिय लोकगायक बृजेश यादव व उनकी टीम ने लोकगीत प्रस्तुत किया, जिसकी लोगों ने ख़ूब प्रशंसा की।
दाल भात तरकारी चाही / रोटी फुलुक करारी चाही / फूहर पातर से ना सपरे / मनई मन कै भारी चाही
साफय साफ बतावल जाई / सोझय सोझ नपावल जाई / गन्ना पुन: गिनावल जाई / झगरा अवर बढ़ावल जाई
संकट माँहि बझे गिरधारी / मरैं किसान जवान दुखारी / भूख की बात औ भय की थारी / कटै न करजा मिटै उधारी / बह बह रोवैं सैरकुमारी / यहि बिकास महैं गारी मारी / जेसस दवाई ओसस बेमारी / न्याय तंत्र की फुटी तगारी / एकदिन लउटे तोहरव पारी / एकदिन लउटे तोहरव पारी
खेतवा चरति बा भुअरी गइया, अब लड़इया होये ना
कबले हँकिहैं ललई भइया, अब लड़इया होये ना
मारा जइहैं कुलि निरदइया, अब लड़इया होये ना
कहँ लग जाए ई महँगइया, अब लड़इया होये ना
भगिहैं बानर के पुजवइया, अब लड़इया होये ना।
इसके अतिरिक्त संस्कृतिकर्मी आशीष कुमार, अयोध्या प्रसाद तिवारी एवं अवधराम यादव ने भी जनगीतों के माध्यम से कार्यक्रम में मौजूद लोगों में उत्साह का संचार किया।
यात्रा में प्रगतिशील लेखक संघ उत्तर प्रदेश के प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं प्रगतिशील कवि डॉ रघुवंश मणि, प्रख्यात कवि एवं प्रलेस फैज़ाबाद के अध्यक्ष स्वप्निल श्रीवास्तव, स्थानीय यात्रा संयोजक व इप्टा फैज़ाबाद अध्यक्ष अयोध्या प्रसाद तिवारी, इप्टा फैज़ाबाद सचिव आर डी आनन्द, स्थानीय यात्रा समन्वयक एवं जिला सचिव सी पी आई अशोक कुमार तिवारी, वरिष्ठ कवि डॉ अनिल सिंह, जिला सचिव सी पी आई (एम) अशोक यादव, जिला प्रभारी सी पी आई (एम एल) अतीक अहमद, जन संस्कृति मंच के वरिष्ठ साथी, जनकवि एवं लोकप्रिय गायक बृजेश यादव, संयोजक संयुक्त किसान मोर्चा मयाराम वर्मा, वरिष्ठ भाकपा नेता रामतीर्थ पाठक, पूर्व जिला सचिव माकपा माता बदल, जिलाध्यक्ष उ.प्र.किसान सभा रामजी राम यादव , वरिष्ठ साहित्यकर्मी आशाराम जागरथ, लोक गायक सुबेदार, जिला संयोजक इंकलाबी नौजवान सभा अजय शर्मा, समाजसेवी आशीष कुमार, जिला सचिव उ.प्र. किसान सभा अवधराम यादव, पूर्व प्रधान उदय चंद यादव, किसान नेता ओमप्रकाश यादव, शिक्षक नेता हरिश्चंद्र तिवारी, वरिष्ठ अधिवक्ता अवधेश निषाद, एडवोकेट जितेंद्र यादव, रामसुख पाल, राकेश, बद्रीनाथ यादव, भदई लाल, तुलसी राम, रामजी आदि सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
28 जनवरी 2024 रविवार
प्रेम प्रेम सब कोउ कहत
प्रेम न जानत कोई
जो जन जानै प्रेम तौ
मरै जगत क्यौं रोई
सास्त्रन पढ़ि पंडित भए
कै मौलवी कुरान
जु पै प्रेम जान्यौ नही
कहा कियौ रसखान
– रसखान
नफ़रत के विरुद्ध प्यार बांटने और अन्धेरों के खिलाफ़ रोशनी फैलाने के उद्देश्य से इप्टा के नेतृत्व में अन्य जन संगठनो के सहयोग से निकाली जा रही देशव्यापी ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा (28 सितंबर 2023 से 30 जनवरी 2024 तक) के अंर्तगत उत्तर प्रदेश में एक दिवसीय उप प्रादेशिक सांस्कृतिक यात्राओं के श्रृंखलाओं का सिलसिला लगातार जारी है ।
इस श्रृंखला की कड़ी में 28 जनवरी 2024 को मथुरा में यात्रा संपन्न हुई। कला और संस्कृति के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध, महाकवि सूरदास, गुरु स्वामी विरजानंद, कविवर बिहारी लाल, सहजोबाई, भक्ति और श्रृंगार के महाकवि रसखान, जिनकी रचनाओं से प्रभावित होकर आधुनिक हिन्दी साहित्य के पितामह भारतेंदु हरिश्चंद्र ने कहा था “इन मुसलमान हरिजनन पर कोटि हिंदू वारिए”, विश्वप्रसिद्ध ध्रुपद गायक बैजू बावरा के गुरु संगीत शास्त्र के प्रकाण्ड विद्वान एवं गायक स्वामी हरिदास आदि महान संतों और कवियों की जन्म एवं कर्मभूमि, ब्रज की रासलीला, नृत्य एवं अभिनय की आत्मा, विश्व के प्राचीनतम् नगरो में से एक है मथुरा नगरी I
यात्रा की शुरुआत विकास नगर, मथुरा में स्थापित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा से हुई । जहाँ जत्थे के साथियों ने सर्वप्रथम महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित की । प्रतिमा स्थल पर उपस्थित लोगों को अपने सम्बोधन में मथुरा इप्टा के अध्यक्ष, वरिष्ठ नाट्य निर्देशक एवं स्थानीय यात्रा संयोजक डॉ योगेश शर्मा ने ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक यात्रा के संदेश और उद्देश्य पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि आज देश और समाज को सबसे बड़ी आवश्यकता धर्म-जाति-भाषा जैसे भेदभाव से उठकर प्रेम के महत्व को समझने की है। समाज में अमन और शांति बनी रहे ।
‘प्रेम मुहब्बत जिदांबाद, युद्ध और नफ़रत मुर्दाबाद’ के नारों के साथ जनगीतों को गाते बजाते, प्यार और भाईचारे का संदेश देते हुए यह यात्रा अपने अगले पड़ाव पुराना बस स्टैण्ड, डेम्पीयर नगर से होती हुई दलित बस्ती में स्थित महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमा-स्थल पर पहुँचकर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर आगे बढ़ी।
इस अवसर पर कवि गुलाब सिंह पाल, हरीश चंदेल, बृजेश गुप्ता, अनिल स्वामी, साजन चतुर्वेदी, सूर्यकांत, ऋषभ, भगवान दास, चेतना, कमल पचौरी, गंगा सिंह, रितु सिंह आदि ने प्रेम और सौहार्द को समर्पित कविताओं का पाठ किया। जिन्हें श्रोताओं द्वारा ख़ूब सराहा गया।
गीतों की प्रस्तुति के पश्चात यह जत्था झींगुरपुरा बस्ती रवाना हुआ । यहाँ जत्थे का बड़े ही गर्मजोशी के साथ स्वागत एवं अभिनंदन किया गया। झींगुरपुरा बस्ती के स्थानीय निवासियों द्वारा पदयात्रियों हेतु की गई स्वल्पाहार की व्यवस्था को ग्रहण करने के बाद इप्टा मथुरा के कलाकारों ने डॉ योगेश शर्मा के निर्देशन में नुक्कड़ नाटक ‘अपहरण भाईचारे का’ मंचन किया। जिसमें विकास शर्मा, वैभव सिंह, आर्य चौधरी, सौरभ पॉल, साजन चतुर्वेदी, पवन कुमार और पप्पू आदि ने भाग लिया।
इसी अवसर पर मनोज राठौर, आकाश शर्मा, रूपेश इंजीनियर ने अपनी रचनाओं की प्रस्तुति की । इसके बाद ये काफ़िला शहर के व्यस्तम मार्गो से गुज़रता हुआ अपने अंतिम पड़ाव भगत सिंह पार्क पहुँचा। जहाँ जत्थे के साथियों / कलाकारों ने पार्क में स्थापित शहीद भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। पार्क परिसर में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में जनगीतो के साथ नुक्कड़ नाटक प्रदर्शन किया गया।
अंत मे इप्टा मथुरा के निदेशक एव यात्रा समन्वयक देवेंद्र पाल ने सभी के प्रति अपना आभार प्रकट करते हुए विश्वास जताया कि प्रेम, शांति और सौहार्द के लिए यह कारवां आगे बढ़ता रहेगा। शहर में यात्रा के दौरान जत्थे के साथियों / इप्टा मथुरा के कलाकारों ने ‘इंसान का इंसान से हो भाईचारा, यही पैग़ाम हमारा यही पैग़ाम हमारा’, ‘हम होंगे कामयाब एक दिन’, ‘ढाई आखर प्रेम’ के गीतों के साथ अमन और भाईचारे का संदेश दिया।
यात्रा में इप्टा मथुरा के अध्यक्ष, वरिष्ठ नाट्य निर्देशक एवं स्थानीय यात्रा संयोजक डॉ योगेश शर्मा, निदेशक इप्टा मथुरा एवं यात्रा समन्वयक देवेंद्र पाल, सांप्रदायिकता विरोधी संघर्ष समिति के संयोजक शिवदत्त चतुर्वेदी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला मंत्री एडवोकेट ग़फ़्फ़ार अब्बास, गिरधारी लाल चतुर्वेदी, नरेंद्र सिसौदिया, राकेश बघेल, वरिष्ठ संगीतज्ञ राजेश शर्मा, कवि रजनीश राज, जनवादी लेखक संघ से शाद, जन संस्कृति मंच से डॉ धर्मराज, सोशलिस्ट अड्डा से कुलदीप, शिल्पी, रचना सिसौदिया, व्हाइट फ्रेम थिएटर से मनोज राठौर, आरंभ नाटक शाला से आकाश शर्मा, गुलाब सिंह पाल, हरीश चंदेल, बृजेश गुप्ता, अनिल स्वामी, साजन चतुर्वेदी, सूर्य कांत, ऋषभ, भगवान दास, चेतना, कमल पचौरी, गंगा सिंह, रितु सिंह, विकास शर्मा, वैभव सिंह, आर्य चौधरी, सौरभ पॉल, साजन चतुर्वेदी, पवन कुमार, पप्पू, मनोज राठौर, आकाश शर्मा, रूपेश, स्टूडेंट फेडरेशन के रवि शर्मा, सुशील पाठक एवं मुकेश कौशिक , मानसी राजपूत, ऋषिता, रितिका, ऋतु रजावत ,चेतना शर्मा, गंगा सिंह, हीरा किरण, नमन, प्रेरेणा, प्रशांत भारद्वाज, अनिरुध , साजन चतुर्वेदी, गब्बर, देवेश धनगर, पम्मू, ऋषभ शर्मा, बृजेश गुप्ता, हर्षित, भगवानदास ,आदि सहित सैकड़ो की संख्या में लोग मौजूद रहे।