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‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा का समापन दिल्ली में

‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा का समापन दिल्ली में

(‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा की चार माह की दीर्घावधि में 21 राज्यों में जन-संपर्क और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से प्रेम का सन्देश फ़ैलाकर इस महा-अभियान का समापन दिल्ली में किया गया। गाँधी का शहादत दिवस होने के कारण समापन स्थल हरिजन सेवक संघ को चुना गया था । इससे पूर्व दिल्ली में 26 से 28 जनवरी 2024 तक राजधानी के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न समुदायों और विविधता के साथ पदयात्रा की गयी, जिसमें पर्यावरण, सांस्कृतिक विरासत, लोक कलाकारों से चर्चा और विभिन्न प्रस्तुतियों के अलावा जन-संवाद किया गया।

‘ढाई आखर प्रेम’ की राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा में देश के अनेक संगठन, संस्थाएँ तथा व्यक्ति स्वेच्छा से सम्मिलित हुए। इसके आयोजन के लिए अनेक संस्थाओं के पदाधिकारियों ने लगातार काम किया, असंख्य गाँवों के अनेक समुदायों से मेल-मुलाकातें कीं और प्रेम की एक अनवरत श्रृंखला बनती चली गयी। उन सभी प्रेमयात्रियों का ह्रदय से आभार।

इस समूची चार माह की राष्ट्रव्यापी यात्रा के प्रचार-प्रसार एवं आपसी समन्वय-संपर्क के लिए युवा साथियों की एक सेंट्रल कोऑर्डिनेशन टीम गठित की गयी थी, जिसने यात्रा के पहले, यात्रा के दौरान और बाद में भी यात्रा सम्बन्धी वीडियो, ऑडियो, फोटो, रिपोर्ट्स, पोस्टर्स, ब्रोशर्स, सूचनाओं, संदेशों को तैयार करने और उन्हें अनेक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर साझा करने में दिन-रात परिश्रम किया। उनकी मेहनत और जज़्बे को सलाम।

राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के दो दिवसीय समापन कार्यक्रम की यह रिपोर्ट भेजी है इप्टा की संयुक्त सचिव अर्पिता श्रीवास्तव ने। फोटो और वीडियो, यात्रा के दौरान और उसके पश्चात् साझा किये थे रजनीश साहिल, अर्पिता श्रीवास्तव, विनोद कोष्टी तथा साक्षी ने।)

देशव्यापी ‘ढाई आखर प्रेम’ यात्रा ने 21 राज्यों की यात्रा की। भगत सिंह के जन्मदिन 28 सितंबर 2023 को राजस्थान से शुरू हुई इस यात्रा के अंतर्गत हर राज्य के अनेक गांवों-कस्बों-शहरों में पदयात्रा की गयी। स्थानीय कलाकार, लोक-कलाकार, सामाजिक सचेत नागरिकों की उपस्थिति से ‘ढाई आखर प्रेम’ यात्रियों ने एक तरफ नई संस्कृति को देखा-समझा और बूझा, वहीं जीवन की सरलता और सहजता को आत्मसात करने की कोशिश को बल मिला। इप्टा की राष्ट्रीय पहल पर देशव्यापी संगठनों, संस्थाओं के अलावा स्थानीय संस्थाओं, संगठनों और व्यक्तियों की वजह से यह यात्रा संभव हो पाई।

29 जनवरी 2024 सोमवार

29 जनवरी 2024 को समापन कार्यक्रम में शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न हुए।

इसमें जीरादेई के परिवर्तन और पटना इप्टा के साथियों ने “हमन है इश्क़ मस्ताना, हमन को होशियारी क्या” और कबीर का ”झीनी झीनी बीनी चदारिया”, नज़ीर की रचना ”रोटियाँ” और प्रेम धवन का गीत ”ये वक़्त की आवाज़ है” गाकर सभागार को ऊर्जा से भर दिया।

इसके बाद राजेश तिवारी द्वारा नाटक ‘रहीमन धागा प्रेम का’ का नाटकीय पाठ किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन साथी मनीष श्रीवास्तव ने किया।

30 जनवरी, 2024 मंगलवार

30 जनवरी, 2024 को बापू की शहादत के दिन दिल्ली में स्थित हरिजन सेवक संघ में यात्रा को औपचारिक विराम दिया गया। यहाँ हरिजन सेवक संघ के बारे में याद करते चलें कि इसकी स्थापना गांधी जी ने समाज से अस्पृश्यता को दूर करने के उद्देश्य से 1932 में की। 20 एकड़ क्षेत्र में फैले हरिजन सेवक संघ में समाज के दलितों और वंचितों के उत्थान के लिए यहाँ स्कूल और गांधी आश्रम, हरिजन बस्ती, लाला हंसराज गुप्ता इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट स्थित है।

बापू की शहादत के दिन सुबह साढ़े दस बजे बापू की प्रतिमा के पास उनकी पसन्द के ‘रघुपति राघव राजाराम’, ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए पीर पराई जाणे रे’ भजन गाए गए। आशुतोष, आकाश और विवेक (हारमोनियम), रोज़ा दीन( नाल), आदित्य मिश्रा (गिटार), परिवर्तन जीरादेई, पटना इप्टा के अलावा भिलाई इप्टा के साथी मणिमय मुखर्जी ने भजन गाए।

ठीक 11 बजकर 10 मिनट पर जब बापू पर गोलियों से हमला हुआ था, उस समय दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।

हरिजन सेवक संघ बनाने में ठक्कर बापा का योगदान अविस्मरणीय है उन्हें माल्यार्पण कर याद किया गया। भजन गाते हुए आगे बढ़कर विनोबा भावे को याद करते उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।

इन तीनों महान विभूतियों के लिए प्रसन्ना ने अपने विचार और उनके काम को रेखांकित किया। इसके बाद मैसूर से यात्रा में शामिल होने के लिए आए लोक कलाकार शिवास्वामी के गीत के साथ पूरे हरिजन सेवक संघ की परिक्रमा करते हुए यात्री पौधारोपण वाले स्थल पर पहुंचे।

हरिजन सेवक संघ में माली की ज़िम्मेदारी वाला काम करने वाले मिही लाल द्वारा पौधारोपण किया गया।

इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसन्ना, कार्यकारी अध्यक्ष राकेश और महासचिव तनवीर अख़्तर के साथ अनेक राज्यों से शामिल होने आए साथियों ने मिलकर एक-एक मुट्ठी उस मिट्टी को डालकर शहीदों को याद किया गया। यहाँ उल्लेखनीय है कि, 2022 में पाँच राज्यों छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश में सम्पन्न यात्रा के दौरान आज़ादी के दीवानों की लगभग 200 जगहों से, जो कि उनकी जन्मस्थली और शहीद होने वाली जगहें थीं, एकत्र की गई मिट्टी को ‘साझी विरासत, साझी शहादत’ नामक एक प्रतीक-पात्र में संभाल कर रखा गया था, उससे पौधरोपण किया गया।

30 जनवरी को सुबह के सत्र का संचालन महासचिव तनवीर अख़्तर ने किया।

इसके साथ ही सुबह के कार्यक्रम में थोड़ी देर का विराम लगा और दोपहर के कार्यक्रमों के लिए वहाँ मौजूद साथी विभिन्न राज्यों के यात्रा के दौरान बनाए गए बैनर और चित्र प्रदर्शनी की तैयारी में लग गए।

प्रसन्ना 25 जनवरी, 2024 से हरिजन सेवक संघ में उपस्थित रहे और यहाँ रहकर उन्होंने वरिष्ठ साथियों को लेकर ठक्कर बापा के जीवन पर केंद्रित एक नाटक तैयार किया। इस राकेश वेदा लिखित नाट्य प्रस्तुति ‘बाप्पा, कौन जात हो भाई’ के दो प्रदर्शन हुए, जिसमें पहला मंचन जवाहर कला केंद्र में दोपहर के समय और दूसरा शाम को हरिजन सेवक संघ में हुआ।

इस प्रस्तुति में शामिल रहे – तनवीर अख़्तर, नाचा शैली के निसार अली, गायक यशवंत वासनिक, राकेश सिंह, नागेश धुर्वे आदि। यह नाटक ठक्कर बापा के जीवन और मूल्यों पर आधारित था, जिसमें नाचा शैली के निसार अली अपने सुपरिचित अंदाज़ में संवाद शैली में दर्शकों से मुख़ातिब हुए।

ठक्कर बापा के जीवन के मूल्यों को प्रदर्शित करती इस प्रस्तुति का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह हरिजन सेवक संघ के परिसर में उन्हें याद करते खेला गया।

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दूसरे सत्र का कार्यक्रम शुरू हुआ 3 बजकर 30 मिनट पर, प्रसन्ना के साथ संवाद से, जिसमें शहर के युवा और वरिष्ठ थियेटर के लोग रूबरू हुए।

इसके बाद जनम के नुक्कड़ नाटक “सांझी रे चदरिया” की प्रस्तुति हुई। समाज में साझेपन की संस्कृति को 3 कहानियों के माध्यम से याद किया गया।

दिल्ली पड़ाव के दौरान ‘ढाई आखर प्रेम जत्था’ कठपुतली कॉलोनी भी गया था, जहां सरकार द्वारा दी गई ज़मीन से पिछले दिनों विस्थापित किये गए कलाकार एक ट्रांज़िट कैम्प में रहते हैं। उनमें 90 वर्षीय विश्व-प्रसिद्ध गायक भगवान दास, उनकी सहयात्री शरबती देवी अपने दो बेटों और दो पोतों के साथ अपनी कला का प्रदर्शन करने आए थे। कठपुतली कला, जो अब लगभग विलुप्ति की कगार पर है, उसे बचाने के लिए मात्र कुछ समूह और लोग लगे हुए हैं। अर्पिता द्वारा किये गए फेसबुक लाइव की निम्नलिखित लिंक पर कठपुतली प्रदर्शन देखा जा सकता है।

https://www.facebook.com/share/v/fhprTweXQ3BZtAyC/?mibextid=oFDknk

एटलीयर रेपर्टरी कंपनी दिल्ली तथा मक़सद अजमेर की संयुक्त सांगीतिक प्रस्तुति ‘हमन है इश्क मस्ताना’ में कबीर के व्यक्तित्व एवं जीवन को प्रदर्शित किया गया। इसके लेखक एवं निर्देशक थे कुलजीत सिंह।

शाम के सत्र का संचालन लखनऊ से शामिल हुए साथी दीपक कबीर ने किया।

‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के चार माह तक चले अभियान के समापन कार्यक्रम में 30 जनवरी को इप्टा के कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा ने महात्मा गाँधी के शहादत दिवस पर प्रायश्चित एवं संकल्प पत्र का पाठ किया-

सम्पूर्ण मानवता की ओर से हम
**प्रकृति और पर्यावरण असंतुलन
**ग्राम समाज और ग्रामोद्योग को नष्ट करने
**कृषि संकट
**मानवीय मूल्यों के ह्रास
**साम्प्रदायिक हिंसा एवं घृणा
**युद्धोन्माद
के लिए प्रायश्चित करते हुए

= फासिस्ट साम्प्रदायिक ताकतों को हराने
= प्रकृति एवं पर्यावरण को बचाने
= आर्थिक एवं सामाजिक विषमता को दूर करने
= जाति-लिंग विषमताओं को दूर करने
= साझी संस्कृति को बचाने
= संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने
= विश्व शांति और
= अन्धाधुन्ध मशीनीकरण के विरुद्ध श्रम की गरिमा की रक्षा के लिए सभी उत्पादन एवं सेवाओं में 70 प्रतिशत श्रम एवं 30 प्रतिशत मशीन पर संवाद शुरू करने के लिए हम संकल्पबद्ध होते हैं और सभी संस्कृतिकर्मियों की व्यापक एकता सुनिश्चित करते हुए दूरगामी अभियान का आह्वान करते हैं।

29 और 30 जनवरी के कार्यक्रम के लिए अलग-अलग राज्यों से साथी कलाकार दिल्ली पहुंचे। जिनकी उपस्थिति से आयोजन की गरिमा बढ़ी, ये साथी हैं – राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसन्ना, कार्यकारी अध्यक्ष- राकेश वेदा, राष्ट्रीय महासचिव – तनवीर अख़्तर, राष्ट्रीय सचिव मण्डल के साथी – शैलेन्द्र कुमार, मनीष श्रीवास्तव, संयुक्त सचिव मण्डल की साथी – वर्षा, अर्पिता (झारखण्ड राज्य महासचिव), इंद्रजीत रूपोवाली (पंजाब के राज्य महासचिव), छत्तीसगढ़ – मणिमय मुखर्जी, साक्षी, निसार अली, पंजाब- बलकार सिद्धू, नयन सिंह शैखो, संजीवन सिंह, सरबजीत रूपावली, झारखंड – उपेन्द्र मिश्र, प्रेमप्रकाश, अनुभव, यश, दिल्ली – विनोद कोष्ठी, रजनीश, दीप्ति भारती, संतोष, अंजलि, सुभाष गाताडे, अनामिका, प्रियंका, अवध बिहारी, तौक़ीर, राजस्थान- सर्वेश जैन, प्रवीण कुमार, उत्तरप्रदेश- शहज़ाद रिजवी( उत्तरप्रदेश राज्य महासचिव), भावना रघुवंशी, दीपक कबीर, मध्यप्रदेश – जया मेहता, उजान, विनीत तिवारी (प्रगतिशील लेखक संघ राष्ट्रीय सचिव), मुंबई – विकास यादव, यशवंत वासनिक, नाशिक – नागेश धुर्वे आदि ।

कार्यक्रम के अंत में कार्यकारी अध्यक्ष ने ‘ढाई आखर प्रेम’ यात्रा का संक्षिप्त विवरण दिया और उन तमाम साथियों और संगठनों को याद किया, जिनके साथ और हौसले से यह देशव्यापी यात्रा सम्पन्न हुई।

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