(उत्तर प्रदेश की निर्धारित सांस्कृतिक यात्रा के अतिरिक्त प्रदेश के संस्कृतिकर्मी विभिन्न जिलों में भी एक-एक दिन की उप प्रादेशिक सांस्कृतिक यात्रा आयोजित कर रहे हैं। पूर्व में 06 अक्टूबर रायबरेली, 21 अक्टूबर लखनऊ, 03 दिसंबर गोरखपुर, 12 दिसंबर लखनऊ, 17 दिसंबर 2023 को बस्ती शहर में, 25 दिसंबर 2023 को मुज़फ़्फ़रनगर तथा 04 जनवरी 2024 को आजमगढ़ के बाद 05 जनवरी 2024 को मेरठ में यात्रा की गयी। रिपोर्ट भेजी है राज्य महासचिव शहज़ाद रिज़वी ने तथा फोटो भेजे हैं सतनाम सिंह एवं माजिद खन्ना ने ।)
14/01/2024, रविवार :
रात का गर्म लहु
और भी बह जाने दो,
यही तारीकी तो है
ग़ाज़ाए – रुख़सारे – सहर,
सुबह होने ही को है
ऐ दिले बेताब ठहर I
– फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
प्रेम, सद्भाव, बंधुत्व और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की भावना को जन-मन में जागृत करने के निमित्त पूरे देश में इप्टा के नेतृत्व में अन्य जन संगठनों के सहयोग से निकाली जा रही ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा ( 28 सितंबर 2023 से 30 जनवरी 2024 तक) की कड़ी में उत्तर प्रदेश में जारी एक दिवसीय उप प्रादेशिक सांस्कृतिक यात्रा का आज केन्द्र रहा भौगोलिक एव सांस्कृतिक विविधताओं से भरा, शिवालिक पहाड़ियों से घिरा, लकड़ी के नक्काशीदार कुटीर उद्योग लिए विश्व विख्यात, प्रदेश का सीमांत जनपद सहारनपुर ।
प्रदेश के सबसे ठंडे शहरों में से एक कड़ाके की ठंड, गलन और घने कोहरे की परतों से घिरे सहारनपुर शहर में ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्थे के जांबाज साथियों ने भगत सिंह चौक से सांस्कृतिक पदयात्रा की शुरुआत की । सर्वप्रथम सभी साथियों ने अमर शहीद भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रतिमा स्थल पर मौजूद स्थानीय नागरिकों, बुद्धिजीवियों और संस्कृतिकर्मियों को उत्तराखंड से यात्रा में शिरकत करने आए इप्टा उत्तराखंड के प्रादेशिक अध्यक्ष डॉ. वी के डोभाल ने अपने संबोधन में कहा इप्टा का जन्म ही जन आंदोलन के गर्भ से हुआ है । देश में जब जब साम्प्रदायिक ताकतों ने साम्प्रदायिक सौहार्द और आपसी ताने बाने को तोड़ने का प्रयास किया है तो इप्टा ने हमेशा ऐसी विघटनकारी ताकतों के विरुद्ध अपने गीतों और नाटकों के माध्यम विरोध हस्ताक्षेप किया है । आज जब देश में घृणा और नफरत का दौर जारी है, इप्टा अपनी विरासत के अनुरूप अवाम को जागरूक करने, आपसी भाईचारा, प्रेम व मिलाप को बनाये रखने हेतु ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक यात्रा के माध्यम से आमजन से संवाद स्थापित कर रही है।
इसके पश्चात इप्टा सहारनपुर के कलाकारों / साथियों ने मशहूर शायर / गीतकार एवं इप्टा के राष्ट्रीय समिति के सदस्य ओम प्रकाश नदीम द्वारा रचित यात्रा का आवाह्न गीत – ‘ढाई आखर प्रेम का हम पढ़ने और पढ़ाने आएं हैं , हम भारत से नफ़रत का हर दाग़ मिटाने आएं हैं ‘ की शानदार संगीतमय प्रस्तुति की, जिसे खूब सराहा गया । तदोपरांत ये जत्था मोरगंज, चौक फ़व्वारा, शहीद गंज पड़ावों पर जनगीतों को गाते बजाते हुए चौकी सराय अशफ़ाकउल्लाह चौक पहुँचा जहाँ साथियों ने शहीद अशफ़ाकउल्लाह के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।इस अवसर इप्टा सहारनपुर के अध्यक्ष निमिष भटनागर ने अपने वक्तव्य में कहा कि किसी भी देश की तरक्की और उसकी खुशहाली समाज में अमन , शांति और आपसी भाईचारे के बग़ैर मुमकिन नहीं है और यही इस सांस्कृतिक यात्रा का मकसद है । जिसकी आज देश को बड़ी ज़रूरत है ।
इसी अवसर पर शहर की मशहूर समाज सेविका शाज़िया नाज़ ने अपनी बात रखते हुए कहा कि आज मुल्क के पुराशोर माहौल में प्यार और मोहब्बत का पैग़ाम देने का इप्टा ने जो तारीख़ी काम किया है, उसका मैं तहेदिल से शुक्रिया अदा करना चाहूँगी और उम्मीद करूँगी कि इस यात्रा से अवाम में ऐतमाद के साथ अच्छा और असरदार फर्क पड़ेगा । इप्टा सहारनपुर की कलाकार / साथी गीता चौहान ने अपने सम्बोधन में कहा कि इस आक्रामक और क्रूर दौर में ढाई आखर प्रेम की यह यात्रा आपसी सौहार्द , प्रेम और भाईचारा का संदेश देने के उद्देश्य से निकाली जा रही है ।
इप्टा के साथियों ने इसी क्रम में – ‘इंसान का इंसान से हो भाईचारा, यही पैगाम हमारा – यही पैगाम हमारा’ गीत की प्रस्तुति की। तदोपरांत पदयात्रियों का यह कारवां शहर के भीड़-भाड़ वाले इलाकों बाज़ारो, गलियों, चौराहों से गुज़रते हुए नेहरू मार्केट, लोहानी सराय पड़ाव पर गीतों और नुक्कड़ नाटक गिरगिट (प्रख्यात रूसी कथाकार / नाटककार अन्तोन चेख़ोव की कहानी एवं नाट्य रूपांतरण – रमेश उपाध्याय, निर्देशक – सतनाम सिंह, कलाकार – नितिन, सचिन, साहिबा, असद, मंतशा, अफ़शां, कैफ़ अन्सारी माजिद खन्ना) की प्रस्तुतियों के साथ अपने अंतिम पड़ाव गांधी पार्क पहुंचा । जहाँ महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
प्रतिमा स्थल पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए इप्टा उत्तराखंड के उपाध्यक्ष धर्मानंद लखेड़ा ने कहा कि इप्टा के नेतृत्व में अन्य जन संगठनों के सहयोग से ‘ढाई आखर प्रेम’ की ये सांस्कृतिक यात्रा देश में नफ़रत और घृणा भरे माहौल के बरक्स प्रेम, बंधुत्व, भाईचारा और आपसी विश्वास क़ायम रखने का महान उद्देश्यपूर्ण प्रयास है । वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी /समाजसेवी योगेश दहिया ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ‘ढाई आखर प्रेम’ की यात्रा बहुत ही सार्थक और उद्देशपूर्ण यात्रा है । यह यात्रा समाज में आपसी प्रेम और सौहार्द को अक्षुण्ण बनाये रखने में मील का पत्थर साबित होगी। इसके उपरान्त इप्टा के कलाकारों द्वारा जनगीतों की प्रस्तुति के साथ नुक्कड़ नाटक गिरगिट का मंचन किया गया ।अंत में स्थानीय यात्रा संयोजक एवं इप्टा सहारनपुर के सचिव सतनाम सिंह ने ख़राब मौसम के बावजूद इप्टा के साथियों के अतिरिक्त अन्य संगठनो के प्रतिनिधियों के साथ बड़ी संख्या में जन भागीदारी ने, जब लोगों में अविश्वास की भावना है, उसमें जो प्रेम का संचार किया है, से अभिभूत होकर धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।
यात्रा में इप्टा सहारनपुर के अध्यक्ष निमिष भटनागर, स्थानीय यात्रा संयोजक एवं सचिव सतनाम सिंह के अतिरिक्त उत्तराखंड इप्टा के अध्यक्ष डॉ. वी के डोभाल, उत्तराखंड इप्टा के उपाध्यक्ष धर्मानंद लाखेड़ा, जगदीश कुलियाल, श्रीधर चौहान, विजयपाल सिंह, सतीश ढोलाखंडी ( सभी साथी उत्तराखंड से ) उपाध्यक्ष काशिफ नून सिद्दीकी, कोषाध्यक्ष खालिद कुरैशी, समाजसेविका शाज़िया नाज़, डी एम रोशन, तौक़ीर कुरैशी, अरशद कुरैशी, योगेश दहिया, माजिद खन्ना, असद अली खान, रामकिशन भारती, साहिबा मलिक, अफ़शा मलिक, मन्तशा मिर्ज़ा, सचिन, नितिन, छाया सिंह, गीता चौहान, निर्मल लूथरा, तौकीर कुरैशी, अरशद कुरैशी, कैफ अंसारी, चरनप्रीत सिंह, अनिल कुमार, खेम सिंह, योगेश धीमान, हरेंद्र कुमार, सुशीला देवी, सुनीता सिंह, अनीता, आलीशान, यशिका, अर्जुन, सुमित, देवेंद्र, अक्षिता, आरती, आसमा, कमलेश, रुचि, काजल गुप्ता, नेताक्षी, शालू, दिशा, अंजलि, जूली, संयोगिता, आरजू, सायरा, शहनाज, पंकज, मांगेराम, अक्षय, विनय प्रताप, रवि एवं मनीषा गोस्वामी सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे l