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आजमगढ़ में लोकनृत्यों के साथ उत्तर प्रदेश की एक दिवसीय यात्रा

आजमगढ़ में लोकनृत्यों के साथ उत्तर प्रदेश की एक दिवसीय यात्रा

(‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक पदयात्रा के दौरान अनेक प्रदेशों में अपने पूर्व निर्धारित यात्रा-तारीखों के अलावा भी यात्रा की जा रही है। उत्तर प्रदेश में यह सिलसिला लगातार जारी है। अपनी निर्धारित तारीखों 18 से 23 नवम्बर 2023 की पदयात्रा के अलावा 06 अक्टूबर रायबरेली, 21 अक्टूबर लखनऊ, 03 दिसंबर गोरखपुर, 12 दिसंबर लखनऊ, 17 दिसंबर 2023 को बस्ती शहर में, 25 दिसंबर 2023 को मुज़फ़्फ़रनगर में एक दिवसीय यात्रा आयोजित की गयी। उसके बाद 04 जनवरी 2024 को आजमगढ़ में दिन भर की यात्रा आयोजित की गयी। प्रस्तुत रिपोर्ट उत्तर प्रदेश इप्टा के महासचिव शहज़ाद रिज़वी तथा बैजनाथ यादव ने साझा की है तथा फोटो खींचे हैं बैजनाथ यादव सचिव इप्टा -आज़मगढ़, जितेंद्र हरि पाण्डेय तथा शहज़ाद रिज़वी ने ।)

‘प्यार का जश्न नई तरह मनाना होगा । ग़म किसी दिल में सही ग़म को मिटाना होगा ॥’

– कैफ़ी आज़मी

राष्ट्रीय इप्टा के आवाहन पर अन्य जन संगठनों के सहयोग से देशव्यापी ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा की कड़ी में उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में 04 जनवरी 2024 को एक दिवसीय उपप्रादेशिक सांस्कृतिक यात्रा का आयोजन महापंडित राहुल सांकृत्यायन, नाटककार लक्ष्मीनारायण मिश्र, कवि एवं निबंधकार अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’, क्रांतिकारी शायर क़ैफी आज़मी, दलित चिंतक, साहित्यकार एवं मनीषी डॉ. तुलसी राम की जन्म स्थली आज़मगढ़ में इप्टा आज़मगढ़ के नेतृत्व में किया गया।

सांस्कृतिक पदयात्रा का आरंभ महापंडित राहुल सांकृत्यायन की जन्म स्थली पंदहा में उनके आवास से हुआ । जत्थे के साथियों ने सर्वप्रथम राहुल सांकृत्यायन की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की । पुनः राहुल जी के वंशज राधेश्याम पाठक को ‘ढाई आखर प्रेम’ का गमछा ओढ़ा कर सम्मानित किया गया ।

इस अवसर पर इप्टा के प्रादेशिक महासचिव शहज़ाद रिज़वी ने अपने सम्बोधन में कहा कि इप्टा ने सदैव अपनी परम्परा के अनुरुप समय-समय पर समाज में साम्प्रदायिक सौहार्द्र और आपसी भाईचारा क़ायम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का प्रयास किया है । आज फिर जब प्रतिगामी शक्तियां समाज में घृणा, दुराव और वैमनस्य पैदा करने का कुत्सित प्रयास कर रही हैं, जिससे देश में सदियों से चली आ रही गंगा-जमुनी तहज़ीब और साझी संस्कृति, साझी विरासत पर ख़तरे के बादल मंडरा रहे हैं; ऐसे में इप्टा महापंडित राहुल सांकृत्यायन के सूत्र वाक्य “भागो नहीं दुनिया को बदलो” को अंगीकार करते हुए अवाम से अपने रिश्ते को दोहराते हुए अमन, शांति और आपसी भाईचारा पैदा करने के उद्देश्य से अपने गीत, ग़ज़लों और नुक्कड़ नाटक जैसे सांस्कृतिक हथियारों से लैस होकर काली ताकतों के विरुद्ध मैदान में डटी है । अपनी बात पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि समाज में फैली वैमनस्य और नफ़रत की घुंध छटेगी और उम्मीद का नया सूरज चमकेगा । तदोपरांत प्रतिमा स्थल परिसर में वामपंथी विचारक एवं गायक साथी सूरज पाल ने जनगीत एवं इप्टा आज़मगढ़ के अध्यक्ष व गायक रुस्तम के गायन के साथ इप्टा के कलाकारों ने धोबिया लोकनृत्य की प्रस्तुति की । कार्यक्रम के अंत में राहुल जी के वंशज राधेश्याम पाठक ने जत्थे के साथियों को स्वल्पाहार कराया और उन्हें विदा करते हुए यात्रा की सफलता हेतु शुभकामनाएं देते हुए सभी के प्रति आभार जताया।

स्वल्पाहार के बाद सभी साथी धोबी नर्तक रामवृक्ष और विनोद के चपल नृत्य, साथी बलराम जी के मृदंग के थाप पर नाचते-गाते हुए अपने अगले पड़ाव की ओर चल पड़े । यात्रा का मार्गदर्शन पड़ाव प्रभारी राजनाथ यादव ‘राज’ कर रहे थे । यात्रा का पहला पड़ाव था मोतीगंज बाजार, जहां पहुंचकर जत्थे के साथियों ने प्रसिद्ध पहलवान खरपत्तू की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के उपरांत धोबिया नृत्य की प्रस्तुति की ।

इसी क्रम में यह यात्रा ग्राम अन्हौरी होते हुए हुसामपुर (श्यामपुर विट्ठलपुर) पहुंची, जहाँ राम प्रवेश यादव द्वारा यात्रा का स्वागत किया गया । यहां बड़ी संख्या में ग्रामीण जन की उपस्थिति में पंवरिया नर्तक रंजीत और टेनी ने ढोलक वादक मटरू पहलवान की थाप पर शानदार लोक नृत्य का प्रदर्शन किया ।

रामप्रवेश यादव और अमरजीत पहलवान ने जत्थे के साथियों के लिए जलपान की सुंदर व्यवस्था की । जलपान ग्रहण करने के उपरांत यात्रा अपने अगले पड़ाव की ओर चल पड़ी और अब जत्था चड़ई ग्राम में खरपत्तू पहलवान के अखाड़े में पहुंचा, जहां पर पहलवान राम अवध यादव रामसमुझ यादव पूर्व प्रधान अन्हौरी, छोटे लाल यादव पूर्व प्रधान चड़ई ने बड़ी संख्या में अपने साथियों के साथ यात्रा का स्वागत किया । यहीं पर जन संस्कृति मंच के वरिष्ठ साथी लोक गायक, जन कवि बृजेश यादव जनपद सुल्तानपुर से मोटरसाइकिल से यात्रा में शामिल होने के लिए पहले से अखाड़ा में पहुंच चुके थे I अखाड़ा परिसर में आल्हा गायक संपत और साथियों ने आल्हा गायन किया, जांघिया लोक नृत्य के कलाकारों ने साथी बृजेश यादव के गीत पर जांघिया लोक नृत्य प्रस्तुत किया।

अखाड़े में उपस्थित ग्रामीण वासियों के बीच स्थानीय यात्रा संयोजक एवं इप्टा आज़मगढ़ के सचिव बैजनाथ यादव ‘गंवार’ ने यात्रा के उद्देश्य और महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नफ़रत के ख़िलाफ़ प्रेम की यात्रा है जो अवाम के जुड़ाव के बगैर सम्भव नहीं है।

इसी के साथ यह यात्रा तमसा नदी के किनारे पुल से पहले पश्चिम मुड़कर चड़ई प्राथमिक विद्यालय पहुंची जहां पर उपस्थित देवांग यादव और उनके साथियों ने यात्रा का स्वागत किया। गांव के मध्य से गुजरते हुए पदयात्रा स्वर्गीय चनरू पहलवान के द्वार पहुंची, जहां बृजेश यादव के गीत पर जांघिया लोक नृत्य की प्रस्तुति के बाद यात्रा आगे बढ़ी। रास्ते में नवपुरा में राधेश्याम और उनके साथ उपस्थित साथियों पदयात्रियों का फूल और मालाओं के साथ स्वागत किया।

अब ये यात्रा खेत-खलिहान और मेड़ों से गुज़रती हुई ग्राम सरायपोही के मध्य से गुज़रती हुई कवि एवं पड़ाव प्रभारी राजनाथ यादव राज के द्वार पहुँची, जहाँ यात्रियों हेतु भोजन की व्यवस्था की गई थी। यात्रियों ने भोजन के बाद गर्म दूध का आनंद लिया। उल्लेखनीय है अभी दो हफ्ता पूर्व राजनाथ यादव राज के घर में मातम का माहौल था। उनके चाचा कन्हैया यादव का देहांत हो गया था । फिर भी राजनाथ यादव उनके बड़े भाई भँवर नाथ यादव, श्याम प्रसाद, अनिल यादव, अर्पित, अमन, आकाश, विपुल, कोमल, सौम्य यादव, विनोद यादव ने पदयात्रियों के लिए जिस आदर-सत्कार और सहृदयता से भोजन की व्यवस्था की, उससे सभी लोग भाव-विभोर हो गए।

भोजन के दौरान ही प्रगतिशील लेखक संघ आजमगढ़ के महासचिव डॉ.मोहम्मद हसीन खान एवं डॉ. बालचंद प्रसाद भी अपने सहयोगियों के साथ यात्रा में शामिल होने सरायपोही पहुंच गए । भोजनोपरांत राजनाथ यादव के दिवगंत चाचा स्व० कन्हैया यादव को जत्थे के साथियों ने दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की और राजनाथ जी की माता संतराजी से आर्शीवाद लेकर ये काफिला अपने अगले पड़ाव के लिए चल पड़ा ।

रास्ते में मुस्लिम बस्ती सरायपोही में अय्यूब चचा की अगुवाई में और पश्चिम पूरा में प्रवेश यादव एवं अखिलेश यादव ने यात्रा का स्वागत किया। जूनियर हाई स्कूल नदौली, परानपुर, डोंड़ोपुर, श्रीनगर, सालेहपुर, तिग्गीपुर होते हुए यात्रियों ने निजामाबाद में स्थित खड़ी बोली के प्रथम कवि, ‘प्रियप्रवास’ महाकाव्य के रचयिता कविवर अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ के प्रतिमा-स्थल पहुंच कर उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर श्रद्वांजलि अर्पित की।

इसके उपरांत ‘हरिऔध’ प्रतिमा स्थल पर जनगायक रुस्तम एवं लोकगायक सूरजपाल के जनगीतों पर जांघिया लोक नृत्य का प्रदर्शन हुआ । फिर ये कारवां स्टेट बैंक निजामाबाद होते हुए बद्री चौक डाकघर, जनता इंटर कॉलेज गली से होकर गुरु गोविंद सिंह चरण पादुका ऐतिहासिक गुरुद्वारा, निजामाबाद पहुंचा।जहां पर मुख्य ग्रंथी बाबा सतनाम सिंह, जगदीश सिंह सलूजा, इस्कफ़ आजमगढ़ जिला मंत्री अशोक कुमार यादव, पी.आर.गौतम (पूर्व अधीक्षक रेलवे स्टेशन आजमगढ़ ), वरिष्ठ पत्रकार शहनवाज़ खान, प्रेमचंद पाण्डेय एडवोकेट, अशोक कुमार तिवारी, विकास आज़ाद, चंद्रशेखर पाण्डेय आदि ने जत्थे का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया । गुरुद्वारा प्रांगण में इप्टा के कलाकारों ने धोबिया लोक नृत्य, मटरू पहलवान के निर्देशन में पंवरिया लोक नृत्य और संवैधानिक जागरूकता आधारित नुक्कड़ नाटक “हमारा संविधान” का मंचन इप्टा जोकहरा के वरिष्ठ साथी नर्तक बृजनाथ सिंह के निर्देशन में किया। नाटक मे सुशील राय, नागेंद्र, अनिल सरगम, राम लखन ने और पंवरिया लोकनृत्य टेनी एवं रणजीत ने प्रस्तुत किया।

यात्रा का समापन गुरुद्वारा स्थित डिजिटल लाइब्रेरी सभागार में समारोहपूर्वक संपन्न हुआ, जिसकी अध्यक्षता इप्टा आजमगढ़ के संरक्षक पी आर गौतम और संचालन इप्टा की राष्ट्रीय समिति के सदस्य एवं स्थानीय यात्रा संयोजक बैजनाथ यादव ‘गंवार’ ने की । यात्रा में शामिल सभी पदयात्रियों का स्वागत करते हुए गुरुद्वारा के ग्रंथी बाबा सतनाम सिंह जी ने अत्यंत प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि ‘वाहे गुरु के बंदे हम सब हैं, सब में एक ही नूर समाया है, इसलिए सबको मिलजुल कर रहना चाहिए।’

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जोकहरा इप्टा के सचिव सुशील राय ने इप्टा के साथियों को और स्थानीय आयोजकों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि आज हमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाते हुए सत्य को जानने, मानने और उस पर चलने की आवश्यकता है । इप्टा आज़मगढ़ के सहसचिव मटरू पहलवान ने यात्रा में शामिल साथियों का स्वागत करते हुए एक गीत “अब हो जाओ तैयार, नहीं तो मिट जाओगे” के माध्यम से अपनी बात रखी। इस अवसर लोकायन संस्कृति न्यास, आज़मगढ़ के अध्यक्ष राजनाथ यादव ‘राज’ ने “विषधरों को दूध है, बछड़ों को सूखी घास” गीत प्रस्तुत किया। इप्टा के प्रादेशिक महासचिव शहज़ाद रिज़वी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि यह यात्रा किसी राजनीतिक उद्देश्य के लिए नहीं, समाज में व्याप्त घृणा और नफरत के विरुद्ध प्रेम, मोहब्बत, आपसी भाईचारा को मजबूत करने के उद्देश्य से की जा रही है । हम कबीर, रैदास और नानक के पदचिन्हों पर चलकर ही एक बेहतर और सभ्य समाज निर्माण कर सकते हैं ।

जन संस्कृति मंच के वरिष्ठ साथी एवं लोकप्रिय जन गायक बृजेश यादव ने अपने संबोधन ने कहा कि नफरत की शक्तियां जाति और धर्म का उन्माद पैदा कर रही हैं। उनकी मंशा बहुत साफ है। प्रतिक्रियावादी ताकतें देश में फिर से जमींदारी, बंधुवागीरी, भुखमरी पैदा करना चाहती हैं । जो लोग अमन, भाईचारा, समानता, न्याय चाहते हैं वे दंडित किये जा रहे हैं । ऐसे माहौल में आपकी भूमिका क्या होगी, यह स्वयं अपनी नजर से देखना होगा ।

इस्कफ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जितेंद्र हरि पांडे ने कहा कि हमें मनसा-वाचा-कर्मणा एक होना चाहिए। हम इस गुरुद्वारे में हैं, यही ‘ढाई आखर प्रेम’ है, बदलाव ही क्रांति है । जनवादी लेखक संघ आजमगढ़ के प्रतिनिधि अजय गौतम ने अपनी बात रखते हुए कहा कि प्रेम का अर्थ स्व का विस्तार है। हम रचनात्मक लड़ाई से ही कोई लड़ाई जीत सकते हैं । ज़िंदा मछली धारा के खिलाफ चलती है, यहां उपस्थित सभी लोग अपने ज़िंदा होने का सबूत प्रस्तुत करते हैं ।

प्रगतिशील लेखक संघ आजमगढ़ के सचिव डॉ० मोहम्मद हसीन खान ने अपने सम्बोधन में कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब में एकता की बात है। संविधान सभी लोगों के लिए बराबर है, पर सामंतवादी सोच से देश चलाया जा रहा है। झूठ को बार-बार सच के रूप में परोसा जा रहा है। देश के सभी प्रतिष्ठान कौड़ियों के दाम बेचे जा रहे हैं। ‘ढाई आखर प्रेम’ की यह सांस्कृतिक यात्रा लोगों को जोड़ने का काम करेगी ।

अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में पी आर गौतम ने कहा कि जो संविधान हमारे अधिकारों का रक्षक है, आज वही खतरे में है। हमारा नागरिक कर्तव्य है कि हम संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करें । कार्यक्रम के अंत में इप्टा की राष्ट्रीय समिति के सदस्य एवं स्थानीय यात्रा संयोजक, कवि / जन गायक बैजनाथ यादव ‘गंवार’ ने यात्रा में शामिल सभी कलाकारों, साहित्यकारों, संस्कृतिकर्मियों एवं प्रबुद्ध जनों का हार्दिक आभार व्यक्त किया । मुख्य ग्रंथी सतनाम सिंह समारोह के अध्यक्ष मण्डल के साथियों को सरोपा भेंट कर सम्मानित किया ।

यात्रा में लोकप्रिय जन गायक साथी बृजेश यादव के गीत ‘दाल भात तरकारी चाही / रोटी फुलुक करारी चाही / फूहर पातर से ना सपरे / मनई मन कै भारी चाही’, ‘साफय साफ बतावल जाई / सोझय सोझ नपावल जाई / गन्ना पुन: गिनावल जाई / झगरा अवर बढ़ावल जाई’, ‘न्याय तंत्र की फुटी तगारी / धर्म के नाम पे चोरबजारी / अकल के भीतर घुसी पेटारी / यह ऐयाशी यह बदकारी / हिंसा हत्या मौज तुम्हारी / गुंडा पालैं कनकबिहारी / लम्पट चोरकट गेरुआधारी / भूअर बिखधर चन्नन भारी / इहय लफंगा हय अवतारी / जुटा रहा तू टीकाधारी / एकदिन लउटे तोहरव पारी / एकदिन लउटे तोहरव पारी’ को लोगों द्वारा ख़ूब सराहा गया।

कोहरे से अटा गॉंव, ख़राब मौसम और बारिश के बावजूद भी बड़ी संख्या में स्थानीय जनभागीदारी से जत्थे के साथियों का जोश और उत्साह देखते ही बनता था। लगभग 9 गांवों के विभिन्न टोलों, पुरवों, बाज़ारों, खेत और खलिहानों से होकर लगभग 16 कि.मी. का सफ़र तय करने के बाद भी जत्थे के किसी भी साथी के चेहरे पर किसी भी प्रकार की थकावट के निशान दूर-दूर तक नहीं दिखाई दिए।

यात्रा में इप्टा उत्तर प्रदेश के राज्य महासचिव शहज़ाद रिज़वी, स्थानीय यात्रा संयोजक एवं आजमगढ़ के सचिव बैजनाथ यादव, प्रगतिशील लेखक संघ आज़मगढ़ के सचिव डॉ. मोहम्मद हसीन खान, जनवादी लेखक संघ आज़मगढ़ के वरिष्ठ साथी अजय गौतम, जन संस्कृति मंच के प्रांतीय प्रतिनिधि बृजेश यादव, वरिष्ठ शिक्षक नेता हरिगेन राम, इस्कफ़ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जितेंद्र हरि पांडे, लोकायन संस्कृति न्यास आजमगढ़ के अध्यक्ष राज नारायण यादव ‘राज’, मालटारी डिग्री कॉलेज के डॉ.बालचंद प्रसाद, इप्टा जोकहरा (आज़मगढ़) के सचिव सुशील कुमार राय, बृजनाथ सिंह, अनिल सरगम, राम लखन, इप्टा आजमगढ़ के अध्यक्ष रुस्तम, सहसचिव मटरु पहलवान, कोषाध्यक्ष पतिराज सिंह, रामप्रकाश यादव, सत्यम प्रजापति, बलिराम, रामकेवल, विनोद, रविंद्र पटेल, मोहम्मद रमज़ान उर्फ संपत, मोहम्मद कय्यूम, रंजीत, फैय्याज़ अहमद उर्फ टेनी, हसनैन, फिरोज़, भोलू, रामवृक्ष, दीपचंद, जयप्रकाश, रामलखन अशोक, मोहम्मद आमिर, प्रशांत पाण्डेय, सूचिबाला, नेहा मौर्या और विनोद कुमार सहित सैकड़ों की तादाद में लोग मौजूद रहे।

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