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समता का गीत गाते हुए महाराष्ट्र में पदयात्रा का तीसरा-चौथा दिन

समता का गीत गाते हुए महाराष्ट्र में पदयात्रा का तीसरा-चौथा दिन

(‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा की विभिन्न राज्यों में संपन्न होने वाली अंतिम कड़ियों में महाराष्ट्र पड़ाव की पदयात्रा 19 जनवरी 2024 से आरम्भ हुई है। भारत विविधताओं का देश है। यहाँ के हरेक राज्य की अपनी-अपनी संस्कृति है। 28 सितम्बर 2023 से राजस्थान से आरम्भ हुई ‘ढाई आखर प्रेम’ की सांस्कृतिक यात्रा इसी विविधता के साथ की जा रही है। महाराष्ट्र की पदयात्रा की बड़ी विशेषता है अधिकांश पदयात्रियों का युवा होना। शिवाजी महाराज के स्वराज्य और डॉ बाबासाहेब आम्बेडकर के जातिभेद के ख़िलाफ़ आंदोलन के प्रतीक – क्रमशः रायगड और महाड को जोड़ने वाली इस यात्रा में युवा पदयात्री सुदूर गाँवों में जाकर ग्रामीण स्त्री-पुरुष-बच्चों-बूढ़ों से मिलकर कुछ अपनी सुना रहे हैं, कुछ उनकी सुन रहे हैं। इस तरह संस्कृति का, विचारों का, प्रेम का आदान-प्रदान करते हुए स्नेह के धागे बुनते हुए यात्रा आगे बढ़ रही है। पदयात्रा के तीसरे और चौथे दिन 21 और 22 जनवरी की गतिविधियों की झलकनुमा रिपोर्ट उपलब्ध करवाई है महाराष्ट्र पड़ाव के समन्वयक तल्हा शेख तथा साक्षी ने तथा फोटो और वीडियो साझा किये हैं साक्षी, विक्रम और निसार अली ने।)

21 जनवरी 2024 रविवार, तीसरा दिन :

‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक पदयात्रा के महाराष्ट्र पड़ाव के तीसरे दिन जत्था चांपगांव पहुंचा, और दिन भर अनेक समूहों में बँटकर गांव के लोगों से चर्चा की गई।

इसके बाद सोनू व रोहित ने गीत प्रस्तुत किये।

निसार अली तथा नागेश धुर्वे ने छत्तीसगढ़ी लोकनाट्य नाचा-गम्मत और महाराष्ट्र के लोकनाट्य तमाशा की मिश्रित प्रस्तुति ‘चतुर शिकारी’ नाटक हिन्दी भाषा में प्रस्तुत किया।

यहाँ के बात का उल्लेख करना ज़रूरी है। छत्तीसगढ़ के निसार अली के साथ महाराष्ट्र के साथी नागेश धुर्वे छत्तीसगढ़ी नाचा-गम्मत के सह-कलाकार समारू की भूमिका शानदार ढंग से अदा कर रहे हैं, इससे ‘चालक शिकारी’ नाटक की सम्प्रेषणीयता में इज़ाफ़ा हुआ है। लगातार तीसरे दिन नागेश का रोज़ नया अंदाज़ और नाटकीय स्वाद ‘समारू’ के रूप में विभिन्न गाँवों के दर्शकों को लुभा रहा है।

शाम को कोलोसेवाडी गाँव पहुँचकर रात 9 बजे कई कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये।

कुछ गीत प्रस्तुत किये गये तथा एक नाटक का मंचन किया गया। उसके बाद ग्राम के समुदाय प्रमुख को सम्मानित किया गया। स्थानीय महिला स्वयं सहायता समूह को धन्यवाद पत्र प्रदान किया गया।

22 जनवरी 2024 सोमवार, चौथा दिन

कोलोसेवाड़ी गाँव में सुबह उठकर विजय, कृष्णा और विक्रम ने दिन की शुरुआत में ही लक्ष्मण तांबे नमक स्थानीय निवासी के घर का दौरा किया, जहां बाबासाहेब अम्बेडकर अपनी यात्रा के दौरान रुके थे। उनसे उस समय की ऐतिहासिक घटनाओं की याद ताज़ा करते हुए उन्होंने जानकारी एकत्र की।

10 बजे के बाद उपस्थित सभी यात्री छोटे-छोटे समूहों में बंट गए और कोलोसे के गवालवाड़ी में विभिन्न घरों का दौरा किया और ग्रामीणों से बातचीत की, साथ ही गांव की संस्कृति और सांप्रदायिक माहौल को जानने की कोशिश की और मैत्रीपूर्ण बातचीत के माध्यम से वहां की समस्याओं को भी समझने की कोशिश की।

उसके बाद उन्हें साथ लेकर गांव के विट्ठल मंदिर के सभागार में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन कर प्रस्तुति दी गई, जिसमें कार्तिक ने ‘ढाई आखर प्रेम’ यात्रा की शुरुआत सम्बन्धी जानकारी प्रदान की। यहाँ मराठी लोकगीत प्रकार ‘गवळण’ ”कशी मी जाऊ मथुरेच्या बाजारी” (कैसे मैं जाऊँ मथुरा के बाजार में) कृष्णा ने गाया और एक अन्य मराठी लोकगीत प्रकार ‘भारुड़’ “विंचू चावला” (बिच्छू ने काटा) (इस लोकगीत के शब्द पुरानी प्रसिद्ध हिंदी फिल्म ‘मधुमती’ का लोकप्रिय गीत ‘चढ़ गयो पापी बिछुआ’ की याद दिलाता है) को चेतन ने प्रस्तुत किया।

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इसके अलावा निसार अली और नागेश धुर्वे ने छत्तीसगढ़ की नाचा गम्मत नाट्य शैली और महाराष्ट्र की तमाशा नाट्य शैली को मिलाकर नाटक के रूप में ‘चालाक शिकारी’ का मंचन किया और दर्शकों की प्रशंसा हासिल की। समापन पर लोगों से एकता और समानता का संदेश देने और मानवता का प्रसार करने के लिए इस यात्रा में भाग लेने का आग्रह किया गया।

कार्यक्रम के अंत में ग्रामीणों ने मृदंग-तबला और करताल-ढोलक की थाप पर पहला अभंग गाया – ”जय जय राम कृष्ण हरी।तूच गणाचा गणपती। राम आठवा थोडं पुण्य साठवा। पुण्याईचा चेक घ्या खुशाल वटवा। नाही रे नाही कुणाचे कुणी।” (आप गण के गणपति हैं। राम को याद करते हुए कुछ पुण्य संचित कर लो। पुण्य का चेक लेकर उसे आसानी से नकद कर लो। इस जगत में कोई किसी का नहीं है।) इसके अलावा अन्य अभंग था – ”हरिनाम ज्याच्या मुखात, त्याला तारील भगवंत” (जिसके मुख में हरिनाम होता है, भगवान उसकी रक्षा करता है)। नागेश जाधव और नागेश दुर्वे ने इन अभंगों की व्याख्या करते हुए संत परंपरा का परिचय दिया। बेहतरीन संगत करने वाले मृदुंग वादक संतोष चव्हाण, अभंग गायक संजय मोरे और प्रवीण पाटिल का ‘ढाई आखर प्रेम’ आयोजकों ने टोपी और उपरणे पहनाने के साथ-साथ धन्यवाद पत्र देकर सम्मान किया और ग्राम-भ्रमण करते हुए कार्यक्रम का समापन किया गया।

22 जनवरी की शाम ग्राम नांदगांव बुद्रुक, तहसील महाड, जिला रायगड में कार्यक्रम का परिचय एवं शुभारम्भ आमिर शेख ने “शिवाबा राजाची रयते जागर घालु समतेचा…” (शिवाजी महाराज की प्रजा हैं हम, समता का जागरण गीत गाते हैं) गीत से किया। साथ ही कार्यक्रम के आयोजन में सहयोग देने वाले ग्राम प्रधान गणेश तात्या एवं स्थानीय निवासी प्रशांत जाधव को क्रमश: केतन एवं प्राजक्ता द्वारा सम्मानित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई।

कार्यक्रम की शुरुआत में फोरम थियेटर की शैली में नाटक प्रस्तुत कर जनता के सवालों का जवाब ढूंढने का प्रयास किया गया, जिसमें संकेत, प्राजक्ता, नागेश, विजय, केतन, साक्षी और श्रीकांत ने विभिन्न भूमिकाएं निभाईं। समूह गायन में दो ग्रामीणों रमेश सपकाल और प्रशांत जाधव के नेतृत्व में बाबा साहब आंबेडकर पर केंद्रित गीत प्रस्तुत किये गए ।

कार्यक्रम का समापन मानव-श्रृंखला बनाकर एवं सामूहिक रूप से “पाडू चला रे भिंत ही आड येणारी” (चलो, सब मिलकर बाधा डालने वाली यह दीवार गिराते हैं) गीत गाकर किया गया गया । (क्रमशः)

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