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मुंबई में दो दिन की ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक यात्रा

मुंबई में दो दिन की ‘ढाई आखर प्रेम’ सांस्कृतिक यात्रा

(‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के समापन चरण में महाराष्ट्र पड़ाव के बाद दि. 25 और 26 जनवरी 2024 को मुंबई में यात्रा संपन्न हुई। मुंबई जैसे महानगर में गणतंत्र दिवस के कारण पदयात्रा के लिए प्रशासन से स्वीकृति मिलना टेढ़ी खीर था। अंततः दो दिनों पूर्व अनुमति मिली और कुछ दूरी बस से और कुछ दूरी पैदल चलकर तय की गयी। पहले दिन की यात्रा के पड़ावों के चयन में न केवल अगस्त क्रांति मैदान, बल्कि मुंबई के प्रगतिशील सांस्कृतिक आंदोलन के इतिहास को याद करने के साथ हिंदी-उर्दू के सह-प्रवास, लाल बावटा कला पथक के मशहूर लोकशाहीर अमर शेख तथा डॉ बाबासाहेब आम्बेडकर के निवास के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित किया गया। वहीं दूसरे दिन प्रेम-मोहब्बत और भाईचारे के गीतों और नाटकों के साथ संस्कृतिकर्मियों से एकजुटता प्रदर्शित की।

दो दिनों की मुंबई यात्रा की रिपोर्ट मूल अंग्रेज़ी में तैयार की है निवेदिता बौंठियाल ने, फोटो और वीडियो उपलब्ध करवाये हैं रंजना, अनादि, विकास, उषा और चारुल जोशी ने। साथ ही पहले दिन के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर प्रसारण की यूट्यूब लिंक तथा उर्दू अखबार में रिपोर्ट की फोटो उपलब्ध करवाई है उर्दू कारवाँ के साथी फरीद खान ने।)

भारत के 75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर, इप्टा मुंबई ने एकता, शांति और भाईचारे की भावना का जश्न मनाया। देश के अनेक सांस्कृतिक संगठनों द्वारा 22 राज्यों में ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था आयोजित किया गया था। यह जत्था 28 सितंबर 2023 को भगत सिंह की जयंती से शुरू होकर 30 जनवरी 2024 को महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर समाप्त हुआ।

25 जनवरी 2024 गुरुवार

इप्टा मुंबई ने 25 और 26 जनवरी 2024 को जत्थे के दूसरे अंतिम चरण की मेजबानी की। मुंबई जत्था 25 जनवरी को सुबह 7.30 बजे उन सभी स्थानों की विरासत यात्रा के साथ शुरू हुआ, जो राष्ट्रीय एकता के प्रतीक हैं।

शुरुआत अगस्त क्रांति मैदान से हुई, जहां सभी लोग गांधी स्मृति स्तंभ पर एकत्र हुए, फूल चढ़ाए, कैफ़ी आज़मी, शैलेन्द्र और साहिर लुधियानवी जैसे प्रसिद्ध गीतकारों के गीत गाए, जो इप्टा का अभिन्न अंग थे। इनमें प्रमुख थे – ‘ढाई आखर प्रेम के पढ़ने और पढ़ाने आये हैं’, ‘हम मेहनतकश जगवालों से जब अपना हिस्सा मांगेंगे’, ‘हम दीवाने’ हम परवाने’ आदि।

मूल छत्तीसगढ़ के साथी, यशवंत वासनिक ने, जो अब मुंबई निवासी हैं, गाँव की दुर्दशा पर बहुत मार्मिक गीत ‘आँखों में आँसू लिए रे मेरा बूढा गाँव’ प्रस्तुत किया।

इसके बाद जत्था मौलाना हसरत मोहानी चौक पर नागपाड़ा जंक्शन के लिए रवाना हुआ, जहां समूह ने मिर्जा गालिब के भित्तिचित्र के सामने अपना सम्मान व्यक्त किया।

उर्दू कारवाँ के अध्यक्ष और प्रगतिशील लेखक संघ महाराष्ट्र के उपाध्यक्ष फरीद खान, सईद खान, फ़ारूक़ सईद, और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता सुलेमान खान ने जत्थे का स्वागत किया।

पी टी माने पार्क में ग़ालिब के भित्तिचित्र के बगल में देशभक्ति और क्रांतिकारी गीत गाए गए। मुंबई के स्थानीय न्यूज़ चैनल पर ‘ढाई आखर प्रेम’ मुंबई जत्थे के पहले दिन की रिपोर्ट तथा विभिन्न स्थलों पर गाये गए जनगीतों का प्रसारण किया गया, निम्न वीडियो में विस्तृत जानकारी देखी-सुनी जा जा सकती है।

अगला पड़ाव प्रसिद्ध अवामी इदारा था, जो 1952 में स्थापित मुंबई की उर्दू लाइब्रेरी थी, जो पूरी तरह से मिल श्रमिकों द्वारा चलाई जाती थी। चारुल जोशी ने इसके ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया,

कैफ़ी आज़मी, प्रेम धवन, अली सरदार जाफ़री आदि हिंदी-उर्दू के अधिकांश साहित्यकार इस पुस्तकालय में नियमित आते थे। कैफ़ी आज़मी ने ही लाइब्रेरी का नाम अवामी इदारा रखा था, जिसका अर्थ सार्वजनिक संस्था होता है।

जत्थे का स्वागत संस्था के अध्यक्ष श्री राशिद अहमद, सचिव श्री इब्राहिम अंसारी और उनके सहयोगी नौशाद अशफ़ाक़ व फ़ारूक़ ने किया। प्रसिद्ध संगीत निर्देशक और इप्टा मुंबई के संरक्षक कुलदीप सिंह के नेतृत्व में इप्टा गायन मंडली द्वारा अवामी इदारा में गाने गाए गए। इदारा सदस्यों द्वारा जत्थे को नाश्ता परोसा गया।

जत्थे का अगला पड़ाव सात रास्ता सर्किल पर अमर शेख चौक था। अमर शेख, एक मिल मजदूर, अपने प्रारंभिक वर्षों में इप्टा के संस्थापक सदस्यों और सबसे मजबूत स्तंभों में से एक थे। अन्ना भाऊ साठे के साथ, उन्होंने लाल बावटा कलापथक (लाल झंडा सांस्कृतिक दस्ता) का गठन किया, जो मुंबई में आईपीटीए की शाखा के रूप में कार्य करते थे । जत्था ने अमर शेख की प्रतिमा पर फूल-मालाएं अर्पित कीं। यहाँ अमर शेख के नाती निशांत जानु शेख उपस्थित थे, वे भी एक बेहतरीन लोकशाहीर हैं। उन्होंने भी ‘मानाचा मुजरा’ की कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत कीं ।

यात्रा के पहले दिन का अंतिम पड़ाव परेल में नागरिक स्वामित्व वाली बीआईटी चॉल नंबर 1, जहां बाबासाहेब अंबेडकर 1912 से 1934 के बीच दूसरे मंजिल के 180 वर्ग फीट के कमरे 50 और 51 में रहते थे। यह अब एक राष्ट्रीय स्मारक है। जत्थे ने बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया।

यात्रा बाबासाहेब अम्बेडकर के आवास के सामने जीकेयू हॉल में दोपहर के भोजन के साथ समाप्त हुई। जी के यू हॉल की जगह नाना परब द्वारा मुहैया की गई।

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इस अवसर पर इप्टा मुंबई की अध्यक्ष सुलभा आर्या, संरक्षक कुलदीप सिंह, वरिष्ठ सदस्य रमेश तलवार, उपाध्यक्ष अंजन श्रीवास्तव एवं निवेदिता बौंठियाल, चारुल जोशी, विकास यादव, विकास रावत, अविनाश कुमार, रंजना श्रीवास्तव सहित इप्टा मुंबई के सभी सदस्य उपस्थित थे। इप्टा की राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसन्ना, कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा, राष्ट्रीय सचिवालय समिति की सदस्य उषा आठले एवं अर्पिता श्रीवास्तव, छत्तीसगढ़ से निसार अली, यशवंत वासनिक, अनादि आठले, सीपीआई सचिवालय की महाराष्ट्र शाखा के सदस्य प्रकाश रेड्डी, भारतीय महिला फेडरेशन समिति मुंबई की सचिव अनुराधा रेड्डी, भारतीय महिला महासंघ समिति मुंबई की उपाध्यक्ष अश्विनी रानाडे शामिल थीं। इस अवसर पर सीपीआई मुंबई के सचिव मिलिंद रानाडे, प्रगतिशील लेखक संघ, झारखंड के उपाध्यक्ष पंकज कुमार श्रीवास्तव उपस्थित थे।

26 जनवरी 2024 शुक्रवार

26 जनवरी को मुंबई जत्था का दूसरा दिन सुबह 11 बजे भूपेश गुप्ता भवन में उपस्थित सभी लोगों द्वारा गाए गए राष्ट्रगान के साथ शुरू हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत हुई तेजस्विनी इंगले द्वारा कुलदीप सिंह के संगीत निर्देशन में गाए कबीर के पदों से। उन्होंने पहले दो पद एकल गाये, ‘भक्ति का मारग झीना झीना रे’, एक निरंजन अल्लाह मेरा हिन्दू तुरक दो नहीं मेरा’ तथा उसके बाद कोरस में गाया – ‘देखो जग बौराना साधो’.

कुलदीप सिंह जी के नेतृत्व में इप्टा गायन मंडली द्वारा गीत गाए गए। ‘हर घड़ी हर पल रहे ये ध्यान साथी, प्रेम का है आज इम्तिहान साथी’, ‘तू ज़िंदा है तू ज़िन्दगी की जीत पे यकीन कर, अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर’, ‘ढाई आखर प्रेम के पढ़ने और पढ़ाने आये हैं’ आदि।

इस अवसर पर अखिल भारतीय इप्टा के कार्यकारी अध्यक्ष श्री राकेश वेदा उपस्थित थे। इस मौके पर उन्होंने ‘ढाई आखर प्रेम’ यात्रा के 2022 के पहले चरण और 28 सितम्बर 2023 से 30 जनवरी 2024 तक के दूसरे चरण के सभी राज्यों के पड़ावों पर चर्चा करते हुए सभी प्रदेशों के भिन्न-भिन्न अनुभवों को साझा किया। उन्होंने इस यात्रा में प्रेम और श्रम के सम्बन्ध का प्रतीक हथकरघे के गमछे का प्रयोग यात्रा में किये जाने सम्बन्धी विचार को भी स्पष्ट किया।

इस अवसर पर इप्टा मुंबई की अध्यक्ष सुलभा आर्य ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने जत्थे द्वारा प्रेम के प्रसार के साथ एकता और भाईचारे के सही अर्थ को समझने के मकसद के बारे में बात की। इप्टा से जुड़े निसार अली ने ‘कहब तो लग जाई धक् से’, यशवन्त वासनिक ने ‘राहों पर नीलम हमारी भूख नहीं हो पायेगी’ तथा ‘आँखों में आंसू लिए रे मेरा बूढा गाँव’ और फ़राज़ खान ने स्वरचित गीत ‘आओ दुनिया को सिखाएँ’ जैसे सार्थक गीत गाये।

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के निसार अली और इप्टा मुंबई के विकास यादव ने बहुत ही रोचक और सार्थक नाटक ‘चालाक शिकारी’ प्रस्तुत कर ‘ढाई आखर प्रेम’ के निचोड़ को प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर अखिल भारतीय इप्टा के कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा, इप्टा मुंबई की अध्यक्ष सुलभा आर्य, संरक्षक कुलदीप सिंह, वरिष्ठ सदस्य रमेश तलवार, उपाध्यक्ष निवेदिता बौंठियाल, चारुल जोशी, विकास यादव, विकास रावत, अविनाश कुमार, रंजना श्रीवास्तव सहित इप्टा मुंबई के सभी सदस्य उपस्थित थे। इनके अलावा प्रसिद्ध लेखक निर्देशक अनामिका हक्सर, इप्टा की राष्ट्रीय सचिवालय समिति की सदस्य उषा आठले, सीपीआई की महाराष्ट्र विंग की सचिव प्रकाश रेड्डी, भारतीय महिला फेडरेशन कमेटी मुंबई की सचिव अनुराधा रेड्डी, सीपीआई मुंबई के सचिव मिलिंद रानाडे, प्रगतिशील लेखक संघ, झारखंड के उपाध्यक्ष पंकज कुमार श्रीवास्तव, केरल इप्टा के मुंबई चैप्टर के साथी सुब्रमण्यम, एड. रेणु, के एन बाबू के तथा अनेक स्थानीय लोग इस अवसर पर उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन इप्टा मुंबई की उपाध्यक्ष निवेदिता बौंठियाल ने किया। ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के मुंबई पड़ाव का दो दिवसीय कार्यक्रम दोपहर के सह भोजन के बाद समाप्त हुआ।

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