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बस्ती उत्तर प्रदेश में एक दिवसीय पदयात्रा

बस्ती उत्तर प्रदेश में एक दिवसीय पदयात्रा

(‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक पदयात्रा की निरंतरता में देखा जा रहा है कि अनेक प्रदेशों में अपने पूर्व निर्धारित यात्रा-तारीखों के अलावा भी यात्रा की जा रही है। उत्तर प्रदेश में यह सिलसिला लगातार जारी है। अपनी निर्धारित तारीखों 18 से 23 नवम्बर 2023 की पदयात्रा के अलावा 06 अक्टूबर रायबरेली, 21 अक्टूबर लखनऊ, 03 दिसंबर गोरखपुर, 12 दिसंबर लखनऊ के बाद 17 दिसंबर 2023 को पदयात्रा बस्ती शहर में आयोजित की गयी। प्रस्तुत रिपोर्ट एवं फोटो-वीडियो भेजे हैं उत्तर प्रदेश इप्टा के महासचिव शहज़ाद रिज़वी ने।)

ढाई आखर प्रेम राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा, जो 28 सितम्बर 2023 से 30 जनवरी 2024 तक आयोजित है, की कड़ी में उप प्रादेशिक सांस्कृतिक यात्रा उत्तर प्रदेश के बस्ती शहर में 17 दिसंबर 2023 रविवार को की गयी।

फेंकी न मुनव्वर ने बुर्जुगों की निशानी I

दस्तार पुरानी है मगर बांधे हुए हैं॥

वर्तमान में घृणा, वैमनस्य और घुटन भरे माहौल में आपसी सौहार्द्र, प्रेम, भाईचारा और एकता की भावना को मज़बूत करने, देश की बहुरंगी संस्कृति, लोक जीवन, साझी विरासत को समझने, सीखने और उसे अंगीकार करने के उद्देश्य से इप्टा के नेतृत्व में अन्य जन संगठनों के सहयोग से देशव्यापी ‘ढाई आखर प्रेम’ राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा जारी है।

उत्तर प्रदेश में जत्थे का निर्धारित राष्ट्रीय समय 18 नवंबर से 23 नवंबर 2023 था। बुन्देलखंड में उक्त समयावधि पूर्ण करने के बाद जनसंख्या और जिलों की संख्या के हिसाब से बड़ा प्रदेश होने के फलस्वरूप शेष पूर्वांचल, अवध, पश्चिमांचल आदि सम्भाग के अधिक से अधिक जनपदों में एक दिवसीय उप यात्राओं का आयोजन किया जा रहा है, जिससे अधिक से अधिक लोगों के मध्य पहुंचकर आपसी सद्भाव और प्रेम का संदेश बांटा जा सके । इसी क्रम में प्रदेश में उप प्रादेशिक सांस्कृतिक यात्राओं की श्रृखंला के अन्तर्गत 17 दिसम्बर 2023 को बस्ती में एक दिवसीय सांस्कृतिक यात्रा का आयोजन बड़े ही धूमधाम के साथ संपन्न हुआ ।

यात्रा की शुरुआत सिविल लाइन स्थित संत कबीर की प्रतिमा स्थली से हुई । सर्वप्रथम संत कबीर की प्रतिमा पर बस्ती इप्टा के संरक्षक सुरेंद्र मोहन वर्मा एडवोकेट, देवेन्द्र श्रीवास्तव एडवोकेट, श्याम प्रकाश वर्मा एडवोकेट, प्रदीप कुमार श्रीवास्तव एडवोकेट एवं बस्ती इप्टा की अध्यक्ष वंदना चौधरी ने माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित किये । कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए इप्टा के संरक्षक सुरेंद्र मोहन वर्मा एडवोकेट ने यात्रा के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह यात्रा प्रेम और सद्भाव की यात्रा है आज हमें नानक , कबीर और रविदास के दिखाए गए रास्तों पर मजबूती के साथ चलने की आवश्यकता है और इसी के माध्यम से हम समाज को प्रेम और मानवता के सूत्र में बांध सकते हैं ।

इसके पश्चात् इप्टा बस्ती के वरिष्ठ रंगकर्मी व कवि विजय श्रीवास्तव द्वारा स्वरचित गीत की प्रस्तुति ‘ढाई आखर प्रेम की ये यात्रा भाई चारा का संदेश लेकर आई है। मिटे नफरत का चलन प्रेम का साम्राज्य बने। कहीं न द्वेष ईर्ष्या छल के लिए स्थान बने। कोई बड़ा नहीं छोटा नहीं अभिमान को तजना होगा। एक दूजे से गले मिलके‌‌ सभी को यहां चलना होगा। सारे गिले-शिकवे मिटा दो यही कहने आई है ‘ को काफ़ी सराहा गया । तदोपरांत जत्था ढोल और झाल की थाप पर गाते-बजाते अपने अगले पड़ाव शास्त्री चौक के लिए निकल पड़ा । शास्त्री चौराहे पहुँच कर वहाँ स्थापित लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमा पर जत्थे में शामिल वरिष्ठ अधिवक्ता कौशल किशोर श्रीवास्तव एवं वरिष्ठ पत्रकार जयंत मिश्रा सहित साथियों ने शास्त्री जी की प्रतिमा माल्यार्पण का उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित की ।

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इसी क्रम में कवि व संस्कृतिकर्मी विजय श्रीवास्तव, जनगायक / रंगकर्मी कृष्णचन्द्र श्रीवास्तव एवं वरिष्ठ कवि दीपक प्रेमी ने जनगीतों की प्रस्तुति की। इसके पश्चात् जत्थे के पदयात्री शहर के मुख्य और व्यस्त मार्गों से ‘ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गाँव के, अब अंधेरा जीत लेगें लोग मेरे गाँव के’,‘एक नया लाल सूरज उगे तम में डूबी ज़मी के लिए ‘ गीत गाते हुए कचहरी, स्टेडियम से कम्पनी बाग़ होते हुए यात्रा के अंतिम पड़ाव सुभाष तिराहे मालवीय रोड स्थित नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा स्थली पर पहुँचे।

जहाँ इप्टा बस्ती के सचिव अमरदीप सहित भोजपुरी सिने अभिनेता एवं इप्टा बस्ती के उपाध्यक्ष बाल मुकुन्द आकाश, संगठन मंत्री भक्ति नारायण श्रीवास्तव, कोषाध्यक्ष सुरेशचंद्र गौड़, मनोज श्रीवास्तव, कु० कृष्णा पाण्डेय आदि साथियों ने प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की । प्रतिमा प्रांगण स्थल पर इप्टा बस्ती के कलाकारों ने जनगीतों के अतिरिक्त रहीम का दोहा – ‘टूटे सुजन मनाइए जो टूटे सौ बार रहिमन फिर फिर पोइए टूटे मुक्ताहार‘ एवं कबीर का पद – ‘कबीरा सोई पीर है जो जाने पर पीर जो पर पीर न जानई सो काफी बेपीर’ की संगीतमय प्रस्तुति की, जिसे प्रांगण में बड़ी संख्या में उपस्थित लोगों ने काफी पसंद किया।

यात्रा के समापन पर यात्रा संयोजिका / अध्यक्ष बस्ती इप्टा वंदना चौधरी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। ज्ञातव्य हो कि आपसी प्रेम एकता और भाईचारा के लिए प्रसिद्ध, जिसका नाम ही विशुद्ध रूप से सांप्रदायिक सौहार्द्र और कस्बाई एकता का प्रतीक है ‘बस्ती’। यह जनपद बस्ती तमाम राजनीतिक, साहित्यिक व सांस्कृतिक विरासतों को अपने में समेटे हुए है। ‘बस्ती’ का सम्बन्ध अंग्रेजों के दांत खट्टे करने वाली महान वीरांगना रानी तलाश कुंवारी, जो रानी अमोढ़ा के नाम से लोकप्रिय हैं, साहित्यिक पहचान के लिए प्रख्यात निबंधकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल, प्रसिद्ध नाटककार डॉ० लक्ष्मी नारायण लाल, लक्ष्मीकांत वर्मा एवं प्रख्यात कवि /नाटककार सर्वेश्वर दयाल सक्सेना से है, जिन्होंने अपने लेखन से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है ।बस्ती जनपद में आंचलिक बोलियों का संगम भी देखने को मिलता है। जनपद के पूर्वी क्षेत्र में भोजपुरी और पश्चिम क्षेत्र में अवधी का प्रयोग किया जाता है।

सांस्कृतिक यात्रा में इप्टा बस्ती के सरंक्षक सुरेंद्र मोहन वर्मा एडवोकेट देवेंद्र श्रीवास्तव एडवोकेट श्याम प्रकाश शर्मा एडवोकेट, प्रदीप कुमार श्रीवास्तव एडवोकेट के अतिरिक्त स्थानीय यात्रा संयोजक व इप्टा बस्ती की अध्यक्ष वन्दना चौधरी, सह संयोजक यात्रा विजय श्रीवास्तव, यात्रा समन्वयक / सचिव इप्टा बस्ती अमरदीप, उपाध्यक्ष – बाल मुकुंद आकाश, संगठन मंत्री – भक्ति नरायण श्रीवास्तव, कोषाध्यक्ष- सुरेश चन्द्र गौड़, शुभम साहू, शैलेश श्रीवास्तव, परमात्मा प्रसाद श्रीवास्तव, कृष्णचन्द्र श्रीवास्तव, अमित कुमार मिश्रा, जयंत मिश्रा, कौशल किशोर श्रीवास्तव, कु० कृष्णा पांडे, किशन पांडे, दुर्गेश नंदन श्रीवास्तव एडवोकेट, सूफी गायक सत्येंद्र श्रीवास्तव, अनिल सिंह, कामरेड रामलौट, कुलदीप मिश्रा एडवोकेट, मनोज श्रीवास्तव, प्रदीप श्रीवास्तव एवं उमेश यादव सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे ।

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