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अजय, इप्टा और मैं : छै

अजय, इप्टा और मैं : छै

(अजय इप्टा और मैं और यादों के झरोखों से – मेरे और अजय के संस्मरण एक साथ इप्टा रायगढ़ के क्रमिक इतिहास के रूप में यहाँ साझा किये जा रहे हैं। अजय ने अपना दीर्घ संस्मरणात्मक लेख रायगढ़ इकाई के इतिहास के रूप में लिखा था, जो 2017 के छत्तीसगढ़ इप्टा के इतिहास पर केंद्रित रंगकर्म के विशेष अंक में छपा था। अजय इप्टा और मैं की पिछली कड़ी में मेरे द्वारा पच्चीसवें नाट्य समारोह से लेकर 2019 अक्टूबर तक की गतिविधियों का ज़िक्र किया गया। इस कड़ी में दिसंबर 2019 में संपन्न छब्बीसवें नाट्य समारोह से लेकर सितम्बर 2020 तक की इप्टा रायगढ़ की तमाम ऑनलाइन तथा ऑफलाइन गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत है। पाठक माफ़ करेंगे, डॉक्यूमेंटेशन के उद्देश्य से काफी ज़्यादा फोटोग्राफ्स तथा वीडियो इन कड़ियों में पोस्ट किये गए हैं, जिनसे शायद पठनीयता में कुछ बाधा पैदा हुई होगी। यह इस संस्मरणनुमा इतिहास की अंतिम कड़ी है। – उषा वैरागकर आठले )

छब्बीसवें नाट्य समारोह के पहले सितम्बर 2019 में एफटीआयआय के निर्देशक करमा टकापा ने 2015 में रायगढ़ में बनाई गई छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘मोर मन के भरम’ के बाद फिर एक हिंदी फीचर फिल्म रायगढ़ में बनाने की योजना बनाई। यह फिल्म करमा और अनादि के प्रोडक्शन हाउस ‘ह्यूमनट्रेल’ और इप्टा रायगढ़ के बैनर पर बनाई जा रही थी। क्राउड फंडिंग से बनाई जा रही इस फिल्म में हम दोनों ने भी आर्थिक और अन्य मदद की थी। हमेशा की तरह इस फिल्म में इप्टा रायगढ़ के ही अधिकांश कलाकार और सहायक भी काम कर रहे थे।

इससे पहले दिसम्बर 2018 में भी एफटीआयआय के पियुष ठाकुर ने अपनी एक शॉर्ट फिल्म रायगढ़ में ही आकर शूट की, जिसमें इप्टा रायगढ़ के अन्य कलाकारों के अलावा युवा कलाकार वासुदेव निषाद और प्रियंका बेरिया मुख्य भूमिका में थे। इस फिल्म का फिल्मांकन शहर के अलावा हमारे साथी विवेकानंद प्रधान के गाँव-घर में हुआ। करमा और पियुष अनादि के सहपाठी और घनिष्ठ दोस्त भी हैं। इनके साथ निरंतर काम करने के कारण इप्टा रायगढ़ के भरत निषाद, श्याम देवकर ने फिल्म-निर्माण की कई तकनीकी जानकारियाँ हासिल कीं, जिसके कारण उन्हें अन्य फिल्मकारों द्वारा भी बुलाया जाता है। अजय करमा और पियुष दोनों की ही फिल्मों में अभिनय के साथ उनका ‘लोकल मेंटर’ भी हमेशा की तरह रहा। ये दोनों फिल्में कोराना-काल में अवरुद्ध थीं। जल्दी ही स्क्रीनिंग के लिए तैयार हो जाएंगी।

बहरहाल, 2019 महात्मा गांधी और कस्तूरबा गाँधी का एक सौ पचासवाँ जन्म-वर्ष था, सो छब्बीसवाँ नाट्य समारोह ‘अहिंसा पर्व’ के शीर्षक से गांधी पर केन्द्रित करने का निर्णय लिया गया। 26 से 30 दिसम्बर 2019 तक आयोजित इस नाट्य समारोह के लिए काफी खोजबीन की गई। एक नाटक इप्टा रायगढ़ ने खुद करना तय किया – ललित सहगल लिखित ‘हत्या एक आकार की’। कम पात्रों का यह नाटक संवादों पर टिका हुआ था। अजय के निर्देशन में रिहर्सल शुरु तो हो गई, परंतु रिहर्सल के लिए सही समय न निकाल पाने के कारण साथियों को संवाद याद नहीं हो पा रहे थे। अजय इससे बहुत दुखी और असंतुष्ट था। उसने इस मंचन को न करने का विचार कर लिया था परंतु इतने कम समय में नाट्य समारोह के दूसरे दिन और किसी को बुलाया भी नहीं जा सकता था इसलिए मैंने अजय को यह सलाह दी कि इसे आलेख-पठन शैली में ढाल दिया जाए। कोई और चारा न देखकर तय किया गया कि नाटक नए फॉर्म में ढालकर आलेख-पठन शैली में खेला जाए। नाट्य समारोह के दूसरे दिन 27 दिसम्बर को नाटक का मंचन हुआ। मगर इस प्रयोग को बहुत सफल नहीं कहा जा सकता।

इससे पहले लिटिल इप्टा की नियमित गतिविधियों के दौरान मयंक श्रीवास्तव ने प्रस्ताव रखा था कि वह गांधी के जीवन पर बच्चों से एक नृत्य तैयार करवाएगा। नाट्य समारोह में इसकी प्रस्तुति भी जोड़ ली गई। इसे ‘हत्या एक आकार की’ नाटक के पहले प्रस्तुत किया गया।

पहले दिन 26 दिसम्बर को राजेश कुमार लिखित नाटक ‘गांधी ने कहा था’ का मंचन भिलाई इप्टा के युवा निर्देशक चारू श्रीवास्तव के निर्देशन में हुआ। भिलाई इप्टा में निर्देशन की कमान युवा पीढ़ी द्वारा सम्हालना हमें बहुत आश्वस्त कर रहा था।

तीसरे दिन 28 दिसम्बर को इंदौर की नाट्य संस्था रंगरूपिया इंदौर द्वारा ‘गांधी विरुद्ध गांधी’ खेला गया। यह नाटक महात्मा गांधी और उनके बड़े बेटे हरिलाल के अंतर्विरोधों पर केन्द्रित था।

चौथे दिन 29 दिसम्बर को अग्रज नाट्य दल बिलासपुर के डांस-ड्रामा ‘मंगल से महात्मा’ की प्रस्तुति हुई। इसके कई मंचन हो चुके थे। लाइट एण्ड साउंड शो के रूप में यह काफी आकर्षक जान पड़ा।

अंतिम दिन नटमंडप पटना के वरिष्ठ साथी जावेद अख्तर खाँ का नाटक ‘बापू’ था, जिसका वे परवेज़ अख्तर के निर्देशन में एकल प्रदर्शन करते हैं। समारोह के पहले ही परवेज़ भाई का फोन आया कि जावेद भाई की तबियत काफी खराब होने के कारण वे नहीं आ पाएंगे। हमें बहुत झटका लगा क्योंकि देश के वरिष्ठ नाट्य-निर्देशक और अभिनेता का बहुत परिपक्व नाटक देखने के लिए हम सब बहुत उत्सुक थे। पहले हमने सोचा कि क्या कोई फिल्म-प्रदर्शन कर दिया जाय! मगर फिर सभी साथियों की राय बनी कि समारोह चौथे दिन ही समाप्त घोषित कर दें, यही बेहतर होगा। अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के पास महात्मा गांधी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर बड़ी संख्या में पोस्टर्स थे। सो उनकी पहल पर पॉलिटेक्निक के बरामदे में पोस्टर-प्रदर्शनी लगाई गई। काफी बड़ी संख्या में दर्शकों ने इन्हें देखा।

नाट्य समारोह का महत्वपूर्ण हिस्सा शरदचंद्र वैरागकर स्मृति रंगकर्मी सम्मान भी हो चुका था। इस कड़ी में ग्यारहवें सम्मान के लिए राजनाँदगाँव छत्तीसगढ़ की लोकगायिका पूनम विराट का चयन सर्वसम्मति से हो चुका था। पूनम और दीपक तिवारी हबीब साहब के ‘नया थियेटर’ के महत्वपूर्ण कलाकार रहे थे। बाद में उन्होंने अपना अलग दल बना लिया। पूनम अभिनय और लोकगायकी की अद्भुत कलाकार हैं। 26 दिसम्बर की सुबह उन्हें ग्यारहवाँ शरदचंद्र वैरागकर स्मृति रंगकर्मी सम्मान होटेल साँईश्रद्धा के हॉल में प्रदान किया गया।

इस अवसर पर राजेश श्रीवास्तव और मणिमय मुखर्जी के साथ पूरी भिलाई इप्टा की टीम भी उपस्थित थी। पूनम विराट ने सम्मान ग्रहण करने के बाद बहुत संक्षिप्त उद्बोधन के पश्चात कुछ नाटकों के गीत सुनाए, जिन्हें सुनना यादगार अनुभव रहा।

हमेशा की तरह नगर की अनेक सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाओं के लोगों ने पूनम विराट का सम्मान किया। रात को भिलाई इप्टा के नाटक के बाद इप्टा रायगढ़ की वार्षिक पत्रिका ‘रंगकर्म’ का विमोचन राजेश श्रीवास्तव और मणिमय मुखर्जी द्वारा किया गया।

इस ‘रंगकर्म’ में सात नाटक प्रकाशित हुए हैं – अम्बिकापुर इप्टा के वरिष्ठ साथी विजय गुप्त द्वारा लिखित बच्चों के पाँच नाटकों के अलावा भिलाई इप्टा के प्रतिभाशाली दिवंगत युवा साथी शरीफ अहमद द्वारा लिखे दो नाटक ‘मंथन’ तथा ‘प्लेटफॉर्म’। हम अपने हरेक नाट्य समारोह में किताबों का छोटा-सा स्टॉल लगाते थे, साथ ही वहाँ तात्कालिक आर्थिक सहायता भी प्राप्त की जाती थी।

इस समारोह में कोई नहीं जानता था कि छब्बीसवाँ नाट्य समारोह अजय के जीवन का अंतिम समारोह होगा।

जनवरी 2020 में अचानक कटक से ‘गांधी चौक’ के मंचन के लिए आमंत्रण मिला। यह रायगढ़ इप्टा का सदाबहार नाटक है।

सत्ताधारी केन्द्रीय सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम की घोषणा कर समूचे देश में उथलपुथल मचा दी थी। देश में घुसपैठ और हिंदुओं के हितों की रक्षा के मद्देनज़र मुस्लिमविरोधी माहौल पैदा कर दिया गया था। दिल्ली में शाहीन बाग में अनेक महिलाओं ने इसके खिलाफ आंदोलन शुरु किया, जो आग की तरह पूरे देश में फैल गया। इस अधिनियम के विरोध में न केवल मुस्लिम समुदाय के स्त्री-पुरुष, बल्कि सभी गंगा-जमुनी संस्कृति में विश्वास रखने वाले लोग और संगठन इस आंदोलन में जुड़ने लगे। सभी जगह इस आंदोलन का नाम ‘शाहीन बाग’ हो गया था। नाट्य समारोह के पहले ही रायगढ़ के अनेक संगठनों ने मुस्लिम समुदाय के प्रति होने वाले इस अन्याय के विरोध में शहर के गांधी पुतले के पास धरना-प्रदर्शन आरम्भ कर दिया।

बाद में बढ़ते जन-समर्थन को देखते हुए प्रदर्शन-स्थल रामलीला मैदान में स्थानांतरित हुआ। इप्टा रायगढ़ ने इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। हमने न केवल वहाँ जनगीत गाए, कविता पोस्टर्स लगाए, बल्कि रोज़मर्रा के कार्यक्रमों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

रायगढ़ में यह आंदोलन 10 मार्च तक जारी था, उसके बाद कोविड-19 की आहट ने इसे ‘फिज़िकल’ की जगह सोशल मीडिया आंदोलन तथा विभिन्न स्थानों पर छोटी मीटिंगों में बदल दिया। और फिर 24 मार्च की रात अचानक रात के बारह बजे से समूचे देश में लॉकडाउन लगा दिया गया।

उसके पहले दिन 23 मार्च को शहीद दिवस के अवसर पर साथियों ने जनगीत प्रस्तुत किये थे।

सिद्धि विनायक कॉलोनी में अजय द्वारा बहुत शौक और मेहनत से थिएटर स्टुडियो बनाया गया था। इप्टा का कार्यालय भी वहीं शिफ्ट किया गया। इसमें अजय की बहुप्रतीक्षित गतिविधियाँ फरवरी 2020 से शुरु हो गई थीं। टॉक शो के रूप में विविध विषयों पर आमंत्रित वक्ताओं से बातचीत का दौर ‘मुद्दे की बात’ शीर्षक से शुरु हुआ। इसकी रिकॉर्डिंग व एडिटिंग के उपरांत इसे इप्टा रायगढ़ के यू ट्यूब चैनल पर जारी कर दिया जाता था। इस अभियान में अजय के साथ भरत, श्याम, सुमित, वासुदेव, सचिन और मैं जुट गए थे।

भरत साउंड, श्याम और वासु लाइट, सुमित एंकरिंग, सचिन और अजय कैमरा करते थे, एडिटिंग अजय खुद ही किया करता था। इसके पहले तीन एपिसोड फरवरी में रिकॉर्ड किये गए। परीक्षाओं के मौसम के मद्देनज़र इसे तीन भागों में बाँटा गया था – पहला, विद्यार्थियों से चर्चा (दसवीं-बारहवीं के शासकीय और निजी विद्यालयों के तीन विद्यार्थी), दूसरा, अभिभावकों से चर्चा और तीसरे भाग में शिक्षकों (निजी विद्यालय से मंजुला चौबे, शासकीय विद्यालय से नरेन्द्र पर्वत तथा गरीब बच्चों के लिए विद्यालय चलाने वाले हर्ष सिंह) से चर्चा की गई। उसके बाद इस शो का सिलसिला चल निकला।

चूँकि सीएए विरोधी आंदोलन चल ही रहा था इसलिए ‘सीएए, एनआरसी, एनपीआर का सच’ विषय पर बातचीत के लिए आंदोलन में शामिल इप्टा के साथी अधिवक्ता प्रशांत शर्मा, स्नातकोत्तर छात्र शाकिब अनवर तथा अधिवक्ता आशीष उपाध्याय को सम्मिलित किया गया। एंकरिंग सुमित मित्तल ने किया था।

https://www.youtube.com/watch?v=WIfs-XsyfRU&t=7s

08 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर तीन श्रमजीवी महिलाओं से बातचीत की गई। इसमें घरेलू सहायक नीरा चौहान, सफाई दरोगा कविता बेहरा तथा ऑटो चालक ललिता कुर्रे से उनके कार्यक्षेत्रों के बारे में चर्चा की गई।

https://www.youtube.com/watch?v=5F6Ap6ZN9P0

23 मार्च शहीद दिवस के दिन ‘ऐ भगतसिंह तू ज़िंदा है’ कार्यक्रम में पत्रकार विनय पाण्डे, शिक्षाविद मनीष सिंह तथा विचारक डॉ. राजू पाण्डेय ने भगतसिंह, राजगुरु तथा सुखदेव संबंधी अनेक तथ्यों पर चर्चा की।

https://www.youtube.com/watch?v=IbKd-xLLhMY&t=19s

कोविड-19 महामारी संबंधी राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय विसंगतियों पर आधारित व्यंग्य की रोचक प्रस्तुति ‘कोरोना से मुलाकात’ शीर्षक के अंतर्गत युवराज सिंह तथा अजय आठले ने साक्षात्कार शैली में की। इसका प्रस्तुति-आलेख अजय ने लिखा था।

https://www.youtube.com/watch?v=iDuwOnENMa0

मई दिवस पर महिला कामगारों की स्थिति पर रायगढ़ जिले के औद्योगिक क्षेत्रों में सामाजिक कार्य करने वाली सविता रथ तथा ‘गाँव के लोग’ पत्रिका की संपादक अपर्णा से उषा आठले ने चर्चा की।

https://www.youtube.com/watch?v=j3YFsBqFl5s&t=736s

मई-जून में लॉकडाउन के कारण देश के महानगरों से बहुत बड़ी संख्या में मज़दूर और कर्मचारी अपने गाँवों की ओर लौटने लगे थे। उनके साथ जिस असंवेदनशीलता का परिचय केन्द्र सरकार ने दिया, उससे समूचा देश काँप उठा था। इप्टा रायगढ़ के साथी रायपुर की संस्था के साथ मिलकर मज़दूरों को अपने घर पहुँचने के लिए हर तरह की सहायता दे रहे थे। उनके लिए भोजन तथा ट्रांसपोर्ट मुहैया करना प्रमुख था। इसी समस्या पर दो एपिसोड किये गए। पहला था, ‘कोरोना और असंगठित मज़दूर’, इस पर ट्रेड यूनियन के साथी गणेश कछवाहा, डॉ. राजू पाण्डेय तथा हर्ष सिंह ने बात की।

https://www.youtube.com/watch?v=-V_EW-OidFo&t=2s

दूसरा एपिसोड था, ‘भारत के आप्रवासी मज़दूरों पर कोरोना का असर’; इस पर चर्चा में शामिल थे हर्ष सिंह तथा मनीष सिंह।

https://www.youtube.com/watch?v=MgV0yX5m5bM&t=3s

‘मुद्दे की बात’ के तमाम एपिसोडों की रिकॉर्डिंग लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए ही की जा रही थी। जुलाई में स्कूल खुलने के नाम पर ऑनलाइन शिक्षा शुरु हो गई थी। देश की आर्थिक-सामाजिक स्थिति के जानकार सभी लोग जानते हैं कि, गाँव और शहर के शासकीय तथा कुछ निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के परिवारजनों के पास मोबाइल उपलब्ध नहीं होते। जिनके पास हैं भी, उनके लिए प्रतिदिन इंटरनेट डाटा खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। अन्य पहलू यह था कि अधिकांश शिक्षक भी ऑनलाइन शिक्षा के लिए प्रशिक्षित नहीं थे। इसलिए शिक्षा की अवस्था बहुत दयनीय थी। हर कोई अंधे कुएँ में हाथ-पैर चला रहा था। हमने ‘ऑनलाइन शिक्षा और उसकी चुनौतियाँ’ विषय पर अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के साथी गुरुप्रसाद शर्मा और ग्रामीण क्षेत्र में शासकीय विद्यालय में लेक्चरर नरेन्द्र पर्वत से इस विषय पर खुलकर बातचीत की।

https://www.youtube.com/watch?v=c1mgmzJmjX8&t=9s

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इन समसामयिक मुद्दों के अलावा भीष्म साहनी तथा प्रेमचंद के जन्मदिवस पर भी दो एपिसोड रिकॉर्ड किये गए। भीष्म साहनी की ‘चीफ की दावत’ कहानी और सामाजिक यथार्थ पर इप्टा के भरत, प्रशांत, संदीप और बलराम ने चर्चा की।

https://www.youtube.com/watch?v=9K1BEpEWZEc&list=PLO1rjN2-tPpbDQNFOcONdHWlnbZdxp4Gm

प्रेमचंद की कहानी ‘मंत्र’ पर साहित्यकार रविन्द्र चौबे, हर्ष सिंह, मुमताज भारती तथा नीरज ने चर्चा की।

https://www.youtube.com/watch?v=762UQsaW66s&t=1202s

‘मुद्दे की बात’ के अलावा साक्षात्कारों पर आधारित कार्यक्रम ‘संवाद’ के भी तीन एपिसोड रिकॉर्ड किये गये।

https://www.youtube.com/watch?v=mq0A9WinbBk&t=20s

विश्व रंगमंच दिवस पर मराठी रंगमंच और फिल्म अभिनेत्री एक्टिविस्ट सुषमा देशपांडे का साक्षात्कार,

https://www.youtube.com/watch?v=dqRYGypxNLc&t=79s

‘स्टोरी टेलिंग’ के लिए विख्यात डॉ. शिल्पा दीक्षित का साक्षात्कार तथा सामाजिक कार्यकर्ता एक्टिविस्ट सविता रथ का साक्षात्कार लेकर भी यू ट्यूब पर डाला गया।

https://www.youtube.com/watch?v=Qryf6cGja4E&t=1458s

25 मई इप्टा का स्थापना दिवस होता है। लॉकडाउन के कारण इप्टा की राष्ट्रीय समिति द्वारा तय किया गया कि इस बार ऑनलाइन ‘जनसंस्कृति सप्ताह’ मनाया जाए। छत्तीसगढ़ इप्टा द्वारा 25 से 31 मई तक कार्यक्रम तैयार कर रोज़ाना अजय और सुमित द्वारा संपादित कर, छत्तीसगढ़ इप्टा के फेसबुक पेज और यू ट्यूब चैनल पर अपलोड किया जाता रहा । इसमें 25 को इप्टा रायगढ़ ने उषा आठले द्वारा तैयार किये हुए प्रस्तुति आलेख ‘लॉकडाउन’ पर कविता कोलाज प्रस्तुत किया, जिसमें मयंक, भरत, सुमित, प्रशांत, आलोक, उषा ने कविता पाठ किया। अंत में राजकुमार सोनी की लिखी कविता को रामप्रसाद श्रीवास ने रैप साँग जैसा संगीतबद्ध किया। इसके अलावा भिलाई इप्टा का जनगीत ‘हमने ली कसम’ तथा बिलासपुर इप्टा का जनगीत ‘इसलिए’ प्रस्तुत किया गया।

26 मई को ‘स्वतंत्र भारत के विकास के विभिन्न आयाम और कोरोना-काल’ पर मुमताज भारती, हर्ष सिंह के साथ अजय आठले ने चर्चा की।

27 मई को बच्चालाल उन्मेष लिखित कविता ‘कौन जात हो भाई’ पर इप्टा रायगढ़ के प्रशांत, कुलदीप और आलोक का अभिनय-संवाद के साथ वीडियो, अंबिकापुर इप्टा द्वारा मूक-बधिर बच्चों के साथ तैयार की गई नृत्य-नाटिका ‘मानव-विकास के मूक पहलू’ का एक अंश तथा भिलाई इप्टा के चित्रांश श्रीवास्तव द्वारा ‘दूरी’ कविता का पाठ प्रस्तुत किया गया।

28 मई को रायपुर इप्टा के साथी बालकृष्ण अय्यर द्वारा विचारक, साहित्यकार महेन्द्र कुमार मिश्र का साक्षात्कार ‘इप्टा : एक आंदोलन और सिनेमा’ प्रस्तुत किया गया। इसमें महेंद्र कुमार मिश्र जी ने सिनेमा और इप्टा के बारे में शोधपरक जानकारी साझा की।

29 मई को जीवेश चौबे, चित्रांश श्रीवास्तव, प्रशांत शर्मा, सुमित मित्तल द्वारा कविता पाठ, टोनी चावड़ा द्वारा कहानी पाठ तथा लिटिल इप्टा रायगढ़ द्वारा गीत ‘पानी रोको’ प्रस्तुत हुआ।30 मई को संजय श्याम की स्वरचित कविताएँ, अजय आठले द्वारा शरद बिलौरे की पाँच कविताओं का पाठ तथा रायगढ़ के कथाकार रमेश शर्मा द्वारा अपनी कहानी का पाठ प्रस्तुत किया गया।

31 मई को समापन दिवस पर शरद कोकास की वार्ता ‘लॉकडाउन और छात्र’, निसार अली द्वारा भेजा छत्तीसगढ़ी लोकगीत, भिलाई इप्टा का जनगीत, विनोद बोहिदार, परमेश्वर वैष्णव, सुचिता मुखर्जी तथा रमेश शर्मा द्वारा कविता प्रस्तुत की गई। इस ‘जनसंस्कृति सप्ताह’ में प्रगतिशील लेखक संघ के साथियों ने भी अपनी रचनात्मक सहभागिता दी।

अगस्त 2020 में रायगढ़ जिले में कोरोना का प्रकोप तेज़ी से बढ़ने के कारण रिकॉर्डिंग बंद करनी पड़ी। मगर उससे पहले ‘जनसंस्कृति सप्ताह’ के अनुभव से उत्साहित होकर ऑनलाइन गतिविधियों के माध्यम से जुड़े रहने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ प्रगतिशील लेखक संघ और इप्टा के साहित्यकारों-कलाकारों ने मिलकर साप्ताहिक ‘जुगलबंदी’ कार्यक्रम शुरु किया, जिसमें विभिन्न साथियों के कविता-पाठ, गीत, कहानी, व्यंग्य, वीडियो, नाट्य-अंश आदि संग्रहित कर सुमित मित्तल द्वारा अपने घर में एडिटिंग कर प्रति शनिवार को कम से कम आधे घंटे का प्रसारण छत्तीसगढ़ इप्टा के यू ट्यूब चैनल और फेसबुक पेज से किया जाने लगा। यह सिलसिला काफी महीनों तक चला। सुमित की व्यस्तता के कारण बाद में इसका कार्यभार छत्तीसगढ़ प्रलेस के संगठन सचिव परमेश्वर वैष्णव ने सम्हाला।

राष्ट्रीय स्तर पर कोरोना के कारण चारों तरफ फैली अफरातफरी और केन्द्र सरकार के अवैज्ञानिक रवैये के विरुद्ध ‘हम अगर उट्ठे नहीं तो’ ऑनलाइन अभियान के लिए सितम्बर में वीडियोज़ इकट्ठा किये जाने लगे। रायगढ़ इप्टा ने अनादि आठले की मदद से अरूण काठोटे द्वारा निर्मित कविता पोस्टर्स पर आधारित दो कविता-वीडियो बनाकर भेजे। साथ ही देश के 16 बुद्धिजीवियों की गिरफ्तारी के विरोध में वयोवृद्ध कवि वरवरराव की कविताओं का हमारे अनेक साथियों द्वारा पाठ कर उनके रिहाई की माँग भी की गई।

लॉकडाउन के बीच भी इप्टा रायगढ़ लगातार सक्रिय रही। मगर सितम्बर माह में कोराना के अँधड़ ने रायगढ़ को अपनी चपेट में ले लिया। इसी अँधड़ ने 19 सितम्बर की रात अजय को भी घेर लिया। उसके फेंफड़ों में संक्रमण बढ़ा और 23 को अस्पताल में भर्ती करने के बाद अचानक 27 सितम्बर की सुबह ऑक्सीजन की कमी से हार्ट फेल होने से अजय हम सबको और शायद खुद को भी भौंचक छोड़कर चला गया। ‘अजय, इप्टा और मैं’ तथा ‘यादों के झरोखों से’ में दर्ज़ इप्टा रायगढ़ का इतिहास यहीं विराम लेता है। उम्मीद है, इसके बाद का इतिहास नई पीढ़ी रचेगी और इसीतरह मुकाम-दर-मुकाम उसे दर्ज़ भी करेगी। (समाप्त)

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Aparna
3 years ago

बहुत लंबा और सफल यात्रा की इप्टा ने.. सभी के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सहयोग से.. आपने इसे लिखकर इप्टा के कामों को इतिहास में दर्ज कर महत्त्वपूर्ण काम किया.. Salute

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