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अजय, इप्टा और मैं : चार

अजय, इप्टा और मैं : चार

(अजय इप्टा और मैं और यादों के झरोखों से – मेरे और अजय के संस्मरण एक साथ इप्टा रायगढ़ के क्रमिक इतिहास के रूप में यहाँ साझा किये जा रहे हैं। अजय ने अपना दीर्घ संस्मरणात्मक लेख रायगढ़ इकाई के इतिहास के रूप में लिखा था, जो 2017 के छत्तीसगढ़ इप्टा के इतिहास पर केंद्रित रंगकर्म के विशेष अंक में छपा था। पिछली कड़ी में अजय द्वारा लिखी हुई 2015 के आरम्भ से लेकर 2017 नवम्बर तक की समूची गतिविधियों का उल्लेख किया गया था। यहाँ से मैं आगे बढ़ा रही हूँ। गतिविधियां नए-नए आयामों में फैलती जा रही थीं। हम खुद को अपडेट करने के लिए निरंतर वर्कशॉप्स कर रहे थे। अपने साथ अन्य संगठनों को भी जोड़ने लगे थे। उनके साथ अनेक आन्दोलनों में सड़क पर भी उतरने लगे थे। इस कड़ी में 2017 में सम्पन्न 24 वें नाट्य समारोह तथा छत्तीसगढ़ इप्टा के पाँचवें राज्य सम्मेलन से लेकर 2018 में पटना में आयोजित इप्टा के प्लैटिनम जुबली समारोह तक की गतिविधियों का विवरण है। – उषा वैरागकर आठले )

चौबीसवाँ नाट्य समारोह 21 से 25 दिसम्बर 2017 तक तय हुआ था। छत्तीसगढ़ इप्टा के पाँचवें राज्य सम्मेलन की ज़िम्मेदारी भी हम ले चुके थे और इसे नाट्य समारोह के साथ ही किया जाना था। अतः दोनों कार्यक्रमों की साथ-साथ तैयारी शुरु की गई। सम्मेलन के कारण निर्णय लिया गया कि नाट्य समारोह में सिर्फ इप्टा के नाटक ही मंचित होंगे। राज्य सम्मेलन की तारीखें 23 से 25 दिसम्बर तक रखी गईं। नाट्य समारोह के पहले दिन 21 को इप्टा रायगढ़ का युवा साथियों द्वारा सामूहिक रूप से निर्देशित नाटक ‘रामसजीवन की प्रेमकथा’ का मंचन हुआ। यह नाटक उदय प्रकाश की इसी शीर्षक की कहानी का कहानी का रंगमंच शैली में प्रस्तुतीकरण था। दूसरे दिन 22 को रायपुर इप्टा के साथी निसार अली के दो नाचा-गम्मत शैली के प्रगतिशील नाटकों ‘टैंच बेचइया’ तथा ‘ब्रह्मराक्षस का शिष्य’ का मंचन हुआ। ये नाटक हरिशंकर परसाई के व्यंग्य और मुक्तिबोध की कहानी पर आधारित थे।

निसार अली कई सालों से नाचा-गम्मत कलाकारों के साथ उन्हीं की शैली में आधुनिक हिंदी नाटक छत्तीसगढ़ी में खेल रहे हैं। उनका यह प्रयोग हबीब तनवीर के रास्ते पर चलने की कोशिश है। 22 को इप्टा के राष्ट्रीय महासचिव राकेश और वेदा के अलावा पटना इप्टा की टीम, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तनवीर अख्तर और सीताराम सिंह के साथ आ चुकी थी। उन्होंने भी सभी दर्शकों के साथ इन नाटकों का लुत्फ उठाया।

इप्टा को अधिक से अधिक सांस्कृतिक संगठनों से जोड़ने की अपनी मुहिम के तहत इस वर्ष हमने शहर के कुछ नृत्य-दलों को नाटक के पहले 15 मिनट का नृत्य प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया था। चयन का जिम्मा इकाई के नृत्य निर्देशक मयंक श्रीवास्तव को सौंपा गया। पहले दिन ओडिसी नृत्य हुआ। परंतु दूसरे दिन जो सेमीक्लासिकल नृत्य हुआ, उससे हम बेचैन हो गए। उसकी थीम और कास्ट्यूम काफी अशोभनीय लगे। दुख इस बात का हुआ कि नर्तक इप्टा का पुराना साथी था। खैर, उससे सबक लेकर हमने तुरंत निर्णय लेते हुए अन्य नृत्य दलों से माफी माँगते हुए उनके प्रदर्शन को निरस्त कर दिया। हमें महसूस हुआ कि हमारी यह पहल असफल रही। हमें प्रस्तुत किये जाने वाले नृत्य पहले ही देख लेने चाहिए थे।

22 दिसम्बर की रात से भिलाई, बिलासपुर, चाँपा, कोरबा इकाइयों के साथी आने लगे। सभी के आवास की व्यवस्था साँई श्रद्धा होटल में की गई थी। वह मंदी का दौर चल रहा था इसलिए हमें होटल काफी कम किराये पर मिला था। वहीं सभी विचार सत्र संपन्न किये गए।

23 दिसम्बर की सुबह 11 बजे पॉलिटेक्निक ऑडिटोरियम में इप्टा के उपाध्यक्ष एवं प्रसिद्ध संगीत निर्देशक-गायक सीताराम सिंह को नववाँ शरदचंद्र वैरागकर स्मृति रंगकर्मी सम्मान प्रदान किया गया। इस सम्मान-कार्यक्रम में रायगढ़ इप्टा के साथ-साथ रायगढ़ की लगभग बीस सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाओं ने भी बढ़-चढ़कर सीताराम जी का सम्मान किया।सम्मान कार्यक्रम की शुरुआत अनादि आठले द्वारा सीताराम जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित सात मिनट के मोंटाज की स्क्रीनिंग से की गयी।

दोपहर को इप्टा के झंडोत्तोलन और जनगीत-गायन के बाद सांस्कृतिक रैली होटल साँईश्रद्धा से पॉलिटेक्निक ऑडिटोरियम की ओर रवाना हुई। पूरे रास्ते में जनगीत गाये जाते रहे।

सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि नाटककार, कवि और मध्यप्रदेश इप्टा के प्रथम अध्यक्ष राजेश जोशी ने किया। उद्घाटन समारोह में राष्ट्रीय महासचिव राकेश, इप्टा के राष्ट्रीय सहसचिव शैलेन्द्र कुमार, छत्तीसगढ़ प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष वेदप्रकाश अग्रवाल, नाटककार राजेश कुमार तथा छत्तीसगढ़ इप्टा के महासचिव राजेश श्रीवास्तव ने भी संबोधित किया।

इस वर्ष रायगढ़ इप्टा की पत्रिका ‘रंगकर्म’ विशेष रूप से छत्तीसगढ़ इप्टा की सभी इकाइयों के इतिहास पर प्रकाशित की गई। इसका विमोचन भी उद्घाटन समारोह में किया गया। रात को उसी मंच पर पटना इप्टा की रंग-संगीत प्रस्तुति ‘घड़ा बोल उठा’ हुई, जिसमें सीताराम सिंह के संगीत निर्देशन वाले नाटकों के गीत प्रस्तुत किये गये। इसका संचालन तनवीर अख्तर ने किया था।

24 दिसम्बर की सुबह से सम्मेलन के विचार सत्र आरम्भ हुए। प्रथम सत्र में अखिलेश दीक्षित का परचा ‘आज के दौर में रंग-संगीत’; दूसरे सत्र में ‘नाटकों में दलित विमर्श’ राजेश कुमार द्वारा आलेख पढ़ा गया और उन पर चर्चा हुई।

उस दिन शाम को नाट्य समारोह में भिलाई इप्टा के युवा निर्देशक चारू श्रीवास्तव निर्देशित दो नाटक ‘क्षमादान’ तथा ‘थाली का बैंगन’ खेले गए।

25 दिसम्बर को तीसरे विचार सत्र में जीवन यदु लिखित आलेख ‘लोककला और इप्टा का नज़रिया’ पढ़ा गया।

अंतिम सत्र संगठन सत्र था, जिसमें इस बार मणिमय मुखर्जी छत्तीसगढ़ राज्य इकाई के अध्यक्ष और अजय आठले महासचिव चुने गए।कोषाध्यक्ष अपर्णा बनी।

विचार सत्रों में स्थानीय कलाकारों, बुद्धिजीवियों ने भी भाग लिया। 25 को नाट्य समारोह का अंतिम नाटक बिलासपुर इप्टा का सचिन शर्मा निर्देशित ‘भये प्रकट कृपाला’ का मंचन हुआ।

इस सम्मेलन की यादगार रात थी 24 दिसम्बर की। संयोग से नववें रंगकर्मी सम्मान प्राप्त सीताराम सिंह और अनादि का 25 को जन्मदिन था। सभी इप्टाकर्मियों ने रात 12 बजे से बहुत ही खुशगवार माहौल में दोनों का जन्मदिन मनाया।

जनवरी 11 से 13, 2018 भिलाई में राष्ट्रीय युवा महोत्सव का आयोजन हुआ। इसमें पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के युवा कलाकार सम्मिलित हुए थे। इस समारोह का उद्घाटन अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने किया। उल्लेखनीय है कि स्वरा भास्कर पूर्व में जेएनयू इप्टा के साथ रायगढ़ के नाट्य समारोह में मंचन के लिए आ चुकी हैं। रायगढ़ से बारह साथी इस समारोह में शरीक हुए। अंतिम दिन रायगढ़ इप्टा ने ‘रामसजीवन की प्रेमकथा’ का मंचन किया।

हम अपने साथियों को अपडेट करने की भी लगातार कोशिश करते रहते थे। राज्य सम्मेलन के दौरान राजेश जोशी से और झारखंड के साथी शैलेन्द्र कुमार से युवा साथी बहुत प्रभावित हुए थे।

उसके बाद वे राजेश जोशी की कविताएँ खोज-खोजकर पढ़ने लगे थे। उनकी इसी अभिरूचि के कारण हमने शैलेन्द्रभाई से बात की और 14-15 अप्रेल 2018 को एक कार्यशाला का आयोजन किया।

इप्टा का प्लेटिनम जुबली वर्ष होने के कारण इसका नाम ही प्लेटिनम जुबली व्याख्यानमाला रखा गया। इसमें तीन सत्रों में उनके व्याख्यान और उसके बाद सभी साथियों से खुली बातचीत रखी गई थी। विषय थे – मार्क्सवाद के मूल सिद्धांत, वर्तमान समय तथा मार्क्स और आंबेडकर एवं मार्क्स। 14 अप्रेल को आंबेडकर जयंती होने के कारण हमने शहर के कुछ अन्य वैचारिक साथियों को भी बुला लिया था। यह वर्कशॉप सब को बहुत उपयोगी लगा था।

गर्मियों में इस बार दो स्थानों पर नाट्य प्रशिक्षण शिविर और एक स्थान पर नृत्य प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने के लिए कुछ साथी तैयार हुए। ग्रीष्मकालीन बाल नाट्य-नृत्य प्रशिक्षण शिविर दि. 6 मई से 25 मई 2018 तक तीन स्थानों पर आयोजित किया गया।

पॉलिटेक्निक, शासकीय विद्यालय रेल्वे बंगलापारा तथा मयंक डांस स्टूडियो में लगभग 45 बच्चों ने 20 दिनों तक गहन प्रशिक्षण के बाद 25 मई 2018 को इप्टा के पचहत्तरवें स्थापना दिवस पर अपनी प्रस्तुति दी। पॉलिटेक्निक में आयोजित कार्यशाला का संचालन श्याम देवकर तथा पोष्णेश्वरी ‘शोभा’ ने किया और ‘अहिंसा पर विजय’ नाटक तैयार किया, रेल्वे बंगलापारा में आयोजित कार्यशाला का संचालन आलोक बेरिया तथा प्रियंका बेरिया ने किया तथा ‘तेनालीराम की चतुराई’ नाटक तैयार किया।

मयंक डांस स्टुडियो में आयोजित नृत्य कार्यशाला में मयंक श्रीवास्तव ने तीन नृत्य – लड़कियों का फ्यूज़न डांस, लड़कों का थीम डांस और एक छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य तैयार करवाया था, जिनकी बेहतरीन प्रस्तुति की गई।

बच्चों की कार्यशाला का अंतिम कार्यक्रम सर्टिफिकेट वितरण होता है, जिसका उन्हें काफी आकर्षण होता है। बच्चों के कार्यक्रम के बाद ‘रामसजीवन की प्रेमकथा’ का भी मंचन हुआ।

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रायपुर के नाटककार अख्तर अली ने अजय के पास अपनी नई स्क्रिप्ट भेजी – ‘अजब मदारी गजब तमाशा’; हमें यह स्क्रिप्ट बहुत समसामयिक लगी। हालाँकि अजय कह चुका था कि अब वह नाटक निर्देशित नहीं करेगा, सिर्फ फिल्में बनाएगा; मगर यह स्क्रिप्ट पढ़कर उसने फिर युवाओं का एक वर्कशॉप लेकर इस नाटक को करना तय किया। प्रेस विज्ञप्ति और सोशल मीडिया पर भी प्रचार किया गया और वर्कशॉप में कुछ नए युवक सम्मिलित हुए। इसमें से दो किरोड़ीमल नगर के भी थे। ग्राम कुसमुरा से सुरेंद्र राणा और ग्राम भिखारीमाल से विवेकानंद प्रधान पहले भी आते ही थे। लगभग एक माह की रिहर्सल में नाटक तैयार हुआ।


पहले अजय ने ज़िक्र किया ही था कि इप्टा के कुछ पुराने साथियों ने ‘गुड़ी’ नाम की पृथक संस्था बना ली थी। अजय की खासियत थी कि उसके रिश्ते हमेशा सबसे आत्मीय ही बने रहते थे। गुड़ी के साथी योगेन्द्र चौबे, विवेक तिवारी, अनुपम पाल, युवराज सिंह, टिंकू देवांगन, शिबानी मुखर्जी, कल्याणी मुखर्जी से लगातार हमारा संवाद बना रहा। गुड़ी का एक कलाकार मोहन सागर खैरागढ़ विश्वविद्यालय से रंगमंच में डिग्री लेकर और रानावि. के रंगमंडल से जुड़ने के बाद छुट्टियों में रायगढ़ आया था और उसने ‘भोलाराम का जीव’ नाटक तैयार करवाया। इप्टा का भी नाटक तैयार था। तय किया गया कि पॉलिटेक्निक में दोनों नाटकों का एक ही दिन मंचन किया जाए। जो भी व्यय आएगा, दोनों संस्थाएँ बाँट लेंगी। 23 जुलाई 2018 को दोनों नाटक एक साथ हुए।

अगस्त माह में केरल में भीषण बाढ़ का तांडव मचा। केरल के बाढ़पीड़ितों को मदद करने के लिए इप्टा की राष्ट्रीय समिति का सर्कुलर आ गया था। इप्टा द्वारा देश भर की अपनी सभी इकाइयों से सहायता राशि इकट्ठा कर केरल सरकार को भेजा जाना था।

रायगढ़ इप्टा इसतरह के अनेक मदद कार्यक्रम करती रही थी मगर नए जुड़े कुछ साथियों को इसका अनुभव नहीं था। दस-बारह साथियों ने कबीर चौक और जूट मिल क्षेत्र में बैनर लेकर आर्थिक सहायता जुटाई, जिसे इप्टा के महासचिव को भेज दिया गया। इसमें अनूठे अनुभवों से हम रूबरू हुए। रिक्शेवाले से लेकर बच्चों ने और बूढ़ों से लेकर महिलाओं ने अपनी-अपनी क्षमतानुसार आर्थिक सहायता प्रदान की।

इस बीच देश की परिस्थितियाँ बद से बदतर होती जा रही थीं। सोचने-समझने वाले लोगों में बेचैनी बढ़ती जा रही थी। देश भर के अनेक महिला संगठनों ने मिलकर देश की पाँच दिशाओं से महिलाओं की जन-जागरण यात्रा ‘बातें अमन की’ शीर्षक से करने की योजना बनाई। छत्तीसगढ़ में जो यात्रा आ रही थी, उसके लिए मुझे रायगढ़ का समन्वयक बनाया गया। 10 अक्टूबर को हमें यात्रा में आनेवाली महिलाओं के साथ कार्यक्रम करना था। हमने शहर के अन्य जागरूक संगठनों – प्रगतिशील लेखक संघ, ट्रेड यूनियन काउंसिल, जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा, जीवन बीमा कर्मचारी संघ तथा पुष्पवाटिका समिति से मिलकर रायगढ़ साझा मंच बनाया और कार्यक्रम आयोजित किया। चूँकि छत्तीसगढ़ में चुनाव होने थे और आचार संहिता के कारण खुले में कार्यक्रम नहीं हो सकता था इसलिए साँई श्रद्धा होटल में ही कार्यक्रम और यात्रियों के भोजन की व्यवस्था की गई। कार्यक्रम में हमने इप्टा की ओर से ‘उठो द्रौपदी वस्त्र सम्हालो’ जनगीत, 04 मिनट की फिल्म ‘हर’ तथा एक गीत का वीडियो उपस्थित दर्शकों को दिखाया। अखिल भारतीय महिला फैडरेशन की महासचिव एनी राजा तथा लगभग 40 महिलाएँ इस यात्रा में आई थीं। उन्होंने भी अपने-अपने अनुभव साझा किये। रायगढ़ से कल्याणी मुखर्जी को कार्यक्रम का अध्यक्ष बनाया गया था तथा डॉ. रितु शर्मा को महिलाओं की वर्तमान स्थिति पर वक्तव्य के लिए आमंत्रित किया गया था।

27 से 30 अक्टूबर 2018 को पटना में इप्टा के प्लैटिनम जुबली समारोह का आयोजन होना था। अजय ने पहले ही अपने छत्तीसगढ़ी नाटक ‘मोंगरा जियत हावे’ को छत्तीसगढ़ की इकाइयों के संयुक्त नाटक के रूप में ले जाने की इच्छा जाहिर की थी। परंतु कुछ व्यावहारिक दिक्कतों के कारण ऐसा नहीं हो पाया और अजय को अपनी ही टीम को री-शफल करते हुए फिर नए सिरे से नाटक की रिहर्सल करवानी पड़ी। सुबह पुष्पवाटिका पार्क में रिहर्सल होती।

अजय, जो खुद इंस्पेक्टर का रोल करता था, उसने खुद न उतरने का निर्णय लेकर सुमित मित्तल को तैयार किया, उसके साथ नए साथी दीपक यादव को कॉन्स्टेबल का रोल देकर भरत-लोकेश्वर को जोक्कड़ बनाया। पंडवानी गायन के लिए इप्टा के आरम्भिक दौर में जुड़ी बहुत सक्रिय कलाकार सुगीता पड़िहारी, जो अब सुगीता दास लिखने लगी थी, को तैयार किया। पूनम श्रीवास और लखन संगीत मंडली में थे ही। नाटक में पंथी नृत्य के लिए भिलाई इप्टा के युवा साथी तैयार थे। पटना पहुँचने पर दो रिहर्सल्स के बाद उन्होंने नाटक के एक दृश्य में ‘पंथी’ किया। रायगढ़ से हम लगभग पंद्रह सदस्य समारोह में भाग लेने पहुँचे थे।

इप्टा रायगढ़ की पत्रिका ‘रंगकर्म’ का प्लैटिनम जुबली स्क्रिप्ट विशेषांक विमोचन के पश्चात बुक स्टॉल पर बिक्री के लिए रखा गया। इस अंक में जेएनयू इप्टा का नाटक ‘हम हैं इसके मालिक’, अख्तर अली लिखित ‘अजब मदारी गजब तमाशा’, राजेश कुमार लिखित ‘एक क्लर्क की मौत’, संजीव चन्दन का लिखा ‘ओघवती : महाभारत की एक कथा’, पटना इप्टा के संजय-गणेश द्वारा लिखित नाटक ‘मुझे कहाँ ले आये हो कोलम्बस’ तथा प्रेमानंद गजवी के मराठी नाटक ‘व्याकरण’ का अजय आठले द्वारा किया गया हिंदी-छत्तीसगढ़ी अनुवाद प्रकाशित किया गया था। प्लैटिनम जुबली आयोजन में भिलाई इप्टा के जनगीत तथा लोकनृत्य तथा रायपुर इप्टा से छत्तीसगढ़ी गम्मत भी प्रस्तुत की गई। मैंने ‘जनसांस्कृतिक आंदोलन और महिलाएँ’ संगोष्ठी का संचालन किया।

पटना से लौटते ही हम अपने पच्चीसवें राष्ट्रीय नाट्य समारोह की तैयारी में जुट गए। (क्रमशः)

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